लाल किताब
राहु और केतु
केतु पहले राहु बाद न्यासरी (जो किसी के काम न आ सके) माया
केतु कुत्ता हो पापी घडी का, चाबी राहु जा बनता हो |
राहु रवि 9, 12 मिलते, ग्रहण सूर्य का होता हो |
ग्रहण चंद्र का उसदम गिनते, केतु छटे, 9 मिलता जो |
चार पहले 7 दसवे बैठा, असर मंदा कभी दो का हो
उपाय उत्तम उस ग्रह का होगा, उंच कायम जो बैठा हो
शुक्र बैठा हो बुध से पहले, असर राहु का मंदा हो
बुध पहले से शुक्र मिलते, केतु भला खुद होता हो
रवि शनि हो दो इक्क्ठे, नीच असर राहु देता हो
चंद्र शनि मिलकर बैठे, नीच केतु हुआ करता हो
बुध, सूर्य उत्तम बैठे, केतु भला और उम्दा हो
सेहत रेखा बुध-शुक्र मिलते, ग्रहण असर न मंदा हो
पुराने ज्योतिष की मुताबिक राहु और केतु दो एक ही घर में कभी इक्क्ठे नहीं हो सकते मगर दृष्टि के हिसाब से दोनों इक्क्ठे होंगे | यानि जो बाद के घरों का ग्रह हो वहाँ दोनों इक्क्ठे गिने जाएंगे | मसलन दोनों कुंडली के खाना नंबर 1,7 में बैठे हो तो दोनों को खाना नंबर 7 इक्क्ठे मिलते हुए माना जाएगा | पाप नंबर 4 में हो तो बुध शनि दोनों उम्दा होंगे |
हस्त रेखा की बुनियाद पर बनाई हुई कुंडली और पुराने ज्योतिष से लाल किताबी ढंग पर बनाई हुई वर्ष कुंडली में यह शर्त न होगी | इस तरह पर यह दोनों ग्रह एक ही घर में इक्क्ठे भी हो सकते है और यह भी जरूरी न होगा कि हमेशा एक दूसरे से सातवे हो | बाहम जुदा-जुदा (अपने से सातवे होने पर) दृष्टि की रूह से जिस घर में उनका असर जाता हो उस घर में दोनों इक्क्ठे बैठे हुए समझे जाएंगे | इसी असूल पर इन दोनों मुश्तरका का बारह घरों का असर लिखा गया है | बुरी शोहरत, मंदे काम, बुरे वक्त (राहु के काम) का आगाज (आने की निशानी) बुध से मालूम होगा और नेकी का अंजाम, अच्छे वक्त की पहली खबर {केतु की खसलत (स्वभाव)} गुरु से खुलेगा |
शारे-ए-आम (आम रास्ता) राहु केतु दोनों के बाहम मिलने की जगह है | राहु ख़ुफ़िया पाप और केतु जाहिरा पाप होगा | जब केतु पहले घरो में और राहु बाद के घरो में हो तो केतु सिफर और राहु अमूमन मंदा ही होगा जो जरूरी नहीं की मंदा ही हो |
अगर राहु नंबर 12 में आसमानी हद गुरु के साथ मुकर्रर हो तो केतु नंबर 6 पातळ में बुध का साथी हुआ | दोनों शनि के एजेंट नंबर 8 तो बाहमी मुश्तरका दनिया का दरवाजा नंबर 2 होगा | ग्रह चाली हालत में यह दोनों ग्रह दीवारे बन कर रास्ता रोक सकते है | मगर ऐसी दीवारे चलने वाली दीवारे मानी गयी है | इसलिए दीवारों के बहाने से बने हुए ग्रहण की हालत उसी वक्त दुरस्त हो जाएगी जब कि दीवारे आगे से हट जाए | यानि ग्रहण के हटते ही ग्रहण में आया हुआ ग्रह अपनी पूरी ताकत पर पहले की तरह बहाल गिना जाएगा |
सुपुर्दम बतो माये खेशरा
तू दानी हिसाब-ए-कनोबेशरा
