Thursday, 6 September 2018

लाल किताब पक्का घर खाना नंबर 2


लाल किताब पक्का घर खाना नंबर 2 


1)    गुरु का घर धर्मस्थान, मंदिर, उम्र बुढ़ापा

2)    घर चल कर ( वर्षफल में भी ) जो दूजे आवे ग्रह किस्मत बन जाता है, खली पड़ा जब घर दसवां सोया हुआ कहलाता है |

3)    बुनियाद घर दो की नोवें लेते, तो दो की बुनियाद घर चार का है |

4)    हवा (गुरु) बारिश जो खाना नंबर 9 ( गुरु का घर ) से उठती टक्कर 2 पे खाती है, आठ पड़ा घर जब तक खाली, असर भला ही करती है |

5)    जाती असर घर दो का नेक हो अपना, तो वक्त बुढ़ापे बढता है |

6)    खाना नंबर 8 देखता है 2 को ओर खाना नंबर 2 देखता है 6 को तो इस तरह खाना नंबर 2 का 6 ओर 8 से बाह्मी ताल्लुक हो जाता है | खाना नंबर 8 खाली तो खाना नंबर 2 उम्दा होगा मगर जब दो भी खाली तो सबकुछ उम्दा होगा |

7)    गुरु खाना नंबर 2 में ओर 8 खाली तो गुरु राहु के सम्बन्ध में मंदा फल ही देगा 

8)    खाना नंबर 9 मे बैठा ग्रह (गुरु के घर में होने की वजह) से बारिश से लदी हुई हवा खाना 2 को भेजेगा ओर अगर दो में भी ग्रह हो खासकर 9 का मित्र ग्रह हो तो बहुत ही नेक फल होगा

9)    ग्रह मुश्तरका बुरा नहीं करते बंद मुटठी के खानों में, फल 211 अपना अपना धर्म मंदिर गुरुद्वारा में |

10)   शान समंदर घर नोवें का या फल उम्र हो पहली का, घर दो का फल जो होवे वो हो उम्र बुढ़ापे का |

11)   इस घर में बुरे ग्रह या पापी ग्रह खुद टेवे वाले पर मंदा असर न देंगे बल्कि राहु भी इस घर में गुरु के मातहत होगा |

12)   सब ही ग्रह अपना अपना तमाम फल जो खाना नंबर 2 का लिखा है वो टेवे वाले के उम्र के आखिरी हिस्से में देंगे | मसलन शनि का खाना नंबर 9 का जो फल लिखा है 60 साल उम्र के शुरू से गिन कर 60 साल बुढ़ापे तक पर शनि खाना नंबर 2 में हो तो वही फल मौत के दिन से गिनकर उल्टा 60 साल तक मिलेगा | इसका मतलब यह है हर ग्रह खाना नंबर 2 का असर जो खाना नंबर 9 का लिखा है वो जवानी से उम्र बुढ़ापे में मिलेगा |

13)   इस घर में बैठे ग्रह उम्र बुढ़ापे में हमेशा नेक फल देंगे ख्वा वह किसी दुसरे असूलों से कितने ही मंदे क्यों न हो रहे हो |

14)   जैसा भी गुरु टेवे में होगा वैसे ही हवा के झोंके साथ होगे |

15)   आँखों की दोनों भवों का मध्य भाग जहाँ से नाक शुरू होता है जो आज्ञा चक्र का स्थान भी है वो ही खाना नंबर दो है जिसे चंद्र उच्च करता है ओर चन्द्र ही आज्ञा चक्र का मालिक भी है | यही तिलक लगाने की जगह भी है ओर यहीं से ईश्वर के देवी प्रकाश हमारे शरीर में परवेश करता है | यहीं पर तीनो नाड़ियाँ भी मिलती है ओर वो ॐ जैसी आकृति भी बनाती हैं |  इडा, पिंगला ओर शुषमुना |

16)   इस तिलक लगाने के स्थान को छोड़ कर बाकी जगह पेशानी कहलाएगी जो कि खाना नंबर 11 है (खाना नंबर 11 में जिक्र है)

