लाल किताब अध्याय 6
फरमान नंबर 7
ग्रह और घर की उम्र
खाना नंबर 1 की उम्र 100
खाना नंबर 2 की उम्र 75
3 की 90
4 की 85
6 की 80
10 की 90
12 की 90 साल
गुरु की उम्र 75 साल
बुध और केतु की 80 साल
शुक्र और चंद्र की 85 साल
शनि, मंगल और राहु की 90 साल
स्त्री ग्रह जब मिले नरो से मिले तो उम्र 96 होती है
साथ मिले जब बुध पापी का वही 85 होती है
रवि मालिक है पूरी सदी का उम्र लम्बी होती है
ग्रहण हो जब रवि चंद्र को, साल तीन कम होती है
इस जगह लिखी हुई उम्र ग्रह और राशि की अपनी अपनी उम्र है मगर इन उम्रों से इंसानी उम्र की कोई हदबंदी नहीं | मसलन खाना नंबर 1, जिसकी उम्र 100 साल है, में गुरु बैठा हो जिसकी उम्र 75 साल है तो मतलब यह है कि ऐसे टेवे वाले का गुरु ज्यादा से ज्यादा अपनी गुरु की उम्र तक यानि 75 साल तक अपना भला या बुरा असर देगा जैसा भी वो टेवे में हो | इसी तरह खाना नंबर 6 में जिसकी उम्र 80 साल है, में सूर्य बैठा हो जिसकी उम्र 100 साल है तो सूर्य नंबर 6 का फल 80 साल तक मिलेगा | यानि ग्रह और राशि की उम्र मिल कर कटती है |
राशि, उसका मालिक ग्रह, उस राशि में उच्च-नीच ग्रह, ग्रह का पक्का घर, उस घर में किस्मत को जगाने वाला ग्रह, ग्रह फल और राशि फल का ग्रह
राशि नंबर | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 |
राशि नाम | मेष | वृषभ | मिथुन | कर्क | सिंह | कन्या | तुला | वृश्चिक | धनु | मकर | कुम्भ | मीन |
मालिक ग्रह | मंगल | शुक्र | बुध | चंद्र | सूर्य | बुध | शुक्र | मंगल | गुरु | शनि | शनि | गुरु |
उच्च ग्रह | सूर्य | चंद्र | राहु | गुरु | बुध/राहु | शनि | मंगल | शुक्र / केतु | ||||
नीच ग्रह | शनि | केतु | मंगल | केतु, शुक्र | सूर्य | चंद्र | गुरु | राहु, बुध | ||||
पक्का घर | सूर्य | गुरु | मंगल | चंद्र | गुरु | केतु | शुक्र, बुध | शनि, मंगल | गुरु | शनि | गुरु | राहु |
किस्मत को जगाने वाला | मंगल | चंद्र | बुध | चंद्र | सूर्य | राहु | शुक्र | चँद्र | गुरु | शनि | गुरु | केतु |
ग्रह फल का | मंगल | राहु, केतु | शनि | चंद्र | गुरु, सूर्य | बुध, केतु | शुक्र | मंगल | गुरु | शनि | गुरु, शनि | राहु |
राशि फल का | राहु | शनि दौलत के लिए | मंगल, शुक्र, केतु | नर ग्रह, शनि | सूर्य, गुरु, राहु | शनि,बुध | केतु | बुध |
लाल किताब में किन-किन ग्रहों का किस-किस घर में उपाय लिखे है, निम्नलिखित है
नीच ग्रह से मुराद होगी सबसे नीच या मंदी हालत आखिरी कम दर्जे की हदबंदी मंदे अर्थों में
घर का ग्रह से मुराद होगी औसत दर्जे का नेक अर्थो में
7 ग्रह और 12 राशियाँ या 12 X 7 = 84 की योनि का जंजाल या रात दिन में 84 लाख साँस का मसला अजीब पैदा पैदा हो चुका है | जीवन का हर 7 वा / 8 वा साल बदलाव या तबदीली का होता है | 12 साल बाद भी हालत में तबदीली होती है |
