लाल किताब
चंद्र
आयु की किश्ती का
समुन्द्र, जंगल की धरती माता,
दयालु शिवजी भोलेनाथ
बढे दिल मोहब्बत
जो पाँव पकड़ती, उम्र नहर तेरी
चले जार उछलती |
दिल का स्वामी
चंद्र है जो सूर्य से रौशनी लेता है और संसार में उसका छोटा राजा है | सूर्य चाहे कितना ही गर्म हो कर आज्ञा दे लेकिन
चंद्र उसे ठन्डे दिल और शांति से पूरा करता है | और सदा सूर्य के पैरों में रहना पसंद करता है | स्त्री (शुक्र), माई (चंद्र), साले-बहनोई (मंगल नेक), अपने भाई (मंगल
बद), गुरु तथा पिता (बृहस्पति),
सबके सब इस दिल के दरिया या चंद्र रेखा की
यात्रा को आते है जो सूर्य की चमक से दबी हुई आँखों (शनि), और दिमाग (बुध) को शांति ठंडक (चंद्र का प्रभाव) देती है |
या यूँ कह सकते है कि इस दिल के दरिया के इस
किनारे एक संसार के सभी सम्बन्धी और दूसरी ओर मनुष्य का अपना शरीर तक आत्मा (सूर्य), आँखे (शनि), दिमाग (बुध) बैठे है और दिल रेखा उन दोनों के बीच चलती हुई
दोनों ओर से अपनी शक्ति से आयु बढ़ा रही है | या मनुष्य के शरीर को बृहस्पति की हवा के सांस से हिलता
रखने वाली चीज यही दिल रेखा है | अतः कईओं ने दिल
रेखा को आयु रेखा भी माना है और इसके मालिक चंद्र की कील से आयु के तालों की
हदबंदी बाँधी है |
चाँदी की तरह
चमकती चांदनी रात चंद्र का राज्य है जिसके शुरू में राहू, अंत में केतु और बीच में शनि स्वयं रखवाला है | यानि पापी (शनि, राहू , केतु) तीनो एक
साथ अपनी जन्म वाली और जगत माता के ही दरबार में हर एक के आराम और स्वयं माता के
अपने दूध में जहर डालने की शरारतों के लिए तैयार रहते है | बेशक दूध (चंद्र) और जहर (पापी ग्रह) मिल रहे है फिर भी
दरिया दिल माता संसार में समुन्द्र के पानी में सूर्य की परछाई अवश्य होगी जिसकी
शरारत के लिए सँसार की हवा या मनुष्य की साँस का स्वामी (बृहस्पति) हर जगह
विराजमान है |
किसी भी ग्रह के
असर के वक्त चाहे उसकी अपनी आयु में हो चाहे वर्षफल में तीन हिस्सों में बटा होता
है | चंद्र के असर के वक्त
जैसे 24 वे साल में, पहले 4 महीने वैसा फल होगा जैसा गुरु कुंडली में बैठा हो, फिर अगले चार महीने जैसा की सूर्य हो फिर आखिर के चार महीने
जैसा स्वयं चंद्र बैठा हो | चंद्र के प्रभाव
में गुरु, सूर्य, चंद्र तीनो का हिस्सा शामिल होगा |
खाना नंबर 3 में चंद्र हो तो मैदाने जंग में विजयी होगा |
खाना नंबर 7 का चंद्र जैसे माता लक्ष्मी, धन दौलत, खाद्य अन्न की
देवी | नंबर 8 का चंद्र मृत्यु से बचाए और लम्बी आयु दे |
अब सोया हुआ चंद्र भी उत्तम होगा |
फटे हुए दूध से
(मंदे चंद्र से) दही (शुक्र) नहीं जमती या यूँ कहे की फटा दूध, दही (शुक्र) का काम न देगा | यानि मंदे चंद्र वाले को शुक्र के कामो से
फायदा न होगा | मगर चंद्र की
चीजे लाभ देंगी जबकि उन चीजों में चंद्र की सफेदी न मिली हुई हो | पानी की बर्फ लाभदायक हो | मगर आसमानी रंग की बर्फ हानिकारक | चंद्र की स्वछता रंगत की सफेदी है |
आम हालत 12 घर
जिन्दा माता जर
दौलत पहले, दूजे दौलत खुद अपनी हो |
न कमी रिजक की न
चोरी तीजे, चौथे खर्च से दुगनी हो |