राहु और केतु में से जो भी पहले घरो का हो वो अपना फल उसमे मिला देगा जो बाद के घरो में हो | या दृष्टि के हिसाब से जो भी बाद के घरो में हो उसका फल नेक होगा और पहले घरो में बैठने वाले के नेक असर की शर्त न होगी पर वो बैठा होने वाले घर के हिसाब से अगर नेक हो तो बेशक नेक असर दे | खाना नंबर 5,11 में बैठे होने के वक्त क्योंकि वहां दृष्टि का बाहम कोई ताल्लुक नहीं है, दोनों ही का फल अपने अपने ताल्लुक में बैठा होने वाले घर में मंदा ही होगा | इसके बाद या पहले वाले पर कोई असर न होगा | राहु सिर का साया, केतु सिर के बगैर बाकी धड़ (जिस्म) का साया होगा | लेकिन इंसानी जिस्म में नाभि से ऊपर सिर की तरफ का हिस्सा राहु की राजधानी और नाभि से नीचे पाँव तक केतु का राज होगा | राहु का हेडक्वार्टर ठोड़ी और केतु की हुकूमत का मुकाम पाँव | दोनों की मुश्तरका बैठक हाथ का अंगूठा होगा या माथे पर तिलक लगाने की जगह जो कुंडली का खाना नंबर 2 है | टट्टी या गुदा की जगह भी दोनों के मिलने की मुश्तरका जगह कुंडली का खाना नंबर 8 माना गया है |
दोनों के बाहम मिलने की जगह साधारण तौर पर शरे आम है | यानि जिस जगह दो तरफ से आकर रास्ता बंद हो जाता है | या वहाँ दोनों ग्रहो का जरूर मंदा असर या दोनों मंदे या पाप की वारदाते या नाहक तोहमत और बदनामी के वाक्यात या गृहस्थी जिंदगी में बेगुनाह धक्के लग रहे होंगे |
राहु केतु दोनों मुश्तरका का मसनुई वजूद शुक्र कहलाता है | और शनि की एजेंसी के वक्त इनका नाम पाप होता है | शुक्र (गृहस्थी कारोबार हवाई ताकतों, बेजान चीजों के कारोबार) के साथ मिलकर या औरत की रंग-बिरंगियाँ और धर्म स्थान में बैठकर पाप को उत्तम समझा देने की कारवाइयों के लिए सिर्फ दोनों का बैठक कुंडली का खाना नंबर 2 होगा | और शनि के हजूर में उसकी एजेंसी में लगकर जानदारों इंसान हैवान के मुतल्लका कचहरी लगाने के बजाए दोनों के लिए खाना नंबर 8 है | यानि खाना नंबर 8 जो मौत का दरवाजा है वो शनि राहु केतु तीनो ही के इक्क्ठे काम करने की जगह है | मगर राहु केतु दोनों खाना नंबर 2 में अपना अमालनामा (कर्मफल) तैयार करते है और शनि का फैसला सुनते है जो कि दुनिया का दरवाजा है और सब का धर्म स्थान है |
दोनों सदा बुध के दायरे में घुमते है यानि जैसा बुध होगा और जिस जगह वह होगा दोनों ग्रह (राहु, केतु) वैसे ही होंगे जैसा कि बुध हो वहाँ ही घूम रहे होंगे जहाँ कि बुध बैठा हो | राहु केतु इक्क्ठे इस अकेले अकेले चंद्र के घर खाना नंबर 4 या चंद्र साथ अकेले अकेले जहाँ भी बैठे हो तो ऐसा टेवा धर्मी होगा जिसमे पापी ग्रहो का बुरा असर न हो बल्कि सभी ग्रह धर्मी होंगे | अगर यह देखना हो कि राहु कैसा है तो चंद्र का उपाय करे यानि चाँदी का टुकड़ा अपने पास रखे | केतु के लिए सूर्य का उपाय करे यानि सूर्य की चीज (ताम्बे का पैसा) अपने पास रखे या बन्दर को गुड़ खिलाए या गुड़ कनक ताम्बा में से कोई चीज चलते पानी में बहा दे | इसी तरह दोनों ग्रहो का दिली पाप खुद-बी-खुद पकड़ा जाएगा यानि उस ग्रह के (राहु, केतु) सम्बंधित अच्छी या बुरी घटनाएँ होने लगेगी | राहु या केतु में से कोई भी नंबर 8 में हो तो शनि भी नंबर 8 में समझा जाएगा चाहे शनि कुंडली में कही भी बैठा हो | यानि जैसा शनि होगा वैसा फैसला होगा या समझा जायेगा | राहु और केतु दोनों के ही खानो में जुदा-जुदा जगह दी हुई नेक हालत को देखे |
मंदी हालत में
