लाल किताब फरमान नंबर 10
ग्रह का प्रभाव
इल्म सामुद्रिक में ग्रहों को राशी के घरो में रोशनी के जलते लैंप माना गया है
| इस तरह पर एक लैंप के साथ ही दुसरे लैंप को रोशनी का शुरू होना उन दोनों लैंप के
दृश्य में तबदीली करता है |
उदहारण
सूर्य का लैंप गंदमी भूरा है उस के साथ ही ही गुरु का लैंप शुरू हो जाए जिस का
रंग पीला है तो दो लैंप की मिली हुई रोशनी का जो रंग हो वही रंग इंसानी किस्मत के
हिसाब से जीवन में प्रकट होगा | लैंप बुझ गया यानि ग्रह का असर ख़त्म हुआ या लैंप
जलने लगा यानि ग्रह का असर शुरू हुआ या एक घर में दूसरा ओर ग्रह (लैंप) जलने लगा |
इस अदला बदली में किस्मत के मैदान में रंग बिरंगी तो होगी मगर ग्रहों की अपनी अपनी
घर की निश्चित माल्कियत में फर्क न होगा | मतलब यह है की हर ग्रह के लिए ऊँच हालत
नीच हालत वगैरा हमेशा के लिए निश्चित है चाहे यह ग्रह किसी भी ग्रह के घर मेहमान
बन कर चला जाए | ग्रह में मुराद = लैंप कितनी देर तक जल सकता है |
ग्रह दृष्टि : एक घर या खाना नंबर
से दुसरे खाना नंबर में असर जाने का दर्जा 25%, 50%, 100% कुल की कुल (सारा)
बाह्मी दोस्ती दुश्मनी
लैम्प्स को रौशनी के अलग अलग रंग
वगैरा
लैंप की जगह : हर खाना नंबर की
मुत्ल्ल्का की आशिया
खाना नंबर 1: राज दरबारी लैंप
खाना नंबर 2: इज्जत, दौलत,
धर्मस्थान
खाना नंबर 3: भाई इत्यादि
हर ग्रह अपनी मुकरर राशि में नेक फल
देगा बेशक उस की वह राशी किसी दुसरे ग्रह का पक्का घर मुकरर हो चुकी है |
राशी नंबर
|
किस ग्रह की राशी है
|
किस ग्रह का पक्का घर निश्चित हो
चुका है
|
इस राशी में किस ग्रह का नेक असर
होगा
|
1
|
मंगल
|
सूरज
|
मंगल नेक असर का होगा
|
2
|
शुक्र
|
गुरु
|
शुक्र नेक असर होगा
|
3
|
बुध
|
मंगल
|
बुध का नेक असर होगा बशर्ते मंगल नेक होवे
|
5
|
सूरज
|
गुरु
|
सूरज नेक असर होगा
|
6
|
बुध
|
केतु
|
बुध का उत्तम | केतु का खुद केतु की चीजो पर
मंदा असर, दुसरो पर अच्छा | अगर दोनों मुश्तरका हो तो बुध का ओर बुध की चीजो पर अच्छा मगर केतु व दुसरो का मंदा असर होगा
|
7
|
शुक्र
|
शुक्र – बुध
|
शुक्र का नेक ओर बुध दुसरो को भी मदद देवे
|
8
|
मंगल
|
शनि, चन्द्र आयु के लिए
|
अगर अकेले अकेले तो नेक वर्ना मंदा फल होगा
|
11
|
शनि
|
गुरु
|
शनि का नेक | बाकी ग्रह बेरी (शनि का पेड) के
गला घोटने वाले बेर | जाहिरा उम्दा मगर झाग के बताशे यानि धोखे का ओर अमूमन मंदा
असर
|
1)
ग्रह
बैठा होने वाले घर में ग्रह मुत्ल्ल्का की चीज कायम होने से उस ग्रह का असर पैदा
होगा | मसलन उच्च केतु खाना नंबर 9 में हो तो जद्दी मकान में केतु की आशिया
