लाल किताब
बृहस्पति खाना नंबर 5
मनुष्यता का स्वामी, इज्जत मान वाला, ब्रहम ज्ञानी परन्तु आग
की बांस, गुस्से वाला
धर्म नाम पर मांग, दुनिया को खाता,
इसासा ही है बेच, अपना वह जाता
(इसासा मतलब मूल रूप से या आधार)
गुरु नंबर 5 के समय बुध की जैसी हालत होगी गुरु के प्रभाव
में वैसे ही अच्छे या मंदे चक्कर चल रहे होंगे |
नाक की हर नेक व मंद हालत जैसी हो वैसा असर डालेगी |
1) नाक
अगर लम्बी, नीचे को झुकी हो तो बुद्धिमान, धन-मान प्राप्त
2) तोते
की चोंच की भांति तो परहेजगार
3) छोटी
तो धर्मात्मा
4) लम्बी
व चोडी तो मेहनती मगर छुप कर काम करने वाला
5) लम्बी
ओर पतली तो बहादुर
6) बहुत
लम्बी तो ऐयाश लज्जाहीन व गरीब
7) गोल
बड़ी मोटी नाक तो नेक व्यवहार करने वाला
8) छोटी
व चपटी तो नेक व शाहाना स्वाभाव
9) मुंह
की तरफ झुकी तो सम्भोग पसंद
10) मोटी,
छोटी बैठी हुए नाक तो कम अक्ल, कामकाज में परेशानी
11) बारीक
नाक तो नेकनीयत मगर अक्ल कम
12) मध्य
साईज मगर अन्दर को झुकी तो कम अक्ल व गरीब
13) बीच
में चोडी, सिरे से तंग या बीच में बैठी हुई नाक तो बदनसीब, मनहूस
14) बीच
में ऊँची ओर सिरे से तंग तो धनवान
15) बहुत
छोटी तो बुरी अक्ल, धोखेबाज
गुरु खाना नंबर 5 नेक हालत
बढे जितनी संतान, भाग्य हो बढ़ता, अक्ल जोर संसार, न कुछ काम
करता |
अपना भाग्य का उत्तम प्रभाव अपनी संतान से होगा | इमानदारी
के काम, व्यापार, सांसारिक धंधा बढ़ता रहेगा | जवानी में संतान की आवश्यकता को
मानते हुए उनकी कदर करने से बुढ़ापा उत्तम होगा | गुरूवार को लड़के के जन्म से पिता
पुत्र भाग्य के मैदान में दो शेरो की भांति हो जाएगे | ऐसे पुत्र से पहले भाग्य सोया
हुआ मानेगे | 2,9,11,12 में यदि गुरु के मित्र हो तो उनकी सहायता मिलती रहेगी |
चाहे ऐसा व्यक्ति गुस्से से हरदम जलने वाला हो मगर पूर्ण
ब्रहम होगा | दूसरों का मान करने वाला, अपनी ड्यूटी का पूरा पाबंद | अन्दर – बाहर
दोनों ओर से उत्तम जातक |
1) जब
सूर्य, चन्द्र, बुध ओर पापी उत्तम हो तो बिना औलाद कभी न होगा प्रसन्न चित
भाग्यवान होगा |
2) जब
राहू उत्तम हो तो सरदार या हाकिम फ़ौज का बड़ा अफसर होगा | जातक के साए में कई प्राणी
आराम करते होंगे ओर उसकी संतान के लिए प्राथनाएँ करते होगे |
3) जब
मित्र ग्रह सूरज, चन्द्र, मंगल खाना नंबर 9 में हों तो धन ओर संतान मंदे न होंगे |
अपना कुल (वंश) आगे बढता रहेगा | यदि वह घोड़े की लीद में मानिक तो पत्थर में मोती (परन्तु
यदि पुरखे निर्धन हो, यह शर्त न होगी) | वीरवार को संतान उत्पन्न होने से उसकी
समुद्री बेडी बड़े बड़े जहाजों का काम देगी | परन्तु आगे संतान होने पर सब प्रकार से
दुःख नरक घेर देगा |
4) जब
2,5,9,11,12 में बुध, शुक्र, राहू, शनि न हो (पापी हो कर) तो बाप से ले कर पोते तक
सब सुखी ओर गुरु नंबर 9 की तरह का उत्तम फल होगा |
5) जब
शनि नंबर 9 में हो या वर्षफल में आ जाए तो शनिवार को पैदा हुए लड़के के जन्म दिन से
उत्तम शनि का 60 साला उत्तम प्रभाव होगा परन्तु अब गुरु से सम्बंधित वस्तुए
रिश्तेदारों या कामकाज से कोई लाभ न होगा |
6) शनि
अगर कुंडली में उत्तम हो तो इज्जत मान बढेगा | गुरु ओर भी उत्तम हो जाएगा |
गुरु खाना नंबर 5 में मंदी हालत में
1) जब
केतु खाना नंबर 11 में हो तो धर्म के नाम पर मांग कर खाना या दान लेना उसे निसंतान
करेगा ओर बिना कफ़न मरने की पहली निशानी होगी | बच्चे मुर्दा ही पैदा होंगे
2) कुंडली
में केतु अगर मंदा हो तो संतान मंदी होगी |
3) जब
2-5-9-11-12 में शत्रु ग्रह बुध, शुक्र, शनि, राहू हो तो औलाद चाहे मंदी न हो
परन्तु वह स्वयं अपना बेडा गरक करने वाला नाविक होगा ओर 25 (शुक्र) 34 (बुध) 42 (राहू)
48 (केतु) शनि 36 से 39 साला आयु के बाद हालत अच्छी होगी | यह निर्भर करेगा की कौन
से ग्रह मंदा हो कर गुरु के घरों में बैठा है | केतु अगर मंदी हालत का हो ओर खाना
नंबर 5 / 9 में न भी हो (यानि गुरु के साथ या गुरु की दृष्टि में) तो भी गुरु जब
भी वर्षफल में बर्बाद हो तो उसका बुरा प्रभाव सदा मामा या मामा की संतान पर होगा
ओर स्वयं जातक पर कोई प्रभाव न होगा | ऐसे
समय केतु का उपाय लाभदायक होगा |
4) जब
राहू नंबर 9 में बैठ जाए तो गुरु चुप ही रहेगा मगर गुम न होगा |
5) जब
राहू कुंडली में मंदा हो तो भिक्षा के लिए दौड़ता साधु, मंदी हवा के झोंके, सब ओर
तंगी हो तंगी होगी |
S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
No comments:
Post a Comment