Friday, 2 November 2018

लाल किताब केतु

लाल किताब 

केतु 


सफर की आँधी में, लड़के, पोते, नस्ल, कुटुम्भ और उसमे आगे आने वाले, दरवेश (फ़कीर), आकबत (मृत्यु के बाद की अवस्था, परलोक का भविष्य), अंदेश (दूरदर्शी, चिंता, ध्यान सूचक, सोचने वाला)

नजर पाँव तेरे जो उखड़े पड़ेंगे |  
सभी जेर रहते ही सिर पर चढ़ेंगे |

मिले केतु बुध कुत्ता दुनिया, पापी बुरा ही होता हो |
केतु मिला जब शनि-मंगल से, ऐसा बुरा नहीं होता हो, साथ मगर जब कोई तीसरा होवे, फल तीनो का मंदा है |  
केतु तख़्त से रवि हो उच्च, छठे मंगल तो केतु मरता हो |
कुत्तिया बच्चा जब एक ही होता, नस्ल कायम कर जाता हो |
गुरु मिले तो सबसे उत्तम, माता मिले खुद मंदा है |
बुध मिले खुद दुष्ट कहलावे, मदद शुक्र की करता है |
पहले घरों जो केतु होवे, गुरु मंदा ही जाता है, उल्ट अगर हो टेवे बैठे, भला चंद्र नहीं रहता है |
चंद्र अगर मंगल बद रोके, केतु मंगल बद करता है |
बुध-केतु दो बाहम लड़ते, बद मंगल भी डरता है |
राहु पाप गर ख़ुफ़िया होवे, केतु जाहिरा ही चलता है |
शारह-आम (आम रास्ता) में दोनों मिलते, मार दो तरफी करता है |
मकान गली का आखिरी होवे तो, औरत जात पर पड़ता है | हवा चलेगी भूत-प्रेती, बच्चो पे हमला करता है |


आम हालत 12 घर

केतु तख़्त पर पिसर (पुत्र संतान) हो मिलता, फर्जी फ़िक्र भी होता हो |
सफर, हुकूमत घर 2 उम्दा, उत्तम 6 वे जब अकेला हो |
रंग-बिरंगा हाल हो तीजे, ससुर, भाई खुद अपने जो |
गुम हालत 5 लड़के उसके, बेटा जल्द न चौथे हो |
6 बहादुर घर 7 बैठे, औलाद कब्र 8 भरता हो |
पिता नोवे घर अपने तारे, दसवे शनि पे चलता हो |
उम्र, नजर, न माली साथ, केतु पाया घर सातवे जो |
ऐश करे घर 12 इतनी, माया फ़ैली घर भरता हो |

केतु का दूसरे ग्रहों से सम्बन्ध

गुरु : उम्दा आसान, नेक आकबत (मृत्यु के बाद की अवस्था, परलोक)
सूर्य: तूफ़ान, स्वयं बर्बाद (केतु) मामा मंदे
चंद्र: कुत्ते का पसीना, दोनों मंदे
शुक्र : कामदेव की नाली (लिंग), शुक्र की जान, गाय का बछड़ा
मंगल : शेर के बराबर कुत्ता
बुध : कुत्ते की जान सिर में, एक अच्छा तो दूसरा बुरा
शनि : साँप के कान नदारद, केतु पर शनि का फैसला होगा
राहु : केतु का प्रभावव राहु के हाथ होगा या राहु की मर्जी पर होगा यानि

सुपुर्दम बतो माये  ख़्वेशरा   
तू दानी हिसाबे कमो बेशरा

अर्थार्त मेरा सब कुछ तेरे अपर्ण है और कमी बेशी के निर्णायक तुम (राहु) ही हो |

नेक  हालत में

 1) सांसारिक कामो को हल करने के लिए इधर-उधर सलाह करने के लिए दौड़-धूप का या 48 साला आयु समय केतु का समय होगा |

2) जर्द (गुरु) लाल (मंगल) अंडे का रंग (बुध) तीनो ग्रहो का केतु (तीन कुत्ते) होगा जो तीनो जमानो के मालिक होंगे | छलावा पापी जरूर है | जान से मारने के बजाए कब्र तक सहायता करेगा (चारपाई, तख्ता)

3) केतु (कुत्ते) के भाग

कान नंबर 8 का ग्रह लेते है | जैसे बुध नंबर 8 में तो बकरी जैसे कान | संतान (केतु) की आयु का फैसला मगर कम अक्ल की शर्त नहीं |

मुँह नंबर 2 का ग्रह जैसे मंगल नंबर 2 में तो शेर जैसा मुँह | असलियत नस्ल, सांसारिक रहन-सहन का हाल, माली हालत