कुत्ता, दोहता वगैरा कायम करे |
2)
जन्म
कुंडली में कोई भी ग्रह जिस हैसियत से बैठा होवे वह ग्रह अपनी उस हैसियत का असर
अच्छा, बुरा, मंदा, उच्च, नीच वगैरा सिर्फ उस साल देगा जिस साल की वह वर्षफल के
हिसाब से उस बैठा होने वाली हैसियत के लिए निश्चित की हुए राशी या पक्के घर में आ
जाए | मसलन जन्म कुंडली में गुरु उच्च है खाना नंबर 4 में | जिस साल वर्षफल के
हिसाब से नेक होवे यानि खाना नंबर 4, 2 वगैरा में आ जावे, अपना नेक असर उस साल
जाहिर करेगा | जन्म कुंडली में उच्च है पर अपना उच्च असर अपनी राशि, अपने पक्के
घर, उच्च के घर वगैरा में आने पर जाहिर करेगा | इसी तरह सब ही ग्रहो का फल मिलेगा |
न हमेशा उच्च न हमेशा नीच वगैरा | यही हाल धोखे के ग्रह का होगा | वर्षफल में खाना
10 में आने पर ओर धोखे के टेबल के अनुसार भी 10 में आने पर पूरा धोखा देगा | धोखे
का ग्रह जब खाना नंबर 2 (किस्मत के ग्रह का घर), खाना नंबर 11 (किस्मत को जगाने
वाले ग्रह का घर) में आ जावे तो धोखा देगा, नेक मायनो में | मंदा ग्रह असल मंदा उस
वक्त होगा जब वो खाना नंबर 8 में आ जावे | ग्रह का जो फल उसके घर, मालकियत, उच्च
का लिखा है वह उसकी नेक हालत होने पर मिलेगा | इसी तरह मंदा होने के वक्त वो असर
मिलेगा जो नीच होने पर मिलता | नेक ग्रह का मंदा असर देखेने के लिए खानावार हाल
में दिया फल देखे | मसलन राहू नंबर 4 में पाप न करने की कसम खाए हुए है लेकिन राहू
वर्षफल में 10 में आये ओर टेवे वाला खुद ही खिलाफ चलने लगे तो नेक असर ख़त्म ओर
मंदा असर होगा | जैसे मकान की सिर्फ छत बदलवाना, कोयले इक्कट्ठा करना, लावाल्द या
काने आदमी को हिस्सेदार बना लेना, टट्टी या पाखाने की नई जगह बनवाना वगैरा तो राहू
शरारत, झगडे, फसाद खड़े कर देगा | इसी तरह अगर गुरु जन्म कुंडली या वर्षफल में उच्च
हो ओर कुंडली वाला गुरु की मुत्ल्ल्का चीजे जैसे पीपल के पेड़ कटवाए, साधु संतो को
सताए वगैरा तो गुरु का सोना मिटटी हो जाएगा | केतु 12 में हो ओर कुंडली वाला कुत्ते
मरवाए केतु का मंदा फल ही मिलेगा |
3)
हर
ग्रह की अपना असर जाहिर करने की निशानी के लिए ग्रह मुत्ल्ल्का की खानावार आशिया
होगी | नर ग्रहों का राज या असर करने का वक्त दिन का वक्त होगा ओर स्त्री ग्रह का
रात का | बुध ओर पापी का राज या असर दिन – रात दोनों के ढलने का वक्त यानि सुबह ओर शाम का होगा
4)
वर्षफल
में सूरज के हिसाब से मासिक चक्कर पर जब ग्रह वर्षफल वाले घर आवे तो अपना असर देगा
जो की उस ग्रह का उस घर के लिए मुकरर है (अच्छा या बुरा) 12 घंटे का दिन, 12 घंटे
