लाल किताब अध्याय 7
बारह ही पक्के घर
इकट्ठे
1) धन की थैली सातवे होवे
2) घर 8 वें से उम्र मिले तो, बने महल घर दुसरे
है
3) घर पांचवा औलाद का गिनते, 11 होता घर धर्मी है
4) अंग जिस्म घर पहले होते, साथ लगी 9 बुजर्गी है
5) चश्मा दौलत घर चोथे निकले, मैदान रिजक घर 10 का हो
6) आखिर वक्त घर तीसरे चलते, ख्वाब पाया घर बारह हो
7) खरबूजा देख खरबूजा पके, 9 पहले ओर 7, 11
8) चोरी टोली एके बोला, बुध, शनि और शुक्र
यारां
जिस्मानी (शारीरिक)
नंबर 2,6,12 तीनो में ही कोई न कोई ग्रह जरूर हो तो
दरियादिली की शक्ति ओर चाल चलन उम्दा होगा |
रूहानी
(अध्यात्मिक)
नंबर 2, 8 दोनों में कोई न कोई ग्रह जरूर हो ओर नंबर 8 का असर नंबर 2 में पहुँच रहा हो यानि 11 में नंबर 8 का दुश्मन न हो
तो अक्ल की बारीकी और ख्याल शक्ति उम्दा होगी | खाली खाना नंबर 2 रूहानी ताकत | खाना नंबर 1 से 3 पहली अवस्था (25 साल तक),
4 से 6 दूसरी अवस्था (25-50), 7-9 तीसरी (50
-75) ओर 10 से 12 चौथी अवस्था (75 – 100)
नफसानी (भोग की,
सेक्स ) इन्द्रीय वासना
खाली खाना नंबर 12 नफसानी ताकत का होगा | खाली खानों के लिए आम तौर पर खाली खानों की हालत में खाली
नंबर वाली राशी का मालिक ग्रह लेते है | खाना नंबर 6 और 12 में बुध
व बृहस्पति के साथ केतु ओर राहु का निवास भी माना है | इसलिए हर दो में से कौन सा एक होगा ? बृहस्पति जब अपनी दूसरी राशि (यानि खाना नंबर) 9 में हो तो खाली खाना का मालिक राहू होगा |
इसी तरह जब बुध अपनी दूसरी राशी यानि 3 में हो तो खाली खाना नंबर 6 का मालिक केतु होगा | गुरु 9,
12 में से किसी जगह भी न हो तो खाली खाना नंबर 12 में गुरु ओर राहु दोनों ही मुश्तरका या मसनुई
बुध होगा |
बुध 3, 6 में से किसी जगह भी न हो तो खाली खाना नंबर 6
में बुध केतु दोनों के मुश्तरका हो सकते है
(असर के लिए) ( क्योंकि बुध – केतु, राहू – गुरु की तरह कोई मसनुई नहीं बनाते) |
लेकिन जब बुध उम्दा ओर
जबरदस्त हो ओर केतु कमजोर, मंदा तो ऐसी हालत
में खाली खाना नंबर 6 का मालिक एक ही
जबरदस्त उम्दा ग्रह, जो कि बुध होगा |
उल्ट हो तो केतु लेगे | ऐसा इस लिए किया क्योंकि खाली खाना नंबर 6 हमेशा नेक मायनो में लेते है | इसीलिए कमजोर मंदे ग्रह को न लेंगे | खाली खाना नंबर 9 का मालिक गुरु ओर खाली खाना नंबर 3 का मालिक बुध लेगे | बाकी खाली खानों के लिए उस खाली राशी का मालिक ग्रह लेंगे
सोए हुए पक्के घर
या पक्के घरों में बैठे सोए हुए ग्रह
ग्रह सोए हुए या
घर सोए हुए से अभिप्राय यह है वह ग्रह या घर सब कुछ होते हुए भी अपना कोई नेक असर
न देगा
एक अकेला न कोई
दुश्मन न ही दोस्ती होती है
रियाया (प्रजा)
बना न राजा कोई, न ही वजीरी होती
है
1 से 6 तक तरफ जो पहली हिस्सा दायाँ कहलाती है
बाद के घर 7 से 12 तरफ बाईं हो जाती है
तरफ पहली न ग्रह
हो कोई, बाद के घर सोये होते है
घर जब बाद का
खाली होवे, तरफ सोई पहली गिनते है
जिस घर में ग्रह
हो कोई बैठा, जागता घर वह लेते
है
जागे घर न ही असर
ग्रह का, जब तक खाली होते है