इसी असूल पर ग्रह और राशि का इक्कट्ठा असर लेते है | खाना नंबर 2 (गुरु का पक्का घर) को कोई ग्रह नीच नहीं करता | खाना नंबर 2 राहु - केतु की मुश्तरका (इक्कट्ठे) बैठक है (राहु-केतु, शुक्र के बनावटी ग्रह है, शुक्र जो खाना नंबर 2 का मालिक है) | दोनों ही यहाँ ग्रह फल के होते है | इस खाना के ग्रह अपना अपना या अपने अपने कर्मो पुण्य पाप का बजाते खुद अपनी जान से मुतल्ल्का (सम्बंधित) के खुद अख्त्यारी है |
खाना नंबर 5 (गुरु का पक्का घर) को न कोई उच्च करता है न कोई नीच | इस घर में बैठने वाला ग्रह अपनी खुद जाती कमाई की किस्मत का ग्रह होता है |
खाना नंबर 11 (गुरु का पक्का घर) को भी कोइ उच्च/नीच नहीं करता | यह आम दुनिया मुतल्ल्का से किस्मत का लेन-देन है |
खाना नंबर 8 को कोई उच्च नहीं करता | मौत को कोई मार नहीं सकता सिवाए चंद्र के जो दिल की शांति व गैबी (रहस्यात्मक और ईश्वरीय) मदद है | (भगवान् शंकर भोले नाथ चंद्र के मालिक है)
इस दुनिया को अगर माता माने तो सब इंसान माता के पेट में रहने वाले बच्चे |
गौर से देखे तो खाना नंबर 12 राहु का पक्का घर है और वो यहाँ नीच भी है | इसी तरह खाना नंबर 6 केतु का पक्का घर भी है और नीच घर भी है | इसका मतलब यह है कि
राहु जब गुरु के खाना नंबर 12 में होगा तो हालांकि राहु और गुरु दुश्मन नहीं और बराबर के ग्रह है | राहु के वक्त (जब राहु और गुरु इक्कट्ठे हो) तो गुरु चुप हो जाता है | राहु को आसमान (खाना नंबर 12) नीला रंग माना है | गुरु की हवा को जब आसमान का साथ मिले या ज्योँ ज्योँ हवा आसमान की तरफ ऊँची होती जाएगी तो हल्की होती जाएगी और दुनिया में रहने वालो के लिए साँस लेने के सम्बन्ध में निक्कमी होती जाएगी | लेकिन जब गुरु की हवा नीचे की तरफ होती जाएगी तो केतु का साथ होगा (खाना नंबर 6) तो हर एक प्राणी की मददगार होगी | | इसी असूल पर राहु के साथ जब गुरु हो तो न सिर्फ गुरु का असर चुपचाप बंद हालत का होगा बल्कि राहु का अपना असर बुरा होगा दम (साँस गुरु की ताकत) घुटने पर या दम घुट जाने पर नतीजा मंदा होगा | इसके उल्ट राहु को अगर बुध के खाली आकाश में खुला मैदान मिलता जावे मगर वो खाना नंबर 12 के माने हुए आसमान के बजाए बुध के खाली आकाश में हो तो राहु का फल जरूर ही अच्छा होगा बल्कि उम्दा असर देगा | दूसरे शब्दों में कहे तो राहु को बुध के घर खाना नंबर 6 या बुध का साथ मिले तो नेक असर देगा | ओर राहु तो है भी बुध का दोस्त इसलिए दोनों के बाहम (आपसी) साथ से दोनों का फल उम्दा होगा | या यूँ कहे कि दोनों खाना नंबर 6 में उच्च होंगे | दोनों का फल खाना नंबर 12 में मंदा होगा क्योंकि दोनों वहाँ नीच भी है | राहु को फर्जी तौर पर आसमान माने तो यह फर्जी दिवार (या दोनों जहाँ में आने जाने का रास्ता या दरवाजा) गुरु को साफ़ कह देगी हे बृहस्पति कि तू मेरे ऊपर गैबी जहान (ईश्वरीय) या मेरे नीचे इस इंसानी दुनिया में से एक तरफ का हो जा | राहु ने गुरु को दो जहानो में से एक तरफ का कर दिया | दूसरे शब्दों में कहे तो राहु का साथ होने पर गुरु दोनों जहानो में से एक तरफ का मालिक रह जाता है या दोनों में से एक तरफ के लिए गुरु चुप ही गिना जाता है |