की रात, 12 महीनो का साल, 12 राशिओं का असर, 12 साल मासूम बच्चा ओर 12 साल के बाद
अच्छे दिनों की उम्मीद सब के सब 35 साला चक्कर में शामिल है | ओर ज़माने की हवा (गुरु)
की तलाश की फ़िक्र में जर्द रंग हो रहे है | तमाम ग्रह दुनिया की सब चीजों पर असर
करते है | किसी ग्रह के असर के वक्त उस ग्रह की मुत्ल्ल्का रंग की चीजो पर या उस
रंग की चीजो के जरिए जाहिर होगा | वर्षफल के मुताबिक, कुंडली के लग्न के घर यानि
खाना नंबर 1 में आया हुआ ग्रह अपनी हुकुमत के दौरा के वक्त, सबसे पहले उस का घर का
अपना असर, जहाँ की वो जन्म कुंडली में बैठा था, देगा | उसके बाद अपने दुश्मन
ग्रहों पर, फिर कभी-कभार दोस्तों पर, फिर बराबर वालों पर | अगर एक ही घर में दौरा
वाले ग्रह के कई दोस्त या कई दुश्मन बैठे हो तो ग्रह चाल की तरतीब से असर करेगा
यानि पहले गुरु, फिर सूरज, फिर चन्द्र, फिर शुक्र वगैरा अगर कुंडली के खानों में
दोस्त ग्रह अलहदा ओर दुश्मन अलहदा हो तो खानों की तरतीब से असर करेगा यानि पहले
खाना नंबर 1, फिर 2, फिर 3 वगैरा |
5)
खाना
नंबर 11 के ग्रह वर्षफल में तख़्त पे आने के दिन से उम्दा होगे | मगर अपनी उम्र के
बाद अमूमन नकारा हो जाया करते है मसलन सूरज 22 साल | खास कर जब वो सोए हुए भी हो |
खाना नंबर 2 के ग्रह हमेशा नेक फल देगे जब तक खाना नंबर 8 खाली हो | खाना नंबर 2
के ग्रह टेवे वाले को बुढ़ापे में अपना नेक असर करेंगे
6)
मंदे
ग्रह के बैठा होने वाले घर की आशिया का हाल मंदा न होगा बल्कि वह वस्तुएं मददगार
होगी | मसलन सूरज खाना नंबर 6 राजदरबार
यानि नौकरी आदि में अस्थिरता लड़का (केतु) पैदा होने के बाद ठीक होगी |
7)
शुक्र
नंबर 1, 9 में सफ़ेद गाय आने या शादी 25 साल होने से मंदा फल होगा
8)
सूरज
नंबर 5 अपना राजदरबार ओर औलाद (खाना नंबर 5) हर दो उम्दा ओर नेक असर देगे
9)
हर
ग्रह अपनी राशि (मालिक) में हमेशा नेकफल देगा
10)
उच्च
का ग्रह अपने साथ बैठे दुश्मन ग्रह या उसकी दृष्टि में आने वाले दुश्मन ग्रह पर
बुरा असर न करेगा चाहे भला असर करे या न करे | दुश्मन ग्रह के साथ होने पर भी नेकी
न छोड़ेंगे लेकिन अगर छोड़ भी दे तो बदी न करेंगे | उदहारण लेते है : -
1)
गुरु उच्च हो खाना नंबर 4 ओर उसके दुश्मन शुक्र, बुध 10 में
2)
सूरज हो नंबर 1 ओर 7 में शत्रु तो औरत की मंदी सेहत ( टी. बी
) के सिवाय सूरज 7 वालो पर मंदा असर न देगा
3)
चन्द्र नंबर 2 में ओर दुश्मन बुध, शुक्र, पापी 6,12 में
4)
शुक्र 12 में ओर दुश्मन सूरज, चन्द्र, राहू 2 में
5)
मंगल 10 में ओर दुश्मन बुध, केतु हो 2 में
6)
बुध 6 में ओर चन्द्र 12 में
7)
शनि 7 में ओर चन्द्र, मंगल, सूरज भी 7 में