ऊँच दृष्टि कितना
ही होवे, निर्बल प्रबल किसी भी घर
घर दृष्टि का जब
तक खाली, असर जावे न दुसरे घर
घर 9,11 गुरु से जागे, चन्द्र से 8, 4, 2 घर
रवि जगाता घर
पांचवा तो शुक्र जगावे 7 वाँ घर
शनि से दसवाँ,
राहु 6 को, बुध जगाता तीसरा घर
मंगल से घर पहला
जागे, केतु जगावे 12 वाँ घर
*नीचे बना
होरोस्कोप घरों को जगाने वाले ग्रह का है
सोया हुआ घर व
सोया हुआ ग्रह
सोया हुआ घर
जिस घर में कोई
ग्रह न हो यां जिस घर पर किसी ग्रह की दृष्टि भी न पड़ती हो तो वह घर सोया हुआ होगा
|
सोया हुआ ग्रह
जिस ग्रह की
(पहले घरो का ग्रह) दृष्टि के मुकाबले पर कोई ग्रह न हो तो वो ग्रह जोकि पहले घरो का है सोया हुआ होगा | कुंडली के खाना
नंबर 1 से 6 पहली तरफ ओर खाना नंबर 7 से 12 बाद की तरफ मानी
गई है | अगर पहली तरफ कोई ग्रह न
हो तो बाद के ग्रह सोए हुए माने जायेंगे | लेकिन जब बाद का घर खाली हो तो पहली तरफ सोई हुए होगी | हर हालत में सोये हुए ग्रह का असर बाद की घर में नहीं जा
सकता | ग्रह बैठा होने वाला घर
हमेशा जागता होगा और पक्के घर का मालिक
ग्रह मसलन शुक्र नंबर 7 या मंगल नंबर 3 में हर हालत में जागता हुआ गिना जाएगा |
जब पहले घरों में
कोई ग्रह न हो तो बाद के घरो के ग्रह सोये हुए माने जाते है | ऐसी हालत में किस्मत के ग्रह (जगाने वाले ग्रह)
की तलाश की जरूरत होगी | अगर बाद के घर
खाली हो तो खाना नंबर को जगाने वाले ग्रह के उपाय की जरूरत होगी जो खाली है |
ग्रह को जगाना ओर खाना नंबर को जगाना दो अलग
अलग बातें है
मसलन नेक शनि 9 वें घर में बैठा है ओर शुक्र अपने मित्र शनि
के घर खाना नंबर 10 में है |
दोनों ही अपने पक्के घरों में नहीं है और पहले घर भी खाली है तो सोये है (खाना नंबर 2 है 10 के लिए और खाना नंबर 3 / 5 खाना 9 के लिए ) तो
दोनों सोये है | तो अब हमें इन
दोनों नेक ग्रहो को जगाना है | अगर शुक्र को
जगाना है तो गाय की सेवा करने से, या शादी करने से
जाग पड़ेगा | शनि को जगाना है
तो मर्द मजदूरों की सेवा करने से या मकान बनाने से जाग पड़ेगा |
दूसरे उदहारण में
बाद के घर खाली है | गुरु नंबर चार का
सोया है ओर सूर्य अपने पक्के घर में है तो जागा हुआ माना जाएगा | अब क्योंकि गुरु के बाद का घर खाली है तो खाना
नंबर को जगाने वाले ग्रह के उपाय की जरूरत होगी जो खाली है | तो खाना नंबर 10 को कौन जगाता है ? शनि तो शनि के उपाय से जागेगा | तो आपने देखा की ग्रह को जगाना ओर खाना नंबर को जगाना दो अलग अलग बातें है |
1) बगैर जगाय हुआ सोया हुआ ग्रह अगर स्वयं जाग उठे
यानि फल देना शुरू कर दे तो ऐसे जागे हुए ग्रह की आम उम्र मसलन शुक्र 3, मंगल 6, केतु 3 साल वगैरा के
आखिरी साल, मसलन शुक्र शादी के तीसरे
साल पर सब ही ग्रह का फल मंदा कर देगा ख्वा (चाहे) वो ग्रह स्वयं जागे हुए का दोस्त हो या
दुश्मन | इसका मतलब विस्तार से
समझे | शुक्र की आयु होती है 25,
26, 27 यानि कुल 3 साल | अगर कुंडली में जातक की शादी पच्चीस साल से पहले हो जाती है
