Sunday, 27 January 2019

लाल किताब बुध और राहु


                 लाल किताब 

                 बुध और राहु  



तिलियर (मैना) परिंदा जो बड़ (चंद्र-गुरु) के दरख्त पर आम होता है और उसके फल बर्बाद करता है |

दोनों मुश्तरका खाना नंबर 2, 3, 5, 6 में हो तो अपने लिए मददगार जुबान की तरह मुबारिक और उत्तम | राहु के (हाथी) साथ बुध उसकी सूंड होगा | बुध परिंदो में सफ़ेद उड़ने वाला हाथी |

बुध-राहु जब दोनों इकट्ठे या दोनों में से हर एक अलग अलग मंदे घरो में हो मसलन बुध नंबर 3,8,9,12 में और राहु 1,5,7,8,11 में तो जेलखाना, पागलखाना, हस्पताल वीराना, कब्रिस्तान नसीब होगा चाहे कसूर या बीमारी हो या न हो | चंद्र की आशिया शमशान या कब्रिस्तान में देना मुबारिक होगा या शमशान के कुऍं का पानी घर में रखना मददगार होगा | सिवाय बुध नंबर 4 जिसमे बुध सिफर या ख़ुदकुशी तक की नौबत मगर दौलत के लिए राज योग होगा, दुसरो के लिए भी फायदेमंद असर के होंगे | 

खाना नंबर 7,10,11 में अपने लिए मददगार बाज की तरह मुबारिक और उत्तम मगर दुसरो के लिए अहमक बेफकूफ दोस्त की तरह बहुत मंदे |

खाना नंबर 1, 4 8, 9 में हो तो अपने लिए मंदे मगर दुसरो पर बुरा असर न होगा |

खाना नंबर 12 में हो तो खुद अपने और दुसरो के लिए निहायत मंदे असर के होंगे | गुरु के ताल्लुक से तीनो का असर मंदा होगा | दोनों ग्रहो (राहु-बुध) में से कौन प्रबल है इसका फैसला टेवे वाले की गुफ़्तार (बोलने की आवाज और बातचीत का ढंग) पर होगा |

दरअसल दोनों मुश्तरका का असर

1) कुंडली के पहले घरो (1 से 6) में हो तो अक्सर उत्तम हो होंगे |
2) कुंडली के बाद के घरो में हो तो अक्सर दोनों का फल मंदा होगा और केतु भी पीछे के घरो से मंदा फल  होगा | सिवाय नंबर 11 के वक्त जिस पर केतु नंबर 5 से कोई असर न मिल सकेगा |

मगर खाना नंबर 12 में मुश्तरका होने के वक्त बुध की जहर इतनी बढ़ी हुई होगी कि बुध की बकरी से राहु का हाथी जान बचाने के लिए चीखें मार कर भागता होगा | यानि राहु की आशिया कारोबार रिश्तेदार (ससुराल, नाना, नानी वगैरा) सब उजड़े बर्बाद, दुःख भरी आँहो के मंदे राग, पागलो की तरह या जेलखाना में बंद कैदियों की तरह ऊँची आवाज में पुकारते होंगे |


नेक हालत में

राहु हाथी के जिस्म और बुध उसकी सूंड की तरह मददगार होने की तरह दोनों ग्रहो का खुद टेवे वाले की लिए उत्तम फल होगा |


मंदी हालत में

दोनों मुश्तरका या दृष्टि से बाहम मिले होने के वक्त जब दोनों खाना नंबर 7 से 12 में हो, सिवाय 11 के, तो मौत गूंजती होगी | जानवरो, खासकर छोटे-छोटे या मामूली परिंदो (टटिहरी का खासकर, जो रात को टाँगे ऊपर करके सोती है - पानी के किनारे रहनेवाली एक चिड़िया, कुररी, Sandpiper, जलाशयों के समीप रहनेवाली एक छोटी चिड़िया जिसके सिर,गले तथा सीने पर के बाल काले रंग के,पीठ तथा डैने भूरे रंग के, और निचला भाग सफेद होता है। विशेष यह अपना घोंसला नहीं बनाती बल्कि बालू में ही अंडे देती है। ) का शिकार करने से दोनों ग्रहो का मंदा फल हो जाने की पहली निशानी होगा | या दोनों में से किसी एक ग्रह का फल मंदा होगा | अब मुश्तरका हालत में ऐसे घरो में बैठे होने के वक्त दोनों ही का फल टेवे वाले के लिए उम्दा और नेक होगा मगर बुध और राहु की मुतल्लका रिश्तेदार (बहन, भुआ, फूफी, मौसी, लड़की और ससुराल, नाना, नानी) मंदे हाल और बर्बाद होंगे |

जुबान का तेंदुआ या आँख का टेढ़ापन या एक आँख बड़ी और एक छोटी मगर बर्बाद आदि भी हो सकती है खासकर जब दोनों गुरु के घरो में हो (2,5,9,11,12) या गुरु का टकराव आ जाए |


खाना नंबर 1

संतान के विघ्न होंगे | 


खाना नंबर 3

34 साल उम्र तक बुध और केतु दोनों ही का फल अक्सर मंदा ही होगा | बहन अमीर होगी मगर वो जल्द बेवा होने की निशानी लेंगे लेकिन जरूरी नहीं की हो ही जाए |

खाना नंबर 1,8,9,11,12  
     
आठ पहले नौ चौथे होते, मौत धुआँ निकलता हो |
लेख मंदा जब 12 बैठे, पकड़ हाथी पाँव रोंदता हो |
औलाद लानत घर पहले होती, आकाश शरारत करती हो |
घर तीसरे ग्यारवें बहन अमीरी, जल्दी बेवा दुःख भोगती होती हो |

खाना नंबर 11

बहन जो अमीर मगर शादी के बाद 7 दिन माह साल के अंदर-अंदर बेवा या तलाकशुदा या खाविंद से नाचाकी (अनबन, मनमुटाव,  वैमनस्य) बदमजगी (बदमजा होने का भाव) होगी | जिसका उपाय मगरबी (पश्चिमी)  दिवार से चूल्हा बंद करना इस बवक्त शादी मगरबी दिवार से आग का बंद करना यानि लड़की के खानदान में अगर जद्दी मकान ले पश्चिमी हिस्से में (मकान की छत पर बैठ कर पूर्व को मुँह करते हुए) रसोईखाना हो तो लड़की की शादी से पहले पहले हमेशा के लिए बंद कर दे | ऐसा ही अगर मकान के पश्चिमी भाग में और किसी किस्म की आग कायम रहने का स्थान हो तो वो भी हमेशा के लिए वहाँ से बदल कर कही ओर दे | 


खाना नंबर 12 

खुद ससुराल का दुःख निवारण करने के लिए कच्ची मिटटी की 100 गोलियां बना ले | एक गोली हर रोज दिन के वक्त 100 दिन तक अपने धर्मस्थान में पहुंचाते जाए | यह जरूरी नहीं कि हर रोज 100 दिन लगातार एक ही धर्मस्थान में जाया जाए | धर्मस्थान बदला जा सकता है मगर नागा न होने पाए | 

S Kuber RA
Jyotish Acharaya 
Vedic & Lal Kitab Astrologer 
Lal Kitab Vastu Consultant
  

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