8)
राहू 3 में ओर शुक्र, सूरज, मंगल 9/11 ओर राहू 6 में तो ये
12 में
9)
केतु 9, 12 में ओर चंद्र, मंगल हो 2 में
जिन ग्रहों ने अपने पहले 35 साला चक्कर में बुरा असर दिया हो तो अपने दुसरे 35
साला चक्कर में (वर्षफलों से पता चलेगा) कभी बुरा असर न देंगे, भला असर दे या न दे
| इसी तरह 100 साल चक्र के बाद खानदानी हालात जरूर तबदीली पर होंगे ख्वा भली तरफ
ख्वा बुरी तरफ | इसका मतलब यह है की तीन पश्तो के बाद हालात बदल जाते है
अगर वर्षफल में सभी ग्रह मंदे हो तो एक ही आदमी लाखों का मुकाबला करने की
हिम्मत का मालिक होगा | ओर हर तरह से
उत्तम फल होगा |
मसनुई ग्रहों का असर खास बातो पर होगा
निम्नलिखित मुश्तरका ग्रहों से उनके सामने दिए हुए खाना नंबर का असर पैदा होगा
| दुसरे शब्दों में कहे तो उस खाना नंबर का असर उन में जरूर बहाल होगा चाहे किसी
घर में इकट्ठे हो | मसलन सूरज मंगल एक साथ हो तो खाना नंबर 1 में जो असर लिखा है यानि
खाना नंबर 1 का जो भी असर होता है बगैर किसी ग्रह के, वो असर बहाल होगा | इसका
मतलब यह है जब किसी घर का राशी का मालिक ओर पक्के घर का मालिक एक साथ हो तो तो उस
घर का असर बहाल होगा चाहे वो दोनों ग्रह कही पर भी हो |
ग्रह मुश्तरका
|
खाना नंबर जिसका असर मंदा होगा पर बहाल होगा
|
सूरज – मंगल
|
खाना नंबर 1
|
शुक्र – गुरु
|
खाना नंबर 2
|
मंगल – बुध
|
3
|
मंगल – शुक्र
|
4 (क्योंकि खाना नंबर 4 का मालिक ओर पक्का घर का मालिक एक ही है इस गृहस्थी
के मालिक मंगल पुरुष ओर शुक्र स्त्री लिया है
|
सूरज - गुरु
|
5
|
बुध – केतु
|
6
|
शुक्र – बुध
|
7
|
मंगल – शनि – चंद्र
|
8
|
बुध – शनि
|
9
|
शनि
|
10
|
गुरु – शनि
|
11
|
गुरु – राहू
|
12
|
मसनुई बनावट के ग्रह की हालत में उसके हर दो ग्रहों का असर जुदा – जुदा कर
लेना मुमकिन होगा या दोनों का असर मुश्तरका कर लेना हो सकेगा | दुसरे शब्दों में
कहे तो ऐसा असर राशिफल का होगा |
किस्मत की हेरा फेरी पक्का ग्रह, हाथ के बड़ी रेखा शायद ही कभी बदला करती है
मसनुई ग्रह यानि बद रेखा की शाखाएँ बदलना मुमकिन है ओर वो भी उम्र के हर सातवे
साल, 12 साल, मगर 21 साल की उम्र से रेखा में कोई तबदीली होना नहीं मानते | यह
बालिग़ होने का जमाना है | उम्र के हर सातवें साल तबदीली हाल ख्वा भली तरफ ख्वा
बुरी तरफ मानते है | अल्पायु कुंडली वाले के हर 8 वे साल जिन्दगी खतरा में गिनते
है जैसे 8-16-24-32-40-48-56-64 | 64 साल की हदबंदी है अधिकतम आयु |
ग्रह चाल में चीजो पर रंग का असर
तमाम चीजे किसी न किसी ग्रह के