तो इसका मतलब है की शुक्र सोया हुआ था क्योंकि अपने आप तो 25 में जागेगा | माना की शादी 21 साल में हुई तो
शुक्र की कुल उम्र तीन साल है तो शादी की तीसरे साल ( आखिरी साल लेना है ) यानि 24 वे साल में शुक्र का मंदा फल मिलेगा | यहाँ पर तीन जोड़ना है न कि कहेगे कि 21,
22, 23 तो 23 वे साल मंदा फल होगा | इसी तरह सब ही ग्रह की कुल उम्र जोड़ेंगे | मसलन जातक ने मकान बनाया उम्र 26 में | शनि की कुल आयु होती है 36, 37, 38, 39, 40, 41 यानि कुल 6 साल | अब 26 में 6 जोड़ दे तो 32 याने 32 वे साल शनि का सब ही ग्रहों पर मंदा फल होगा |
2) सोये हुए ग्रह को जगाने वाला घर बहैसियत पक्का
घर के मुत्ल्ल्का ग्रह का रिश्तेदार अगर कायम हो तो कोई मंदा असर न होगा | मसलन शुक्र खाना 11 में ओर तीन खाली | तीसरा घर बहैसियत मंगल का पक्का घर है जहाँ से शुक्र पर दृष्टि पड सकती थी |
तो अब अगर शुक्र यानि की पत्नी का मंगल यानि
पत्नी का भाई कायम हो तो इस खुद ब खुद जागे हुए शुक्र का मंदा असर शादी हो जाने पर
न होगा | मसलन शनि हो खाना नंबर 11 में तो शनि याने चाचा का मंगल याने चाचा का
भाई यानि टेवे वाले का पिता या ताया कायम हो तो मकान बनाने पर इस शनि का मंदा असर
न होगा |
3) खाना नंबर 10 में कोई ग्रह न हो तो 2 के ग्रह सोये हुए होगे
खाना नंबर 2 में कोई ग्रह न
हो तो नंबर 10 के सोये हुए
लेंगे
खाना नंबर 2
में कोई ग्रह न हो तो खाना नंबर 9 का नेक फल व्यर्थ ही जाएगा या दुसरे शब्दों में
खाना नंबर 9 का नेक फल सोया
हुआ मान सकते है |
.
ग्रह दृष्टि
हाथों की जो
ऊँगली टेढ़ी हो जाए वो अपनी ताकत छोड़ देती है ओर जिस ऊँगली की तरफ झुक जाए उस ऊँगली
का असर पैदा होगा | ऊँगली के झुकाव से अभिप्राय यह है कि ऊँगली की
बनावट में टेढ़ापन होवे न की झुकाव हो | मसलन पहली ऊँगली जो की
गुरु की ऊँगली है वो अगर दूसरी,
शनि की, ऊँगली की तरफ टेढ़ी हो तो इसका अर्थ यह होगा की कुंडली में गुरु देखता है शनि
को | यह दृष्टि वैदिक की भी हो सकती है |
आम हालत नंबर 1
1,7 घर चौथे दसवे, पूर्ण दृष्टि होती है
5 की 9 वें और 3
की 9, 11 आधी नजर ही रहती है
8, 6 वें दो बैठे 12, नजर चौथाई करते है
केतु राहु और बुध
की नाली, लेखा जुदा ही रखते है
1 ------> 7
3 ------> 9, 11
4 ------> 10
5 ------> 9
6 ------> 12
8 ------> 2
तीर शुरू होने
वाले घर घर से तीर ख़त्म होने वाले घर में असर जाता है ख्वा जन्म कुंडली ख्वा वर्ष
कुंडली | मसलन खाना 3 से तीर खाना नंबर 9, 11 में जा रहा है तो खाना नंबर 3 में बैठे ग्रह का असर खाना नंबर 9, 11 में बैठे ग्रह पर असर करेगा | अगर 3 में बैठा ग्रह 9, 11 में बैठे ग्रह का दोस्त हो तो 9, 11 में बैठे गग्रह का असर
ओर भी उम्दा हो जाता है | लेकिन अगर खाना नंबर 3 का ग्रह उनका दुश्मन हो
तो 9, 11 में बैठे ग्रह का असर ख़राब हो जाता है | 9, 11 में बैठे ग्रह का 3 में बैठे ग्रह पर कोई दखल नहीं गिनते
|
उल्ट हालत ( आम
हालत नंबर 2 )
घर उल्टा 8 दूजे
देखे, न देखे 5 वा,
11 घर
बुध 12 का 6 को
देखे, 9 का (बुध) देखे तीसरा घर
मार इस बुध की
