लाल किताब
चंद्र और शुक्र
हाल घरो का हर दो* मंदा, ससुर मामू का का होता हो |
माता, औरत जब साथ इकट्ठा, एक आँख से दुखिया हो |
*शुक्र के घर 2/7 और चंद्र का घर नंबर 4
दोनों ग्रह 37 साल तक मुश्तरका गिने जाएंगे | मुश्तरका मिलावट में शुक्र पूरा और चंद्र निस्फ़ (आधा) होगा | शुक्र औरत (बहु) और उसके (औरत के) वाल्दैन यानि के ससुराल, चंद्र (सास) और उसका घर माता खानदान मामू, दोनों ही घरो का मंदा हाल होगा | बारीक उड़ने वाली जर्रा जर्रा मिटटी (कण) को शुक्र और जमकर तमाम एक ही तह बनी हुई मिटटी को चंद्र की धरती माता कहते है | जेरे काश्त जमीन (खेतीबाड़ी की) को शुक्र और जेरे मकान (तह मकान) को चंद्र कहते है | अगर शुक्र दही तो चंद्र दूध रंग होगा | रंग में दोनों ही सफ़ेद है पर सफेदी में फर्क है | सूती सफ़ेद कपडा शुक्र है तो दूध के रंग की सफेदी और सफ़ेद रेशमी कपडा चंद्र होगा
खेती हुई जमीन को शुक्र और खाली खेत और मकान की जमीन को चंद्र मानते है |
नेक हालत में
दोनों ही ग्रहो का अंदरूनी {गैबी, बातनी (गूढ़, अप्रत्यक्ष)} फल प्रबल और उत्तम होगा | ख़ुसरा (न गाय न साँड़) न अमीर न गरीब, न जिन्दा न मुर्दा, मामूली जिंदगी बसर करने वाला होगा | चंद्र को अगर दुनियावी धन-दौलत माया जर माने तो जगत लक्ष्मी बोलती हुई मिटटी की मोहिनी तस्वीर होगी | फर्क यह होगा कि चंद्र चाँदी ठोस धातु अगर दिल की शांति के लिए दुनियावी शक्ल में रुपया-पैसा होवे तो शुक्र की जानदार आशिया स्त्री, गाय, बैल गृहस्थी हालत की जगत लक्ष्मी का आराम देंगे | (खाना नंबर 12 रात का आराम जहाँ शुक्र उच्च माना है) संक्षेप में कहे तो चंद्र माया दौलत व बेजान हालत में दौलत है तो शुक्र जानदार हालत में लक्ष्मी का असली सुख माना है |
खाना नंबर 2
काम दवाईयाँ दौलत देते, हकीम बेशक न होता हो |
यकीनी शफा हो बच्चे पाते, पहचान मर्ज न करता हो |
शुक्र निक्क्मा होगा उसका, इश्क बुढ़ापे बढ़ता जो |
असर मंदा दो शादी होगा, कुआँ नया जब लगता हो |
दवाईयों के काम से फायदा होगा मगर खुद हकीम होने की शर्त नहीं है | इश्क में दर्जा कमाल (कामयाब) होगा |
खाना नंबर 4
दसवे शनि जब टेवे बैठा, उत्तम माता शुभ होती हो |
पिता अमोलक (अमूल्य) गिनते उसका, दसवे रवि जब साथी हो |
रवि बैठा घर पांचवे उसका, माता-पिता सुख लम्बा हो |
शुक्र असर न मंदा होगा, दूध, दही घर भरता हो |
कामदेव दुनियावी मोहब्बत और इश्क फाहशा (वैश्या, अश्लील) से दूर, फ़कीर, साहिबे कमाल होगा |
शरीफ उलनफ़्स (शराफत भरी हुई) माँ-बाप दोनों की तरफ से खालिस और भला लोग होगा खासकर जब दृष्टि खाली हो |
जब शनि 10 में हो तो माता का नेक असर शामिल होगा |
जब सूर्य नंबर 3 में हो तो पिता का नेक असर शामिल होगा |
