लाल किताब
बृहस्पति + सूर्य
गुरु के साथ सूर्य होने के वक्त किस्मत का ताल्लुक गैरों के साथ से नेक मगर रूहानी होगा | दुनियावी कामो में स्वयं की कोशिश से कामयाबी जरूर मिलेगी | मुश्तरका मिलावट में अगर सूर्य का असर 3 हो तो गुरु का असर 2 होगा जिसमे पहले गुरु और फिर बाद में सूर्य का असर होगा | गुरु और सूर्य मुश्तरका चंद्र के बनावटी (मसनुई) ग्रह है यानि दोनों इक्क्ठे हो तो चंद्र बन जाता है | दोनों से किस्मत का असर शेर की रफ़्तार, शेर की ताकत और मंनिंद (जैसे) दमकता सोना होगा | गुरु अकेला होने के वक्त उससे मुराद बाबा (दादा) या जगत गुरु हो तो सूर्य के साथ बैठा होने पर गुरु से मुराद टेवे वाले का बाप और सूर्य से उसका लड़का गिना जाएगा | यानि टेवे वाले की किस्मत में उसके बाप और बेटे की किस्मत का असर शामिल होगा | उसकी किस्मत उसके बाप और अपने बेटे को मदद देगी | टेवे में जुदा-जुदा होने पर मंदे असर के हो भी सकते है मगर मुश्तरका होने के वक्त दोनों का असर भला होगा | निम्नलिखित सालो तक बाप-बेटे दोनों ही के लिए उत्तम और दोनों ग्रहो का मिला हुआ उम्दा असर होगा
खाना नंबर 1 में हो तो 38 साल तक
नंबर 2 में हो तो 39 साल तक | जैसे-जैसे खाना नंबर आगे बढ़ेगा, एक-एक वर्ष उसमे जोड़ते जाए |
नंबर 12 में हो तो 49 साल तक दोनों का मिला हुआ उम्दा असर होगा |
सूर्य-गुरु मुश्तरका से बाप-बेटा लेते है | यानि टेवे वाला (बेटा) और उसका बाप | जब टेवे वाल खुद बाप बन जाए तो उसका बेटा भी लेंगे | दोनों (बाप-बेटा) 70 साल तक खुशहाल होंगे | अगर एक की उम्र के हिसाब से किस्मत का दर्जा कम हो तो दूसरे की तरफ से उम्र की बरकत और नसीबा की मदद का जोर मिलकर हर दो बाप-बेटा 70 साल तक बुलंदी के मालिक होंगे |
नेक हालत में
ऐसा व्यक्ति इज्जत, बुजुर्गी का मालिक, अंदर-बाहर से नेक, ज्ञानदाता, अक्ल का भंडारी, और किस्मत के मैदान में मानिंद राजा, योगी होगा | ऐसा व्यक्ति न सिर्फ ब्रह्मा (गुरु) बल्कि विष्णु (सूर्य) की मुश्तरका ताकत के बदौलत विधाता की लिखत को भी उल्ट कर देने की शक्ति रखता होगा | वह इन्साफ, लम्बी उम्र और जगती हुई किस्मत का मालिक, मसनुई चंद्र का उत्तम असर, या नेक माता-पिता का खून (वीर्य) का मालिक होगा |
1) जब शुक्र बाद के घरो में हो तो बाल-बच्चो की बरकत, और हर तरह से वृद्धि होगी | राजदरबार और धर्म मंदिर हर जगह इज्जत और मान बढ़ता होगा |
2) जब घर बैठा होने के हिसाब से सूर्य का असर अधिक उत्तम हो तो (जैसे नंबर 1 में) जिस्मानी सेहत उम्दा, दुनियावी इज्जत की तरक्की, मुस्तकबिल (भविष्य) हर तरह से दिन-ब-दिन रोशन (उत्तम) और हर दो ग्रहो की आशिया (चीज) कारोबार, रिश्तेदार खुशहाली और दौलत देंगे |
3) जब चंद्र को दोनों देखते हो तो चंद्र खुद अपना नेक असर पैदा करेगा | खुश्क कुऍं खुद-ब-खुद पानी से दोबारा भर जाएँ | बच्चे की आवाज सुनते ही माता के पिस्तान (वक्ष-स्थल) दूध से भर जाएँ ख़्वाह (चाहे) चंद्र दुश्मन ग्रहों से मारा हुआ ही क्यों न हो | राजदरबार से नेक ताल्लुक, तरक्की और बेहतरी होगी मगर किस्मत का अख्तियार (अधिकार, विकल्प) किसी दूसरे के साथ से नेक होगा |
4) जब दोनों बाहम (एक-दूसरे) को देख रहे हो और चंद्र कायम हो तो राजदरबार से मुतल्ल्का (सम्बंधित) जरूरी सफ़रों के नेक नतीजे होंगे | माली मुफाद (फायदा, हित) और बरकत होगी |
5) जब दोनों नंबर 1 में हो तो राजा के सामान दुसरो से खराज (टैक्स) ले | मौत अचानक होगी | सुनहरी तख़्त पर आला (बहुत बड़ा) हाकिम होगा | उम्र लम्बी और गृहस्थी सुख उम्दा और दुनिया का पूरा आराम होगा | चाहे मिटटी का माधो यानि पढ़ा-लिखा न भी हो तो भी दस्ती हुनर में कामयाबी होगी |
6) दोनों नंबर 2 में हो तो महल मकान आला और शानदार जिंदगी होगी | मानिंद शेर बहादुर बेधड़क मगर बेरहम होगा |
7) जब दोनों नंबर 3 में हो तो माया दौलत की हरदम तरक्की होगी जब तक लालच का पुतला न हो |