बहुत ही भारी, शनि मारे 6 से (उल्ट दृष्टि से) दूसरा घर
ग्रहों को बाहम
(आपसी) दृष्टि व राशियों (कुंडली के खानों) से ताल्लुक
बात को समझने के
लिए राशी को स्त्री ओर ग्रह को मर्द कहिए | दोनों का मिलाप यानि ग्रह
ओर राशी का मिलाप जेसे मर्द ओर स्त्री का जोड़ा मिथुन राशी जो बुध की है, बुध के खाली आकाश में
शुक्र की गृहस्थी (स्त्री – पुरुष) मोहब्बत हकीकी ओर गैर हकीकी (असली या
नकली) में कुल सृष्टि दुनिया त्रिलोकी (धरती, आकाश, पाताल), तीनो ज़माने या खाना नंबर 3 में मंगल के पक्के
घर में (नेक मंगल जो भाईचारे का प्रतीक है), भाई-बंदी से चल रहा है | इस जोड़े की नियत तीन हिस्सों में बटी समझे :-
1) घर की माल्कियत या साधारण जैसे हर मर्द व औरत
की गिनी जा सकती है | इस का मतलब है की अगर कोई ग्रह अपने घर में है
तो वो साधारण पर ठीक हालत का माना जाएगा |
2) ऊँच हालत की जो हर एक या बाहम एक के लिए दुसरे
की नेक हो सकती है | इसका मतलब है की ग्रह जब उच्च हो तो वो दुसरो
पर, चाहे दुश्मन ही हो, दृष्टि द्वारा मंदा असर
नहीं करता ओर अपना भी उम्दा फल करता है | मसलन राहु खाना नंबर 3
में उच्च ओर 9, 11 में उसके शत्रु या बराबर के ग्रह हो तो वो
उन पर मंदा असर न करेगा |
3) नीच या मंदी ओर दुश्मनी भरी, बुरी या एक के हाथों दुसरे का बुरा करने वाली होगी | इस का मतलब है की नीच या मंदा ग्रह जब दृष्टि डालता है तो दृष्टि डालने वाले
ग्रह पर मंदा असर करेगा | दोस्त हो तो भी कुछ मंदा असर जरूर होगा ओर अगर
दुश्मन तो बेहद मंदा असर होगा |
हर एक राशी के
असर के लिए उसके घर का मालिक ग्रह साधारण या आम हालत (भला या बुरा) | उच्च फल की राशी से मुराद नेक फल देने का ताल्लुक ख्वा राशी को ग्रह के लिए या
ग्रह को राशी के लिए | ओर नीच फल की राशी का ग्रह बुरे असर से
मुत्ल्ल्का होगा या जिसकी ख्वा राशी की इस मुत्ल्ल्का ग्रह के लिए ख्वा ग्रह का
राशी के लिए | नियत बद समझे |
हर एक राशी किसी
ख़ास ग्रह के लिए ख़ास – खास ताल्लुक ( बुरा या भला ) के असर की
होगी ओर हर एक ग्रह किसी खास राशी के लिए
खास ताल्लुक का होगा | इस तरह मुकरर किए हुए जोड़े में से जब कोई ग्रह
अपनी मुकरर राशी के बजाए किसी ओर ग्रह की ताल्लुक राशी में जा बैठे तो वो ग्रह जो
चल कर दूसरी जगह जा बैठा कुंडली वाले की कुंडली की किस्मत पर वैसा ही असर देगा
जैसा की वह दूसरी जगह जा कर हो गया है | इसका मतलब है ग्रह जैसा
भी बैठा है मसलन उच्च, उम्दा, नेक तो अपना भला असर, उस घर का भी भला असर ओर दृष्टि डालने वाले ग्रह को भी मंदा न करेगा चाहे शत्रु
ही हो |
उत्तर भारतीय कुंडली के बारह
खानों को एक बड़े मकान के 12 कमरे माने | हर एक खाना की लकीर इस
कमरे की दिवार समझे तो ख्याल आएगा की कुंडली के अन्दर के चार खाने, बंद मुट्ठी के खाने 1, 4, 7, 10 चार दीवारों वाले चार चकोर खाने है जिसमे साथ लाया हुआ खजाना गिना है
(वैदिक में चार केंद्र कुंडली के पिल्लर) | बाकी के आठ खाने सिर्फ
तीन दीवारों से बने हुए त्रिकोण है | अगर हम चकोर को तिरछा