दुम नंबर 6 का ग्रह | जैसे शनि नंबर 6 में तो साँप जैसी दुम | सदस्यों की गिनती, स्वभाव, अंदरूनी चाल, नब्ज या वह नाड़ी जो इसका भेद बता दे या जिसके द्वारा इलाज हो सके | खाना नंबर 10 के ग्रह से सम्बंधित जानवर विषैली पूँछ वाले होते है |

4) केतु नेकी का फरिश्ता, सफर का मालिक और आखिर तक सहायता देने वाला ग्रह है |

5) केतु, बुध दोनों मिल कर, कुत्ते का सिर (कुत्ते की जान सिर में) होगा | यानि जब तक बुध उम्दा या नंबर 2-6-8 उम्दा या नंबर 12 में उसके तीनो हिस्से गुरु, मंगल, बुध न हो | केतु नंबर 2 माली हालत, नंबर 8 औलाद की आयु, नंबर 6 मेंबरों की गिनती, भला ही होगा चाहे कैसा और कहीं भी बैठा हो |    

6) केतु से काला-सफ़ेद दोरंगा कुत्ता होगा मगर लाल रंग (सूर्य) के साथ होने से बुध होगा जिसमे चाल और प्रभाव तो बुध की होगी मगर मियाद केतु की होगी | अब नर कुत्ते की नस्ल की जगह मादा नस्ल लेंगे (कुत्तिया) और बुध की चीजे काम आदि पर पहले प्रभाव देगा |

7) कुत्तिया का नर बच्चा जो एक ही पैदा हुआ हो, खानदानी नस्ल कायम करेगा |

8) मंदे केतु के समय अपनी कमजोरी दूसरों से कहना या दूसरों के आगे रोने रोना कष्टदायी कर देगा | गुरु का उपाय सहायक होगा |

9) मंदी सेहत के समय चंद्र का उपाय करे | परन्तु जब लड़का मंदा हो तो धर्म स्थान में काला-सफ़ेद दो रंगा कम्बल दान करना शुभ होगा |

10) केतु के इलाज के लिए उसकी नब्ज या इलाज खाना नंबर 10 का ग्रह होगा | पाँव या पेशाब के कष्ट के समय रेशम का अति सफ़ेद (दूधिया रंग) धागा बांधना या चाँदी का छल्ला डालना (जो चंद्र की चीजे है) अति सहायक होगा | पाँव के अंगूठे में डाल सकते है | केतु को चारपाई भी माना है | ग्रह चाल में केतु को शुक्र फल (संतान) भी माना है इसलिए चारपाई असल में वो चारपाई है जो दहेज़ में मामा की तरफ से या लड़की के माता-पिता की तरफ से मिलती है | ऐसी चारपाई का संतान के जन्म समय (जन्म के सम्बन्ध में)प्रयोग लाना उत्तम होगा चाहे केतु टेवे में नीच, मंदा वगैरा ही क्यों न हो | जब तक इस चारपाई का प्रयोग घर में होता रहेगा, केतु मंदा प्रभाव न देगा 

मंदी हालत में

1) जब पापी ग्रह शनि-राहु, केतु को किसी भी तरह आ मिलते हो तो दुसरो पर प्रभाव के लिए बुरा ही होता है | मगर यह जान से नहीं मारता चाहे जिस जगह जन्म लिया हो वहाँ कुछ भी न रहे या रहने दे | दुनिया का धोखेबाज छलावा ही होगा |

2) जब तक बुध (केतु कुत्ते की असली दुम) अच्छा, केतु बुरा ही होगा |

3) धर्म स्थान में पाँव (केतु) पवित्र मानते है या धर्म स्थान के अंदर पैदा हुई संतान सदा जीवित रहेगी |

4) केतु का मकान बच्चो तथा स्त्री की हालत मंदी रखेगा | गुरु या सूर्य जब शत्रु ग्रहों से स्वयं ही बर्बाद हो रहे हो तो केतु मंदा बर्बाद ही होगा |   

5) केतु मंदे के समय खासकर जब चंद्र और शुक्र मिल रहे हो तो बच्चे का जिस्म सूखने लग जाया करता है | ऐसे समय में बच्चे के जिस्म पर दरिया, नदी या वैसे ही कोई मिटटी या गाचनी मल कर खुश्क होने दे | घंटे-आधे घण्टे के बाद बच्चे को मौसम के अनुसार ठन्डे या गर्म पानी से नहला दे | 40-43 दिन लगातार करने से शरीर का सूखना ठीक हो जाएगा |

S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer

Lal Kitab Vastu Consultant

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