इसी तरह केतु
केतु जब बुध के साथ या उसके खाना नंबर 6 में हो तो नीच होगा | लेकिन जब गुरु का साथ मिले तो उच्च होगा | केतु और गुरु बराबर का फल देंगे | राहु, केतु चूँकि अपने से सातवे के असूल के ग्रह है इसलिए राहु अगर बुध के खाना नंबर 3/6 में उच्च है तो केतु यहाँ नीच होगा | इसी तरह केतु गुरु के घर खाना नंबर 9/12 उच्च है तो राहु यहाँ नीच होगा | राहु-केतु को अपने दायरे में चलाने वाला बुध है |
बुध हो जब राहु के पक्के घर खाना नंबर 12 में तो नीच होगा क्योंकि खाना नंबर 12 बुध के शत्रु, गुरु का है | बुध हो जब केतु के पक्के घर खाना नंबर 6 में तो उच्च होगा और यह तो बुध की अपनी राशि भी है | | बुध और केतु बराबर के ग्रह है | दोनों ही शुक्र के दोस्त ग्रह है | बुध-केतु खाना नंबर 6 में हो तो बुध तो उच्च का है | लेकिन केतु-शुक्र खाना नंबर 6 में दोनों नीच है | गुरु के साथ या गुरु के घरों में राहु बुरे फल का और नीच होगा | बुध के साथ या बुध के घरो में केतु हो तो कुत्ता (केतु) का सिर (बुध) पागल होगा या नीच फल का होगा |
खाना नंबर 6 के इक्कट्ठे मालिक केतु (पक्का घर) और बुध (राशि का मालिक) माने गए है | अगर बुध अपने दूसरे घर यानि खाना नंबर 3 में बैठ जाए और खाना नंबर 6 खाली हो तो नंबर 6 का मालिक केतु लेंगे | जब बुध तीन में न हो तो खाली खाना नंबर 6 का मालिक वो ग्रह लेंगे जो टेवे में उम्दा हो | इसी तरह खाना नंबर 12 की इक्कट्ठे मालकियत राहु और गुरु की है | अगर गुरु अपने दूसरे घर यानि नंबर 9 में हो और खाना नंबर 12 खाली हो तो नंबर 12 का मालिक राहु होगा | लेकिन जब गुरु 9 में न हो और खाना नंबर 12 खाली हो तो 12 का मालिक खाली आकाश यानि बुध लेंगे (जिसके मसनुई ग्रह गुरु-राहु है जो खाना नंबर 12 के इक्कट्ठे मालिक है)
अगर कुंडली में राहु खाना नंबर 12 में नीच हो तो बुध टेवे में जैसा हो, राहु का वैसा फल मिलेगा | केतु 6 में नीच हो तो गुरु कुंडली में जैसा हो वैसा फल केतु का मिलेगा |
कुंडली के घरों को अगर एक मकान या ईमारत माने तो राशि का मालिक से मुराद होगी तह जमीन और ईमारत से मुराद होगी उस पक्के घर का मालिक | मसलन खाना नंबर 11 का राशि का मालिक है शनि तो हम कहेंगे की इस मकान की जमीन सफ़ेद पत्थर या लकड़ी, लोहा की है क्योंकि राशि का मालिक शनि है | यह गुरु का पक्का घर है तो कहेंगे की ईमारत सोने की जर्द (पीली) है |
S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
लाल किताब अध्याय 6
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