काटे तो दो त्रिकोण मिलते है उस हिसाब से 8 त्रिकोनो को 2 – 2 कर के मिलाए तो चार ओर चकोर मिलेंगे | तो कुल मिला कर 8 चकोर या
आठ खाने ही मिले | इसका मतलब यह है की बच्चे के कुल आठ खाने है
जिसमे पहला घर अपना जन्म ओर आठवा मौत है |
ग्रहों को लेम्प
माने | हर कमरे (खाना) के दरवाजे किसी न किसी ओर खुलते माने गए है | किसी घर में बैठे ग्रह (लेम्प की तरह ) की रौशनी उस दरवाजे से किसी दुसरे घर
में जा सकती है इसी को कमरे या खाना की दृष्टि कहते है |
खाना नंबर दो में
खाना नंबर 8 से आने वाले असर में तमाम ही पापी ग्रहों राहु, केतु के साथ शनि का भाग भी शामिल है क्योंकि खाना नंबर 8 शनि का घर राहु केतु
इन तीनो की मुश्तरका बैठक है |
अपने से सातवें
घर को देखने वाले खानों के ग्रह यानि खाना नंबर 3, 6 के ग्रह ( 3 देखता है 9
को मगर 9 वा तीसरे को नहीं देखता |
इसी तरह 6 ठा 12 को देखता
है मगर 12 वा छ्टे में अपना असर नहीं मिला सकता सिवाय खाना नंबर 12 का बुध के क्योंकि
बुध को आकाश माना है ओर खाना नंबर 6 को पाताल ओर खाना नंबर 12 आसमान में भी खाली
आकाश होता है | अतः हर सातवें साल तबदीली कर सकते है | खाना नंबर 8 मौत का पीछे को देखने वाले घर के ग्रह हर आठवें साल तबदीली हालात
दे सकते है |
खाना नंबर 12 से
6 को ओर 9 से 3 को देखता हुआ बुध सब ही ग्रहों का फल बेमानी कर देता है ख्वा वो
तमाम ग्रह एक तरफ ओर बुध अकेला ही मुकाबले पर क्यों न हो ख्वा वो दोस्त हों ख्वा
दुश्मन ख्वा वो उसके साथ ही हो या मुकाबले पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता |
खाना नंबर 8
देखता है पीछे को 2 को ओर 2 ने देखा नंबर 6 को तो नंबर 8 का असर नंबर 6 में चला
गया | नंबर 6 ने देखा नंबर 12 को तो अब आठ का असर 2, 6 से होता हुआ 12 में चला गया |
नंबर 8 का अपना असर नंबर
12 में 25% चला गया |
अब नंबर 2 में
100% नंबर 8 का असर मिला है | अब नंबर 2 देखता है 25% नंबर 12 को |
सौ फीसदी ओर अपने
से बाद के सातवे को देखने का फर्क
शत प्रतिशत वाला
खाना नंबर अपने से बाद के खाने में दूध में खांड (गुड) की तरह अपना असर ऐसा का
वैसा ही मिला देता है मगर अपने से सातवे वाला अपने से बाद के घर के असर को उल्टा
कर देता है | गोया दूध का
बर्तन जहरीला कर देता है | दोनों हालत में
दृष्टि का असर तो शत प्रतिशत होता है पर फर्क यह है कि
1) सो फीसदी के असर के खाने सिर्फ बंद मुट्ठी के
अन्दर मुकरर है (1,4,7,10) | मगर अपने से बाद
के खाने बाहर के त्रिकोनो के घर मुकरर है | मुट्ठी के अन्दर अपने से सातवें का असूल न होगा और न ही
बाहर वाले खानों पर सौ फीसदी (नेक कर देने) का असूल चल सकेगा | इसका मतलब यह है की खाना नंबर 1 देखता है 7 को ओर 4 देखता है 10 को तो यह भी तो सातवीं दृष्टि है पर हमने एक
नियम बनाया की जब कहेंगे की 100 फीसदी दृष्टि का
असर तो उससे मुराद होगी की बंद मुट्ठी के खानों की बात हो रही है ओर जब कहेंगे की
अपने से सातवीं दृष्टि तो इसका मतलब होगा कि बंद मुट्ठी से बाहर के खानों की बात