8) दोनों नंबर 4 में हो तो दूध (धन-दौलत) पहाड़ (शनि) से बहता होगा (शनि से सम्बंधित चीजे, कारोबार, रिश्तेदार) यानि पत्थरो (शनि) से सोना बनता होगा शहाना (राजसी, भव्य) और हाकिमाना आला जिंदगी का मालिक होगा |
9) जब दोनों 5 में हो और चंद्र नंबर 4 में हो तो पूरा इकबालमंद (प्रतापी, महान, भाग्यशाली) और नर औलाद के जन्म के बाद और अधिक इकबाली होगा |
10) जब दोनों नंबर 5 में हो तो औलाद दौलतमंद होगी | खुद अपने लिए परस्वार्थ से माया दौलत मिलेगी | दुश्मनो का हमेशा नाश होता रहेगा | औलाद का मामूली साँस दुनिया में उसे हवाई जहाज के पंखो की तरह उम्दा मदद देगा, चाहे पापी भी इस घर में आ कर बैठ जाए फिर भी दोनों का फल मंदा न होगा |
11) खाना नंबर 6,7,10,11 में हो तो दोनों का अपना बैठे होने के हिसाब से अपना अपना अच्छा या बुरा फल होगा | दोनों का मुश्तरका असर बुढ़ापे की तरफ या अमूमन बुढ़ापे में होगा |
12) खाना नंबर 8 में हो तो जागती हुई किस्मत और मौतों से बचाव होता रहेगा |
13) खाना नंबर 9,12 में हो तो दोनों ग्रहो का असर कुल उन्नति खानदान की वृद्धि, बरकत और हर तरह की तरक्की हो यानि घर के सदस्यों और माया दौलत की वृद्धि होगी |
मंदी हालत में
1) शुक्र पहले घरों में हो तो सूर्य, गुरु दोनों पर मिटटी पड़ती होगी | न राजदरबार में सूखी रोटी, न ही मजहबी इज्जत बुलंद होगी | हर तरफ फर्जी आंधी की तरह मिटटी से कपडे खराब होते नजर आएँगे |
2) दोनों को शनि देखता हो या दोनो नंबर 4 में और शनि नंबर 10 में हो तो दोनों ही का फल सोया हुआ होगा | बल्कि केतु की सात साल की महादशा मंदी होगी जिसमे केतु की आशिया, कारोबार, रिश्तेदार मुतल्ल्का सब ही पर मंदा असर और धन हानि के मंदे नतीजे खड़े होंगे | राजदरबारी कारोबार में फैसला अपने हक में होने तसल्ली न होगी | शनि खुद अपने असर के लिहाज से नेक हो तो क़दरे (थोड़ा सा) उम्दा वरना सख्त खराबी होगी
3) दोनों ऐसे घर में हो जहाँ सूर्य का फल हल्का या मंदा हो रहा हो तो किस्मत की चमक न होगी | हर काम में तकलीफ और नाकामी | जिंदगी का कोई लुत्फ़ न होगा | बल्कि जिंदगी खानापूर्ति का नाम होगा |
4) दोनों नंबर 3 में हो और टेवे वाला लालची हो तो लखपति होने पर भी कुल गर्क होगी या अपने कुल को गर्क करने वाला होगा |
5) बुध अगर साथ में हो तो दोनों का फल कैद में होगा यानि बाप-बेटा दोनों की किस्मत सोई हुए होगी |
उपाय
किसी भी मंदी हालत में (जिस्मानी या माली) में बाप-बेटा दोनों इकट्ठे हो जाने पर मंदी हालत फ़ौरन दुरुस्त होगी | मुफ्त का माल (खैरात, दान वगैरा) लेना दोनों के लिए गैर मुबारिक होगा | एक दूसरे से मजबूरन अलहदा (अलग) रहने की सूरत में बाप का प्रयोग किया हुआ बिस्तर या चारपाई रात के वक्त बेटे की पीठ के नीचे मुबारिक होगा | घर की सबसे पुरानी चारपाई भी यही असर देगी | अपने बिस्तरे, चादर के नीचे गुरु की चीजे रखना भी अच्छा होगा | घर में गुरु कायम करना जैसे सोना, केसर आदि मुबारिक होगा | अपने बड़े-बजुर्गो या मंदिर के सबसे वृद्ध, सफ़ेद बालो वाले पंडित के चरण छू कर आशीर्वाद लेना भी मुबारिक होगा | सोना शरीर पर डालना, केसर का तिलक लगाना, पिले रंग के वस्त्र पहनना भी मुबारिक होगा | सूर्य को नित्य जल चढ़ाना, थोड़ा मीठा-गुड़ या शक़्कर या शहद डाल कर, भी अच्छा और नेक फल देगा | भगवान् विष्णु की पूजा करना भी अच्छा रहेगा | सबसे अच्छा तो यही है संयुक्त परिवार में रहे और खासकर अपने पिता और बेटे के साथ रहे और पिता की सेवा करते रहे | हो सके तो दोनों एक ही बिस्तर पर सोए | अगर दोनों ग्रह या दोनों में से एक अच्छे घरो के मालिक हो (वैदिक के हिसाब से) तो पुखराज और माणिक्य डालना (एक ही अंगूठी या पेन्डेन्ट में) अच्छा होगा | जैसे सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न,धनु लग्न |
S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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