17)   खाना नंबर 2 का मालिक शुक्र ग्रह है जो की मुश्तरका मसनुई राहू केतु की बैठक माना है | खाना नंबर 8 का असर जाता है 2 में ओर खाना नंबर 2 देखता है 6 को इसलिए 2 का फैसला 2,6,8 को साथ मिला कर होगा | ओर दुसरे शब्दों में अगर खाना नंबर 8 को राहु केतु की शनि के साथ होने की बैठक माने तो उस बैठक या मौत के खाने का दरवाजा खाना नंबर 2 सिर्फ राहु केतु (मसनुई शुक्र का घर) की मुश्तरका बैठक होगी जिसमे शनि का कोई दखल न होगा |

18)   दुनिया से बाहर खाना नंबर 8 ओर दुनिया के अन्दर (इस संसार में आने का रास्ता ) खाना नंबर 11 है, गुरु की ताकत | खाना नंबर 5 भविष्य ओर खाना नंबर 9 भूतकाल ओर वर्तमान खाना नंबर 1 या बंद मुटठी के खाने |

19)   थोड़े शब्दों में कहे तो खाना नंबर 4 ने (जो चन्द्र माता का घर है ) अपनी नेकी न छोड़ी उसी तरह ही खाना नंबर 2 ने अपना कुल दुनियाँ से ताल्लुक न छोड़ा |

20)   हमारी नाभी जिस्म का दरमियान था ओर बंद मुटठी के खानों में खाना नंबर 4 बच्चे के साथ लाए हुए खजाने का भेद था तो तिलक की जगह (याने खाना नंबर 2) बाकी सब तरफ से मिलने वाले खजाने का भेद था | इन दोनों याने खाना नंबर 2 ओर 4 का मुश्तरका असर किस्मत का करिश्मा हुआ जो 2 (ग्रहफल) ओर 4 (राशिफल)  का निचोड़ भी कहा जा सकता है |

21)   खाना नंबर 4 बढाता है चन्द्र को ओर खाना नंबर 2 बढाता है गुरु को ओर दोनों मिले मिलाए चन्द्र माता गुरु पिता या माता पिता याने वालदैन | अकेला गुरु जो दोनों जहानों ( यह संसार ओर गैबी संसार ) का मालिक है बच्चे की मदद के लिए खाना नंबर 5 में सूरज के साथ ओर खाना नंबर 11 में शनि के साथ जा मिलता है (तभी तो दोनों घरो का कारक है)

22)   खाना नंबर 2 में केतु हर तरफ से अकेला नेक हो तो जातक शासक प्रसिद्ध होगा |

23)   जिस तरह सिर के ढांचे (खोपड़ी) का मालिक बुध है ओर उसके अन्दर हवाई ख्याल की लहरें पैदा करने की ताकत का मालिक राहु है इसी तरह इंसानी दिल का मालिक चन्द्र है जिसके अन्दर लहरों को उछालने या गिराने  की ताकत ग्रह चाली पाप राहु केतु दोनों मुश्तरका है | इस पाप की बैठक खाना नंबर 2 ( जिसमे शनि का ताल्लुक नहीं ) इंसानी अंगूठे पर भी मानी है | नाडी वाले ज्योतिषी अंगूठे के निशान से ही पत्ता निकालते है |

24)   अंगूठा जिस कदर लम्बा होगा खुद पर (संभोग वगैरा) काबू पा लेने की शक्ति का मालिक होगा |

25)   अंगूठा जिस कदर ज्यादा मोटा होगा उसी कदर ज्यादा निर्धन होगा |

26)   अंगूठा जिस कदर छोटा होगा उस कदर ही ज्यादा वहशी व हैवानी ताकत ज्यादा होगी, तंग हौंसला जिद्दी होगा |

27)   अंगूठा जिस कदर सीधा रहता हुआ मालूम हो ओर नाखून वाली पोरी पीठ की तरफ झुकी रहे तो इसका धन दौलत दूसरों दुनियावी साथिओं के काम बहुत लगे, खुद नरम दिल होगा |

28)   बीच वाली  वाली पोरी अगर ज्यादा लम्बी हो तो तर्क दलील शक्ति ओर होनहार प्राणी होगा |

29)  आखिरी पोरी ज्यादा छोटी हो तो उसी कदर ही ज्यादा जादू मंतर की ख्वाहिश ओर जन मुरीदी (औरतो के पीछे भागने वाला ) में गर्क रहने वाला होगा |

S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant

पक्का घर खाना नंबर 2

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