ऐसा आदमी जिसके टेवे में राहु, केतु दोनों मुश्तर्का हो वो दुनिया में बदी और बदनामी बाकी न छोड़ेगा या उसे सब तरह की बदनामी खुद-ब-खुद नाहक ही करती जाएगी | या वो खुद कोशिश कर के भी नेकी और आराम के बजाए बदनामी बदी और दुःख इक्क्ठे करेगा | इसी तरह ही मौजूदा ज्योतिष के मुताबिक बानी हुई कुंडली में दृष्टि के रूह से जिस घर में दोनों का असर इक्क्ठा हो रहा हो उस घर के मुतल्लका दुनियावी रिश्तेदार पर राहु और केतु की मुतल्लका आशिया, कारोबार, रिश्तेदार, राहु और केतु अक्सर बुरा असर ही करते या बर्बाद करते होते होंगे |
खाना नंबर 6 और 12 की हालत में दोनों इस शर्त से बरी होंगे जहाँ उनका अपना उच्च(उम्दा) या नीच (मंदा) | दोनों ग्रहो का मंदा जमाना आमतौर पर राहु का एक साल, केतु का दो साल कुल तीन साल होगा |
अगर राहु और केतु दोनों ही ख़राब असर देना शुरू कर दे जिसमे सूर्य या चंद्र का ताल्लुक न हो यानि ग्रहण न हो, तो राहु 42 साल तक और केतु 48 साल तक और दोनों मुश्तरका 45 साल तक मंदा असर कर सकते है | यानि उम्र के लिहाज से 48 साल उम्र के बाद शांति होगी और नेक हालत आएगी | 48 साल की मियाद उस दिन से शुरू होगी जिस दिन दोनों वर्षफल के हिसाब से तख़्त पर आए हो मसलन जन्म कुंडली में राहु, केतु में से कोई खाना नंबर 1 में हो तो वो नंबर 1 में कब आएगा
कुंडली खाना नंबर वर्षफल में 1 में किस साल आएगा
1 1
2 2
3 3
4 4
5 5
6 9
7 7
8 8
9 6
10 10
11 11
12 12
राहु के मंदे असर की निशानी हाथ के नाखूनों पर और केतु का मंदा असरपैर के नाखूनों पर नौ महीने पहले ही जाहिर होने लगेगी | हाथ के दाएँ हिस्सा के नाखून खराब हो जाए तो राहु के मियाद का आम अरसा 6 साल होगा | अगर बाएँ हिस्से के नाखून ख़राब हो जाए तो राहु की महादशा 18 साल मंदा जमाना होगा या राहु की कुल उम्र 42 साल अरसा होगा |
इसी तरह केतु के लिए पाँव के नाखून देखे
दाएँ : 3 साल
बाएं : 7 साल महादशा या केतु की कुल उम्र 48 साल
उपाय: राहु के लिए चंद्र का और केतु के लिए सूर्य का उपाय करे |
खाना नंबर 1-4 , 7-10 में उन ग्रहो का उपाय मदद गार होगा जो यहाँ उच्च होते है |
मसलन नंबर 1 के लिए सूर्य का, 4 के लिए गुरु का, 7 के लिए शनि का और 10 के लिए मंगल का उपाय करे |
खानावार असर
खाना नंबर 1
राहु: सूर्य बैठा होने वाले घर को ग्रहण लगा होगा | चंद्र भला होगा
केतु: सूर्य को उच्च करेगा
2)
दोनों बैठे 8 दूजे, घूमती ग्रह चाल हो
हो जो बैठा 8 टेवे, जेहरि उसका हाल हो
4)
बाप ताल्लुक केतु उम्दा, माता चंद्र पर मंदा हो
पाप उम्र 45 करता, असर दोनों का उम्दा हो
8)
हुक्म दोनों बन शनि के चलते, लेख पंघूड़ा घूमता हो
असर शनि का मिलता गिनते, बैठा टेवे वो जैसा हो
10)
दोस्त दोनों बन शनि के चलते, चोट आखिरी करता जो
चंद्र, रवि दो मद्धम आधे, मंगल, गुरु से डरता हो
11)
दोनों बराबर 1,11 मदद शनि तीन करता हो
राहु उड़ा दे गुरु टेवे से , केतु चंद्र ले मरता हो
12)
नीच राहु तो उच्च हो केतु, चंद्र निस्फ़ और हल्का हो |
ग्रहण रवि को करता राहु, नेक सूर्य केतु करता हो |
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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