तबियत धर्म 5 दौलत चलता, धर्म की आन 6 मंदा हो |
अवतार लक्ष्मी घर
7 में हो तो, मारा हुआ न पाप (राहू -केतु) का जो |
माता मंदी 8 उम्र में, बड़ा मोती 9 माया हो |
दुनिया पानी 10 जहरी समुन्द्र, नाम मात्र घर 11 हो |
आलम माया कुल
दुनियाँ चाहती, कोई चाहे न नर्क
दुःख की हो |
चंद्र 12 की चमक हो ऐसी, जले जलावे हर सुख को वो |
अपने हाथों माता
की सेवा करने का समय 24 साल की आयु
1) कष्ट का समय एक पर ही
मंदा होगा | खानदान नष्ट न
होने देगा |
2) टेवे में जब गुरु पहले
घरों में हो और केतु बाद के घरों में तो चंद्र मंदा ही होगा लेकिन जब तक बुध उत्तम
होगा चंद्र का प्रभाव दूध की भाँति उत्तम ही रहेगा और सोया चंद्र भी उत्तम फल ही
देगा और स्वयं ऐसा चंद्र जागता हुआ घोडा होगा |
3) शुक्र देखे चंद्र को तो
स्त्रियों की उल्ट राय होगी, विरोध होगा |
चंद्र देखे शुक्र को तो फ़क़ीर कमाल का,
सब नशेबाजी का सरदार |
4) जैसी भी टेवे में सूर्य
की हालत हो (सूर्य की छाया) जरूर ही चंद्र के असर में साथ मिलता रहेगा और मंगल बद
(मौत) डर के कोसो दूर भागता होगा |
5) चंद्र के घर अकेला बैठा
ग्रह चाहे कोई भी हो उत्तम फल देगा | जब चंद्र का घर नंबर 4 खाली हो तो
स्वयं चंद्र सारी उम्र नेक फल देगा चाहे कैसी हालत का हो जाए |
6) किसी के पाँव छू कर
आशीर्वाद लेना चंद्र के उत्तम फल को पैदा करने की नींव है |
7) चंद्र से बुध का
सम्बन्ध
चंद्र हो पहले
घरों का और बुध हो बाद के घरों का तो चंद्र का प्रभाव बुध पर प्रबल होगा | छुपा हाल अच्छा मगर सांसारिक तौर पर दोनों का
मंदा फल होगा | यदि बुध पहले और
चंद्र बाद के घरों का हो तो बुध का प्रभाव चंद्र पर प्रबल होगा | नीचे लिखे तीन हालातो में धन की कमी न होगी |
दिल का सम्बन्ध खराब होगा | आत्महत्या तक की नौबत आ सकती है | दृष्टि से आमने सामने तो एक और स्वाभाव वाला
100 % दृष्टि - अति
हानिकारक (सीढ़ीओं (बुध) के सामने कुआँ (चंद्र) खराबी का सबूत होगा
50 % दृष्टि - बहुत हानिकारक
25 % दृष्टि
मामूली हानिकारक
दोनों अकेले
अकेले एक दूसरे के घर में हो जैसे बुध अकेला चंद्र के घर नंबर 4 में या बुध के पक्के घर नंबर 7 में चंद्र अकेला हो तो नेक फल होगा | लकिन अगर मुश्तरका इन घरों में हो तो कभी नेक
फल न होगा |
8) चंद्र से शनि का
सम्बन्ध
चंद्र देखे शनि
को तो चंद्र का अच्छा उत्तम और शनि का मंदा असर होगा |
शनि देखे चंद्र
को तो चंद्र बर्बाद मगर शनि का उत्तम असर पैदा होगा |
दोनों जुदा जुदा
मुश्तरका दिवार वाले घरों में बैठे हो तो आपस में शत्रु होने के कारण जुदा ही
रहेंगे | ऐसी हालात में टेवे वाला
अगर स्वयं ही इन दोनों ग्रहों को मिला दे तो बहुत मंदा असर होगा जैसे कुआँ (चंद्र)
की दीवार फाड़ कर मकान या तहखाना (शनि) बनाना इन दोनों ग्रहों को मिला देगा और दूध
(चंद्र) में जहर (शनि) मिलेगा | माता मर जाए, दौलत और संतान समाप्त हो जाए | बल्कि अधरंग हो कर अपना शरीर भी आधा नाकारा हो जाए आदि बुरे
प्रभाव हो |
9) शत्रु या पापी ग्रहों
(शनि, राहू, केतु) के सम्बन्ध से (साथ-साथी-दृष्टि से) पापी