मुताल्ल्का मुकरर हो चुकी जय मगर चंद एक चीजो में कुछ फर्क हाउ | मसलन कुत्ता दो
रंगा काला – सफ़ेद या काला सफ़ेद चितकबरा तो केतु होगा लेकिन दो रंगा ओर लाल रंग का
साथ हो तो बेशक कुत्ता केतु की चीज है मगर अब वो अपने असर में बुध गिना जाएगा | इसी
तरह भैंस शनि के मुत्ल्ल्का चीज़ है अगर वो स्याह काली रंग है तो शनि गिनी जायगी
लेकिन अगर लाल रंग (भूरी) हो तो सूरज का ताल्लुक या सूरज के असर की गिनेगे | इसी
तरह स्याह भैंस सिर्फ माथा सफ़ेद तो शनि के साथ चन्द्र का असर शामिल लेगे | घोडा
चन्द्र की चीज है अगर जर्द (पीला) रंग हो चन्द्र को गुरु की मदद साथ होगा |
लेकिन अगर स्याह घोडा हो तो शनि का
असर प्रबल लेगे जो चन्द्र के असर को दबाता होगा | हर शख्स के टेवे में जो भी ग्रह जिस
असर का हो उस ग्रह के मुत्ल्ल्का चीज ओर रंग का ताल्लुक वही असर देगा जैसा की वो
ग्रह टेवे में अच्छा या बुरा साबित हो रहा हो |
नर ग्रह नरो पर ओर स्त्री ग्रह
स्त्रियों पर असर करेगे |
1)
गुरु असर करेगा रूह के ताल्लुकदारों पर
2)
सूरज असर करेगा जिस्म के ताल्लुकदारों पर
3)
मंगल खून के
4)
चन्द्र माता की हैसियत वाली पर
5)
शुक्र औरत के दर्जा वाली पर
6)
शनि धातु आदि पर
7)
बुध वेजिटेबल पर
8)
राहू दिमाग हरकत
9)
केतु पाँव पर
10)
मसनुई ग्रह हैवानात, बेजानो पर
1)
12 साल की उम्र तक टेवा नाबालिक ओर 21 के बाद बालिग़ गिना
जाता है मगर वर्षफल के हिसाब से जब सूरज तख़्त पर आये तो उस दिन से सब ही ग्रह
बालिग़ गिने जाते है |
2)
सूरज 1 / 5 / 11 में जन्म कुंडली में हो तो जन्म से ही सब
ग्रह बालिग़ गिने जाएंगे
3)
सूरज का दौरा शुरू होने से पहले इंसान पर अपने पिछले कर्मो
का फैसला असर करता है (अमूमन 7 या 8 साल ) | हर 7 वे या 8 वे साल तबदीली का हुआ
करता है |
4)
एक ही घर में नीच ओर मंदे ग्रह हो तो बहुत कम नेक असर होगा |
5)
इंसान जिस ग्रह का साबित हो वो ग्रह उसे खाना नंबर 9 का काम
देगा चाहे वो ग्रह कुंडली में कहीं भी बैठा हो | इंसान किस ग्रह का होगा ओर मकान
किस ग्रह का होगा यह जुदा लिखा है लाल किताब में |
6)
जिस किसी शख्स में जिस ग्रह की ताकत ज्यादा होगी उस ग्रह के
मुताल्ल्का चीज का ज्यादा इस्तेमाल करने का आदि न होगा | मसलन सूरज है नमक सफ़ेद ओर
मंगल को मीठा माना है | सूरज अगर प्रबल हो तो कम नमक खाता होगा | मंगल कमजोर हो तो
अधिक मीठा खाता होगा | वगैरा
नौ ग्रहों का दूसरी पुश्त का
रिश्तेदार पर असर
1)
जब किसी का गुरु प्रबल हो तो जिस घर में गुरु बैठा है उस घर
से सम्बंधित रिश्तेदार गुरु की सिफ्त का होगा | गुरु अगर हो अपने घरों का तो जातक
