लाल किताब
केतु खाना नंबर 8
बच्चो की मोहब्बत के गम में छत पर रोने वाला कुत्ता | मौत के यम को पहले ही देख लेने वाला कुत्ता
मरे बच्चे इतने, कब्र भर रही है |
गिला मर चूको का तू क्या कर रही है |
गुरु मंदा तो केतु मंदा, भला न मंगल रहता हो |
मारक घर जब केतु बैठा, पत्थर हो पिस्तान (स्त्री के वक्ष स्थल) |
नेक हालत में
1) केतु के अच्छे बुरे होने का फैसला सदा खाना नंबर 12 से होगा | जब तक बुध मंदा न हो, केतु मंदा न होगा |
2) संतान जल्द कायम हो या देर से मगर अपनी आयु सदा लम्बी, 70 वर्ष से कम नहीं, चाहे अधिक हो |
3) यह घर ग्रह चाली कुत्ते केतु के कानो की जगह है इसलिए मौत के यम के आने की आहट जल्द सुन लेता होगा यानि उसे मौत आने का पहले पता लग जाता होगा |
4) 34 साल आयु में नर संतान कायम होगी | 34 साल से पहले की नर संतान और 34 साल बाद पैदा हुई नर संतान दोनों एक साथ शायद ही जीवित होगी | जन्म कुंडली में बुध अगर खाना नंबर 1 से 6 में बैठा हो तो नर संतान, 34 साल तक की पैदा हुई, आखिर तक कायम रहेगी | बुध अगर 7 से 12 में हो तो 34 वर्ष की उम्र के बाद की संतान आखिर तक कायम रहेगी | कई बार 45-48 साल आयु तक कोई नर संतान न हो या एक संतान कायम हो और बाद में दूसरा लड़का कायम होगा |
बुध किस खाना में बैठा हो तो संतान किस साल होगी
बुध नंबर 1 में हो तो 29 साल में
बुध नंबर 2 में हो तो 30 साल में
बुध नंबर 3 में हो तो 31 साल में | जैसे जैसे खाना नंबर आगे बढ़ता जाए, एक-एक उम्र का साल आगे बढ़ाते जाए बुध नंबर 12 में बैठा हो तो 40 साल में |
खाना नंबर 6 केतु का अपना घर भी है और वहाँ केतु नीच भी है | इसलिए बुध अगर नंबर 6 में हो तो 34 साल से पहले और बाद की दोनों संतान कायम रह सकती है |
स्वयं अपनी बहन या लड़की की शादी के बाद, जो भी पहले हो, नर संतान कायम होगी |
5) जब मंगल नेक हो और गुरु नंबर 2-1 में हो या चंद्र नंबर 2 में हो तो अब केतु कायम गिना जाएगा | किसी भी उपाय की जरूरत न होगी | संतान की वर्षा होगी | यदि चंद्र मंदा हो तो चंद्र पूजन सहायक होगा |
6) गुरु और मंगल 6 -12 में न हो तो केतु का प्रभाव कभी मंदा न होगा |
7) शुक्र और बुध अगर कुंडली में उत्तम हो तो केतु का फल मंदा न होगा |
मंदी हालत में
1) केतु नंबर 8 के समय अगर बुध-शुक्र मंदे घरों में हो तो उसका चाल-चलन उसकी स्त्री के स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा | यानि स्त्री के स्वास्थ्य के लिए केतु की पूजना और चाल-चलन ठीक रखना जरूरी होगा |
2) बच्चो के गम, उदासी से भरा हुआ, छत पर लेट कर रोने वाला कुत्ता होगा | नर संतान कब्र में भरती जाए | मंदे समय की पहली निशानी कुत्ते का छत पर बैठ कर रोना होगा | संतान कायम होने का समय 34 साल की आयु की हदबंदी होगी | 48 साल आयु तक संतान का सुख हल्का होगा | केतु की बीमारी, पेशाब की नाली से कतरा-कतरा निकलना, महीनो तक |
3) 25 साल आयु तक केतु का प्रभाव अच्छा होगा मगर 26 वे साल से राहु और केतु के साथ-साथ बुध-शनि भी मंदे होंगे | पुरुष-स्त्री दोनों गृहस्थ जीवन में कोई खास सुखी न होंगे |
4) केतु की चीजे (जैसे दो रंगा काला सफ़ेद कम्बल और पूरा कम्बल) धर्म स्थान में देना सहायक होगा | जब कोई ग्रह साथ या साथी हो तो दोरंगे कम्बल का टुकड़ा लेकर, दूसरे साथ-साथी ग्रह की चीज बाँध कर वीराने में दबाना सहायक होगा |
5) खाना नंबर 2 अगर खाली हो तो (यहाँ राहु को नहीं गिनते) संतान की मंदी हालत से बचने के लिए गुरु का उपाय सहायक होगा | कान छेदन करके उसमे सोना डालना सहायक होगा | कम से कम 96 घंटे तक कान का सुराख़ कायम रखना होगा | केतु की बीमारी, जुलाब, दर्द, फोड़े, कोढ़, जख्म आदि सेहत की खराबी का बहाना होंगे |
6) कोई भी ग्रह केतु के साथ नंबर 8 में हो तो केतु स्वयं मंदा गिना जाएगा | भाग्य का हाल दो-रंगा होगा | केतु अपना फल नंबर 2 का दिया मंदा फल देगा |
7) गुरु या मंगल कोई नंबर 6 / 12 में हो या मंगल बद 4 में हो तो संतान, धन दोनों मंदे बल्कि मंगल, केतु दोनों का फल मंदा होगा |
8) शनि या मंगल नंबर में 7 में हो तो केतु की सब चीजे मंदी और चारपाई तक मंदी | दुःख होगा | छत मकान से गिर जाए | गृहस्थ, घर-बार, रहने का मकान और उसका तो खाना ही बर्बाद होगा |
9) मंगल नंबर 12 और शनि नंबर 1 में हो तो ऐसे टेवे वाले के जन्म से अमूमन 12 मॉस पहले भाई की मौत होगी
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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