हो रही है |
2) जब कोई ग्रह अपने से बाद के घर को सौ फीसदी की
नजर से देखता है तो वह देखने वाला ग्रह अपने से बाद के घर के ग्रह में (बाद के घर
में नहीं) अपना असर मिला देता है | ओर यह असर ऐसा
मिलाता है कि पहले का असर दुसरे में मिला हुआ मालूम ही न होगा | मसलन अगर हम दूध में खांड यां गुड या चीनी मिला
दे तो दूध चाहे मीठा हो गया पर दूध को देखने से खांड तो न दिखेगी | ऐसी मिलावट को बुध की मिलावट कहते है | याद रखने के लिए ऐसा समझे की मंगल ओर बुध की
मिलावट में फर्क वैसे ही है जैसा उनका स्वभाव है | मंगल अपना अस्तित्व नहीं मिटने देता ओर बुध तो दिमाग से
बच्चा है जी तो जैसी संगत वैसी रंगत | इस पहले वाले ग्रह का अपना असर वैसा ही रहेगा जैसा था | मगर जब कोई ग्रह अपने से सातवें के असूल पर देखे तो देखने
वाले ग्रह का असर इस घर में (ग्रह में नहीं) ऐसा मिला हुआ होगा जैसे एक टांग कटे
हुए आदमी को दूसरी टांग लगा दी गई | दो चीजो का इकट्ठे होकर काम करना मगर अपने वजूद को न छोड़ना ये मिलावट मंगल की
मिलावट कहलाती है | ओर इस पहले वाले
घर के ग्रह का असर बाद वाले के लिए बिल्कुल उल्ट होगा | यानि अगर पहले घर
में बैठे ग्रह का असर वहां पर नेक था तो अब बाद के घर के मिलने के वक्त नेक असर का
उल्ट याने मंदा होगा | मगर पहले का खुद
अपने लिए जैसा था वैसा ही रहेगा |
1) पहले घर के ग्रह का असर बाद के (घर के) ग्रह
में मिल जाने से मतलब होगा की पहले घर के ग्रह वा बाद के घर के ग्रह का असर एक ही
होगा या बाद के घर के ग्रह में पहले घर के ग्रह का असर मिल गया होगा | बाद के घर के ग्रह में पहले घर के ग्रह का असर
ऐसा मिला कि जुदा न गिना गया | लेकिन इस मिलावट
ने बाद के घर में यानि बाद के खाना नंबर में अपना कोई असर न डाला | अगर बाद के घर में कई ग्रह हो तो पहले ग्रह का
असर बाद के घर के सब ही ग्रहों में मिला हो सकता है | पहले घर का ग्रह बाद के ग्रहों का दोस्त या दुश्मन हो तो
अ) पहले ग्रह के घर के ग्रह की जहर मिली तो बाद
के घर के ग्रह आपस में दुश्मन हो जाए
आ) उनमे दोस्ती पैदा करने की ताकत का असर मिले तो
जो पहले दुश्मन भाव के थे अब बाहम (आपस में) दोस्त हो जाए |
2) पहले घर के ग्रह का असर बाद के घर में मिल जावे
(ग्रह में नहीं) से मुराद होगी की बाद के घर के ग्रह अलहदा अलहदा ही रहेंगे |
मगर वो मंगल की बनाई हुई मिलावट की तरह अलग –
अलग होते भी उस आ मिलने वाले ग्रह के असर का
सबूत देंगे क्योंकि इस घर का ही असर आ मिलने वाले ग्रह के असर ने सब के लिए बदल कर
रख दिया या ऐसा कहे की बाद के घर के ग्रहों के लिए वो (उनका) खाना नंबर ही किसी ओर
असर का हो गया जहाँ वो बैठे थे | यानि इन ग्रहों
ने अपना भला असर इस घर की तमाम चीजो पर बदल दिया | जब ग्रह से ग्रह मिला था तो अमली तौर पर यह फर्क हुआ था की
पहले घर के ग्रह ने बाद के घर के ग्रह के असर को बदला था | यानि बाद के घर का असर जिसमे की वो ग्रह (जिसका असर बदला
गया) बैठा था सिर्फ अपना ही बदला हुआ असर इस खाना की सिर्फ उन चीजो पर किया जो