सूर्य नंबर 5 में हो तो लड़कियों की तरह शर्मिला मगर बुद्धू न होगा |
खाना नंबर 7
काम दौलत से पूरा लेते, माया दौलत सब बढ़ता हो |
वरना गाय हो ख़ुसरा कहते, थोड़ा ऐबी वो होता हो
आबिद (पूजा-पाठी, भक्त, धार्मिक), सखी (दान करने वाला, उदार), परहेजगार होगा | अगर धन का पूरा और नेक फायदा ले तो उम्दा असर वरना वही धन पाँचो ही इन्द्रियों के ऐब करवा कर बर्बाद कर देवे | बाकी सात बचने वाले मकान की किस्मत {फीलखाना (हाथीखाना), मवेशीखाना)} का मालिक होगा |
सूर्य नंबर 1 में हो तो पिता का नेक असर शामिल होगा |
खाना नंबर 8
सेहत और धन दौलत के लिए बूढी माता और शुक्र गाय की सेवा या दान मुबारिक होगा |
बाकी घर अपना-अपना फल होगा |
मंदी हालत में
शादी के दिन से दोनों ही ग्रहो का दुनियावी फल ख़राब होगा | माता न होगी अगर होगी तो अंधी होगी या औरत और माता दोनों में से एक वक्त में एक ही देखती-भालती चलती-फिरती होगी या सही सलामत होगी | बहु-सास का झगड़ा होगा | जब चंद्र किसी वजह से शुक्र को बर्बाद कर रहा हो तो बुध की मदद देवे | दही से पानी निकालना हो तो दही (शुक्र) पर कपडा (चंद्र) डाल कर राख (बुध) डाल दे | अब बुध (राख) पानी सोख लेगा और दही (शुक्र) को ख़राब न करेगा | अगर चंद्र शुक्र से बर्बाद हो रहा हो तो चंद्र को मंगल की मदद दे |
खाना नंबर 1
औरत की सेहत मंदी बल्कि दीवानगी, पागलपन, कम यादाश्त (स्मरण-शक्ति) होगी
खाना नंबर 2
दूध में खांड की जगह मिटटी मिली हुई जैसी किस्मत का हाल होगा | गुरु का असर किसी नेक फल का न होगा | इश्क दुनियावी का आम गल्बा (प्रबलता) बाइस-ए-तबाही (तबाही का कारण) होगा | औरत की बदफेली (पराई स्त्री के साथ किया जानेवाला सम्भोग ), इश्कबाजी वगैरा से बाईस-ए-तबाही होगी |
खाना नंबर 4
अगर उल्ट हुआ तो दुनिया से मदहोश तमाम ही नशो में गर्क रहने वाला होगा | (भांगी (भांग पीने वाला), चरसी, शराबी, अफीमी)
खाना नंबर 7
माता की आँखों पर झगड़ा यानि नजर कम या गुम हो | शादी के दिन से धन का बढ़ना बंद होगा |
खाना नंबर 8
हिजड़ा बुद्धू बदचलनी बढ़ती, उजाड़ उल्लू कर देता हो |
सेवा गऊ और माता बूढी, सेहत दौलत सब पाता हो |
मकान दौलत सुख दुनिया पूरे, असर शराफत रेखा हो |
सेहत औरत जर जब कभी मंदे, रक्षा बंधन शुभ होता हो |
नामर्द वरना बुजदिल होगा | अपने ही मंदे कारनामो की वजह से चंद्र का धन और शुक्र का गृहस्थी सुख बर्बाद होगा | बदचलनी की मर्ज (बीमारी) की ताल्लुक भी हो सकती है | जिसकी वजह से खुद साख्ता (सख्त) बेवकूफियाँ बाइस-ए-तबाही होगी |
बाकी घर अपना-अपना फल होगा |
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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