लाल किताब
राहु खाना नंबर 2
गुरु के मातहत, लेख पंघूड़ा (झूला), बरसाती बादल
उम्र गुजरी मंदिर, मुफ्त माल खाते |
मिले दिल कहाँ,फिर जो खैरात बाँटे |
उम्र लम्बी गुजरान हो उम्दा, जगतवासी चाहे राजा हो, बचत शून्य या हो 11 गुना, लेख झलक दो रंगा हो |
नेक हालत में
1) मध्यम दर्जे की जगह अब राहु की चाल आखिरी दर्जा (नेक या बुरी) होगी |
2) गृहस्थ दर्जा बेहद लम्बा मगर मालो-दौलत की अच्छी या बुरी हालत का फैसला गुरु की हालत पर होगा | जिसकी निशानी राहु स्वयं ही अपनी चीजे, काम या सम्बन्धी राहु से सम्बंधित से दृष्टिगोचर होगा | मगर धन की वर्षा उस दिन होगी जब शनि खाना नंबर 1 में आ जाए और गुरु भी उत्तम हो |
3) यदि शनि कुंडली में उत्तम हो तो राहु का धुआँ उत्तम बरसाती बादल या आगे आने वाले अच्छे समय की निशानी होगी और शनि नंबर 1 में आते ही और गुरु के उत्तम होते ही धन की वर्षा होगी | शनि मंदा हो तो जहर की गैस या मंदा कड़वा धुआँ जिसमे दम घुटने लगे | शनि अगर लकड़ी है तो उस आग लगी हुई लकड़ी का धुआँ राहु होता है | हवा का स्वामी गुरु होता है खासकर ऑक्सीजन वाली हवा का, लेकिन राहु जहरीली हवा का स्वामी होता है या ऐसा धुआँ होता है जिससे दम घुटने लगे |
4) खाना नंबर 2 का मालिक शुक्र होता है जिसके मसनुई ग्रह राहु-केतु होते है | यह घर राहु-केतु की मुश्तरका बैठक का घर भी है | राहु इस घर में राजा सामान तो है पर चलेगा गुरु की आज्ञा से ही | पापी मंदिर में भी नहीं छुपते | जिस घर में कभी चोरी न हुई हो या वह घर जिससे चोर कोसो दूर भागे, वो घर भी राहु की चोरी और दिन-दहाड़े सीनाजोरी से बरी न होगा | राहु खाना नंबर 2 के मंदिर में बैठा हुआ हो और उसे चुराने के लिए कुछ भी न मिले तो वह पुजारी की आँखों के सामने और उनके पूजा करते करते ही मंदिर की मूर्तियाँ बाँध कर ले भागे | अर्थ यह है कि राहु चोरी का स्वामी है और चोरी के वाक्यात (माल या नकद) आम होंगे और वो वाक्यात जातक के सामने दिन-दहाड़े सरेआम होंगे | राहु का धर्म सिर्फ इतना ही होगा कि रात को कोई नुक्सान न होगा | दिन के समय अपनी जेब में संभाल कर रखा हुआ माल भी चोरी हो सकता है | टेवे वाले के खुद चोर होने की शर्त नहीं है मगर उसके पीछे चोर होंगे | चाँदी की ठोस गोली राहु की शरारत और चोरी से बचाएगी और ससुराल के मंदे हाल का भी बचाव होगा | अच्छा यही होगा कि दिन के समय ज्यादा नकद धन - माल लेकर न चले खासकर जब वर्षफल में राहु मंदा हो |
5) ऐसा व्यक्ति राजा या अधिकारी होगा चाहे जंगल का ही हो | अगर धर्म मंदिर का साधू हो तो हाथियों को भी खाना देने की शक्ति रखता होगा |
6) सुखी राजा के स्वभाव का स्वामी होगा |
7) भाग्य का लेख पंघूड़ा (झूले) की तरह होगा यानि कभी ऊपर कभी नीचे यानि कभी मिटटी से सोना मिले और कभी सोना मिटटी हो जाए | उम्र उत्तम होगी |
8) नेक हालत में शुक्र की उम्र 25 तक धन के आराम का होगा |
9) कंगाल हो या घर छोड़ कर भागे | राज छोड़े चाहे राजदरबार छूटे, कुछ भी हो मगर किसी भी हालत में राजा की कैद में न होगा | मगर खैरात के जमा हुए माल से चोरी का दाग न धो सकेगा यानि जिस जगह लोग खैरात देते होंगे वहाँ पर उससे चोरी हो ही जाएगी या कर लेगा |
10) दूसरे ग्रह चाहे मंदे होते हो पर राहु की मदद मिलती रहेगी |
मंदी हालत में
1) राहु की मियाद 42, 21, 10 1/2, यदि जद्दी मकान के उत्तर-पश्चिम कोने में (खाना नंबर 2) रसोई का धुआँ निकालने की जगह हो यानि वहाँ पर एग्जॉस्ट फैन हो तो राहु न सिर्फ टेवे वाले का बल्कि उसके खानदान और ससुराल का भी धुआँ निकाल देगा यानि बहुत मंदा असर देगा | यह मंदा असर 21 से 42 साल के बीच होता होगा | भाग्य का हाल पंघूड़े की तरह होगा | मंदे वाक्यात, चोरी, गबन से धन की हानि बहुत अधिक होगी | कैदखाना, जेल, बेऐतबारी और हर तरफ से काला मंदा समय होगा |
2) ऐसी हालत में चाँदी की ठोस गोली या गुरु की चीजे सोना, केसर, पीली चीजे अपने शरीर पर या अपने पास रखना सहायक होगा | घर के उत्तर-पश्चिम कोने में चंद्र की चीजे रखने से बचाव होगा |
3) ऐसा व्यक्ति सारी उम्र चाहे मुफ्त का माल खा कर गुजार दे मगर स्वयं कभी किसी को एक रूपए भी न देगा |
4) माया धन पर आये मंदे भूचाल (राहु) को चंद्र रोकेगा या माता से नेक सम्बन्ध होने पर सब कुछ उत्तम होगा |
5) अगर शनि मंदा हो तो भाग्य की हालत मंदे जहर से भरे हुए धुएँ जैसी होगी |
6) ऐसा व्यक्ति धर्म मंदिर में बैठकर भी पाप करने से पीछे न रहेगा | अपनी आखिरी अवस्था खराब कर लेगा | 25 साल तक नंबर 8 में बैठे केतु का फल मंदा न होगा मगर 26 वे साल से राहु-केतु दोनों का मंदा फल शुरू हो जाएगा |
खाना नंबर 2 शुक्र का यानि मिटटी और राहु यानि हाथी तो दोनों को मिलकर देखा तो हाथी के पाँव की मिटटी बहाने से लाभ होगा |
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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