चीजे कि उस असर बदला जाने वाले ग्रह की ओर उस घर की जिसमे बैठा हुआ था | इसका मतलब यह है की, मस्लन (जैसे) खाना नंबर 1 में ग्रह हो तो वो 7 में बैठे ग्रह को देखेगा | खाना नंबर 7 में बैठा हुए
ग्रह का फल अगर नेक था तो उसका नेक असर अपने चीजो और उस खाना की चीजो पर करेगा |
खाना नंबर 1 में अगर उसका मित्र है तो उस मित्र का नेक फल खाना नंबर 7 के ग्रह में मिल गया | अब खाना नंबर 7 का ग्रह अपना बदला हुआ (नेक) असर अपनी चीजो ओर खाना 7 की चीजो पर देगा |
अगर बाद के घर
में बहुत से ग्रह हो तो सबका असर बदला होगा ओर उनका बदला हुआ असर उन चीजो पर होगा
जो चीजे की इस खाना की उन ग्रहों से सम्बंधित हो | मसलन बुध – शुक्र खाना नंबर 7 में ओर सूरज खाना नंबर 1 में (जन्म कुंडली में नहीं हो सकते) तो सूरज ग्रह का असर बुध – शुक्र ग्रह में मिलेगा | अब बुध – शुक्र भी सूरज की
तरह चमकने लगे | उच्च सूरज का असर
खाना नंबर 1 में नेक ही रहा |
तो यही है दूध में खांड 100 फीसदी मिलावट जो ग्रह से ग्रह में होती है न
की ग्रह से घर में |
दूसरी मिसाल है
मसलन शुक्र खाना नंबर 6 में नीच है ओर
खाना नंबर 12 में मंगल बैठा
है | शुक्र मंगल को देखेगा
अपने से सातवे देखने के असूल पर | इस असूल पर शुक्र
का असर खाना नंबर 12 में मिल रहा है
न की मंगल में | हमने पहले पढ़ा था
की अपने से सातवे के असूल में ग्रह का फल उल्ट हो जाता है यानि अगर देखने वाला
ग्रह नेक था तो वो जिस खाना को देखेगा उसका फल उस खाना में उल्टा यानि मंदा होगा |
यहाँ शुक्र नीच है तो खाना नंबर 12 उसका फल उच्च का है पर किस के लिए ? कुंडली वाले के लिए नीच ही रहेगा पर खाना नंबर 12 में बैठे मंगल यानि भाई के लिए उच्च का होगा |
मंगल के लिए खाना नंबर 12 की चीजो का असर नेक फल का हो जाएगा यानि मंगल (भाई) का
गृहस्थ का सुख उम्दा होगा मगर कुंडली वाले का शुक्र वही मंदा ओर नीच रहा |
संक्षिप्त में कहे तो सौ फीसदी की मिलावट की
हालत में कुंडली वाले को जाती अच्छा या बुरा असर मिलेगा मगर अपने से सातवें की
दृष्टि असर करेगी बाद के घर पर जिसकी वजह से उस घर का जो ग्रह उस कुंडली वाले का
जैसा भी ताल्लुकदार हो वे उस घर पर असर देगी | मगर कुंडली वाले पर सीधा असर न होगा | मसलन बाद के घर में सातवीं मिलावट की हालत में
शुक्र है तो असर होगा बाद के घर का शुक्र पर उल्ट कर दिया | औरतजात के ताल्लुकदार या कुंडली वाले के ससुराल पर अपने असर
का उल्ट असर होता होगा | अगर पहले घर का
कुंडली वाले को मंदा फल मिल रहा हो तो उस मंदे फल का उल्ट अच्छा फल मिलता जाएगा
कुंडली वाले के उस ग्रह के मुत्ल्ल्का रिश्तेदार जो बाद के घर के ग्रह से कुंडली
वाले के साथ सम्बन्ध रखता हो यानि मंगल हो तो भाई, बुध हो तो बहन वगैरा |
सेहत, बीमारी, शादी, औलाद, मकान वगैरा खास खास चीजो के लिए दृष्टि
घर अपने से
पांचवे दोस्त, सातवें उलटे होते
है
आठवें घर पर
टक्कर खाते, बुनियाद नौंवे पर
होते है
तीसरे घर के जुदा
जुदा तो, बुध से वो आ मिलते है