ग्रहों का असर मंदा लगे और स्वयं चंद्र का दूध फटा हुआ हो तो फिर शुक्र (दही) न
बनेगा बशर्ते उनमे चंद्र के दूध की सफेदी शामिल न हो | जिस प्रकार फटे दूध का पानी अपने दूध की शक्ति फिर भी दे ही
जाता है उसी प्रकार मंदा चंद्र फिर भी दूसरों की भलाई के काम में सहायता जरूर देगा
| यानी मंदे चंद्र वाले को
शुक्र से सम्बंधित काम से फायदा न होगा मगर स्वयं चंद्र की ही चीजे (चाहे चंद्र
मंदा है) बहने वाली पानी आदि से लाभ होगा | जैसे बर्फ जो आसमानी रंग न हो | दूध, सफ़ेद चीजे चंद्र
नेक का सबूत देंगी |
10) पापी टोला सदा चंद्र के
दूध में जहर मिलाएगा | मगर ऐसे टेवे में
उपाय केवल चंद्र का ही होगा | जब चंद्र शत्रु
ग्रह को देखता हो तो अपना नेक असर बंद कर देता है | जब चंद्र के सामने पापी ग्रह बैठे हो तो चंद्र का बुरा
प्रभाव (अगर हो तो) टेवे वाले की जगह उसके करीबी रिश्तेदारों पर होगा |
11) जब टेवे में सूर्य मंगल
एक साथ हो तो चंद्र भला नही हुआ करता |
12) चंद्र देखता हो गुरु को
और गुरु के घरों (2,5,9,12) में बुध -शुक्र-शनि-राहू पापी हो कर बैठे हो तो
चंद्र का फल रद्दी होगा | या चंद्र देखता
हो सूर्य को और सूर्य के घर नंबर 5 में शनि,
राहू, केतु हो तो भी चंद्र का फल मंदा होगा |
चंद्र को पानी और
विद्या माना है | 12 घरो में बैठे
चंद्र का इन पर क्या असर होगा : -
1) खाना नंबर 1 : घर में रखे घड़े या बर्तन का अच्छा पानी |
विद्या पर लगाया पैसा व्यर्थ नहीं जाएगा |
विद्या सहायक होगी जिसका विशेष फायदा राजदरबार
से होगा |
2) नंबर 2 में हो तो पहाड़ो से निकलता हुआ उत्तम पानी |
माता और विद्या, जायदाद जद्दी और नकद नारायण, दोनों में से कोई
एक तरफ में आखिरी पूरी दर्जा में उत्तम होगा | माता के होते विद्या होगी जिसके दरिया की बाढ़ बुध की हदबंदी
पर होगी | पिता या बाबा के होते
विद्या की कोई शर्त नहीं | मगर स्वयं टेवे वाले के अपने लिए उसकी विद्या,
संसारी ज्ञान, समझ या वाकफियत का बहाना जरूर होंगी और भाग्य की नीवं होगी |
स्वयं पढ़े दूसरों को पढ़ाए मगर यह शर्त नहीं कि
विद्या विभाग ही भाग्य को सहायता देगा | चंद्र के दूसरे कारोबार जैसे घोड़ो का व्यापार, चांदी, सिंचाई विभाग आदि
सहायक हो सकते है | आम स्कूल मास्टरी
करने की कोई शर्त नहीं
3) खाना 3 में हो तो जंगल सहारा रेगिस्तान का पानी |
जिस कदर विद्या बढे, पिता की माली हालत (धन) कमजोर होती जाएगी | मगर विद्या रुकेगी नहीं | विद्या अपनी कीमत अवश्य देगी | जब तक दरिया पर पुल हो यानि टेवे में केतु
अच्छी हालत में और चंद्र को बर्बाद न कर रहा हो | वरना माता ही पिता का काम देगी ज्यों ज्यों आयु बढ़ेगी
विद्या की कीमत कम होती जाएगी | या ऐसा व्यक्ति
विद्या विभाग में होता हुआ ऊपर से नीचे को गिरेगा या विद्या से कमाया धन घर बार के
कामो में तरक्की कम ही देगा |
4) नंबर चार का चंद्र
चश्मे का मीठा पानी | विद्या हर दम
सहायक | विद्या को पूरा करने में
हर तरफ से मदद अपने आप मिलेगी | चाहे कैसी भी
विद्या मांगे | सुख देने वाली
विद्या माता के असली खून का सबूत होगी |
5) नंबर 5 का चंद्र आबादी को हरा भरा करने वाली नदी |
विद्या पर लगाया धन पूरी कीमत न देगा मगर ऐसा
व्यक्ति बच्चो की विद्या, तकनीकी विद्या की
पूरी डिग्री का स्वामी होगा | इसको उस विद्या
डिग्री की कीमत न मिलेगी | यानी विद्या की
नदी का पानी आम लोगो में पूजने के बजाय टट्टी पेशाब धोने के काम आए | आम लोगो का भला करते हुए भी कोई उसका भला न
चाहेगा | दुनियावी सम्बन्धी साथी
इसकी विद्या की नदी की मरम्मत का विचार न करेंगे बल्कि मंदा जरूर करेंगे | स्वयं के लिए विद्या व्यर्थ न होगी | यदि स्वयं अपना मन ना के बराबर तो विद्या अपनी
कीमत कुछ भी न देगी चाहे कितना ही विद्वान हो |
6) पाताल का पानी, कुआँ, हैंडपंप आदि | विद्या सहायक
होगी लेकिन मूल्य और खर्च से, जिसके लिए कई तरह
की कष्ट करने पड़ेगे |
7) चंद्र 7 में हो तो मैदान और खेती की जमीन को हरा-भरा
करने वाली नदी | शादी होने से
पहले विद्या पूरी कर लेगा या विद्या चलती रहेगी तो शादी रुकी रहेगी | लेकिन विद्या होगी काम की बेशक थोड़े ही दर्जा
की हो | दूध होगा मगर गाय की बजाए
बकरी का दूध होगा जिसमे विद्या की वही हालत होगी जो बकरी अपना दूध देने में किया
करती है | यानी बकरी दूध देगी तो
मेंगने (शिट) डाल कर | मगर धन की हालत के लिए बकरी का दूध होता हुआ भी चाँदी के
भाव ही या वह मनुष्य स्वयं लक्ष्मी का अवतार होगा |
8) खाना नंबर 8 का चंद्र या तो अमृत या फिर जहर | विद्या हुई तो माता को तरसते रहे यह जरूरी नहीं कि माता मर
ही गई हो | माता हुई तो विद्या नहीं |
अब दूध या विद्या सूखे दूध की तरह होंगे |
यानि ऐसा दूध जिसके खुश्क पाउडर में दूध के सब
सिफ़ते मौजूद होंगी या यूँ कहे कि यदि पढ़ेगा तो पूरा पढ़ेगा नहीं तो संतान को भी
पढ़ने से रोकता रहेंगे या वो दोनों को ही तरसते मर जाएगे |
9) 9 का चंद्र समुन्द्र होता है | सब को आराम देने वाली विद्या का स्वामी मगर स्वयं विद्वान
होने की शर्त नहीं | लकिन फिर भी
जरूरी नहीं के अनपढ़ हो | फिर भी सुख का
मालिक राजा इंद्र की तरह सबका दाता होगा |
10) चंद्र 11 में हो तो पहाड़ की रूकावट से बंद पड़ा पानी |
दुसरो को क्या पढाना बल्कि स्वयं ही विद्या रहित
| यहाँ तक के पढ़ने वाले को
पानी मांगने पर पत्थर से उत्तर दे |
उसकी विद्या में हर और से रूकावट के पत्थर पड़ते
होंगे | मगर खुश्क दवाइओं की हकीमी और प्रयोग की हिकमत (चिकित्सा)
की इल्म का वाकिफ जरूर होगा | बेशक हर जगह मान
की जगह मुँह काला ही होता रहे जब खाना नंबर 8 मंदा हो |
लेकिन अगर नंबर 2 उत्तम हो तो सबकुछ एवं दो गुना उत्तम होगा |
11) चंद्र 10 में हो तो बरसाती नाला | पढ़ेगा तो पूरा पढ़ेगा वरना अनपढ़ हाफिज जी होंगे |
यही लाभ हानि विद्या का होगा | हाफिज का साधारण मतलब होता है वह मुस्लिम
व्यक्ति जिसे पूरी कुरान कंठस्थ हो याने बहुत पढ़ा लिखा | हाफिज का मतलब हिफाजत करने वाला भी होता है जैसे हम जाते
वक्त कहते है खुदा हाफिज याने खुदा आपकी रक्षा करे |
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
No comments:
Post a Comment