घर दस पर बाहम
दुश्मन, धोखा देते या चक्कर है
नर ग्रह बोलते
जुफ्त (जोड़ा) के घर में स्त्री बोलते ताक (जो संख्या दो से विभाजित न हो सके) में
है
बुध बोलता 3,6 में तो, पापी नहीं बोलते 2 में है
स्त्री ग्रह
शुक्र चंद्र
1) दो घरों के दरम्यान जब घर होवे जेसे 3 -
5, दोनों खानों के ग्रह बाहम
मददगार होगे ख्वा दोस्त हो ख्वा दुश्मन हो |
2) 7 वाँ देखने वाले ग्रह देखा जाने वाले घर पर
बैठा होने वाले घर के असर का उल्टा असर देंगे |
3) बंद मुट्ठी की शर्ते जुदा होंगी |
4) 6, 8 वाँ दोनों घरों के ग्रह बाहम टकराव पर होंगे
सिवाय खाना नंबर 9 ओर खाना नंबर 2 के
जिनमे फायदा मिलता होगा |
5) 7, 9 वाँ दोनों घरों के ग्रह बाहम साधारण दोस्ती या
दुश्मनी जो भी हो जावे |
6) आठवाँ ओर दसवाँ दोनों घरों के ग्रह बाहम
दुश्मनी पर होगें
7) खाना नंबर 9 से 6 के बीच में खाने
गिने जिसमे 9 ओर 6 छोड़ दे | तो खाना नंबर 10 से 12 तक 3 खाने | 1 से 5 तक 5 खाने तो कुल 8 खाने बीच में हुए | माना की खाना नंबर 9 में नेक शनि बैठा है 60 साल के असर का
है | खाना नंबर 6 में उच्च बुध बैठा है जो राज योग है | लेकिन अब खाना नंबर 6 वाले याने टेवे वाले के मामू वगैरा बुध के मुत्ल्ल्का
कारोबार करे तो राज योग लेकिन अगर यही मामू शनि के मुत्ल्ल्का काम करे तो वह
बर्बाद होगें | इसी तरह खाना
नंबर 9 वाले रिश्तेदार यानि
टेवे वाले के बजुर्ग, पिता, बाबा वगैरा को बुध के काम न फलेंगे | शनि का काम करने से नेक फल होगा | टेवे वाले के लिए कोई शर्त नहीं | दोनों नेक है |
8) मिसाल खाना नंबर 10 से 5 के दरम्यान खाना
नंबर 11, 12, 1, 2, 3, 4 कुल 6 घर है ओर खाना नंबर 5 से 10 के दरम्यान 6,7,8,9 कुल चार घर है | तो अब खाना नंबर 10 देख सकेगा खाना नंबर 5 को मगर 5 नहीं देख सकता 10 को सिवाए नंबर 5 के चन्द्र के जो नंबर 10 के लिए जहर होगा
| आमतौर पर यह पहले घरों के
ग्रह दुसरे घर वालो को देखा करते है (सिवाए 8 के) लेकिन खाली खानों की हालत में सोए हुए घर या सोए ग्रह
देखने के लिए उपाए की शर्त आगे पीछे दोनों ही तरफ चला कर देखी जाएगी |
योग दृष्टि बवक्त
सेहत बीमारी
1) एक दुसरे से त्रिकोण में बैठे ग्रह परस्पर
मददगार ख्वा दोस्त ख्वा दुश्मन | मसलन खाना नंबर 1 को मदद मिलेगी 9 से ओर 1 मदद देगा 5 को |
2) षडाष्टक योग : मसलन 1 टक्कर मारेगा 8 को ओर 6 मारेगा टक्कर 1 को |
3) अपने से 10 वें धोखा
4) मुश्तरका दिवार वाले ग्रह अगर दोस्त तो मिले
मिलाए गिने जायेंगे मसलन खाना नंबर 1 में मंगल ओर 4 में गुरु |
दुश्मन अलग ही गिनेगे
5) अचानक चोट देने वाले ग्रह जो क्रॉस के घरों में
बैठे है जैसे खाना 1 - 7 ओर 4 -
10 | खाना 2 – 4 ओर 1 – 3 वगैरा |
पहले के घर के
ग्रह से मुराद होगी कि जो देख सकता है बाद के घर के ग्रह को ओर बाद के घर से मुराद
होगी जो देखा जा सकता है मसलन खाना नंबर 1 में सूरज, 7 में शनि ओर 10
में मंगल तो बाद के घर से मतलब खाना नंबर 7
है न की खाना नंबर 10 |
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