स्वयं या उसका बाबा, पिता गुरु ग्रह जैसे होगे | इसी तरह दुसरे ग्रह लेंगे |
2)
प्रबल सूरज हो खाना नंबर 6 में तो कुंडली वाले का केतु यानि
बेटा सूरज की सिफ्त का होगा
3)
केतु हो मंगल के पक्के घर नंबर 3 में तो उसके भाई केतु जैसे
होगे |
मुश्तरका ग्रहों का असर
ग्रह मुश्तरका बुरा नहीं करते, बंद
मुट्ठी के खानों में |
फल दो ग्यारह अपनों अपना, धर्म
मंदिर गुरुद्वारा में ||
1)
गुरु – सूरज, गुरु – बुध, गुरु - शनि, सूरज – शनि, बुध – शनि
इकट्ठे होने के वक्त वाल्दैनी सुख सागर ओर जायदाद जद्दी के सुख से कोई ताल्लुक न
होगा बल्कि सिर्फ जाती गृहस्थी सुख से मुराद होगी |
2)
स्त्री ग्रह यानि चन्द्र, शुक्र के साथ जब नर ग्रह हो तो नेक
फल होगा
3)
जब एक ही घर में दो से ज्यादा ग्रह हो तो वो आपसी दुश्मनी
छोड़ देते है पर दोस्ती नहीं छोड़ते
4)
बुध अगर अपने पक्के घर खाना नंबर 7 में बैठा हो ओर नर ग्रह
सूरज, मंगल गुरु या शनि बंद मुट्ठी में हो या 2 / 11 में हो तो टेवे वाले की सेहत
जिस्मानी ओर उम्र पर कभी बुरा असर (मौत वगैरा) न देगा बशर्ते शनि के साथ स्त्री
ग्रह न हो | शनि के स्त्री ग्रहों का ताल्लुक हो जाए तो असर के लिए शनि का हाल
विस्तार से देखे जहाँ लिखा है |
मुश्तरका घरों का असर देखने का ढंग
जिसमे दृष्टि की कोई शर्त नहीं
आम तौर पर दर्जा दृष्टि 100%, 50%
25% होती है | अगर हम, दृष्टि कितने फीसदी है का ख्याल न भी रखे तो कोई बात नहीं मगर
किस घर के ग्रह किस घर के ग्रह को देख सकते है याद रखना जरूरी होगा | मसलन खाना
नंबर 1 देख सकता है खाना नंबर 7 को मगर खाना नंबर 7 नहीं देख सकता खाना नंबर 1 को |
अगर 1 का ग्रह सात का दुश्मन हो तो वो अपनी दुश्मनी की जहर नंबर 7 वाले पर डाल
सकता है मगर 7 वाला 1 पर नहीं | इस बात को याद रखते हुए नीचे दिए घरों का इकट्ठे
मिला कर देखे तो आपसी मिले हुए असर से जो बाते जाहिर होगी वो निम्नलिखित होगी
खाना नंबर 1,7,11,8 का मुश्तरका असर
( राजा वजीरी हालत )
अगर खाना नंबर 11 खाली तो खाना नंबर
1 का राजा बेलगाम | अगर 8 खाली तो खाना नंबर 7 का वजीर बेदलील | अगर खाना नंबर 8
में कोई ऐसा ग्रह हो जो तख़्त के ग्रह का दुश्मन हो तो खाना नंबर 8 का ग्रह तख़्त पर
बैठे राजा को इस तरह चलाएगा की जैसे किसी शख्स की आँखों में जहर डाल दी गई हो |
जिससे कि वह रास्ता चलते वक्त देखने की बजाए दर्द के मारे अपना सर पीट रहा हो | दूसरी
तरफ अगर खाना नंबर 11 का ग्रह नंबर 1 का दुश्मन हो तो वह तख़्त पर बैठे राजा को ऐसे
चलाएगा जैसे टांगों में जहर भरी हो ओर वो दर्द के मारे चिल्लाता होगा | लेकिन अगर
11, 1, 8 मित्र हो तो राजा अपनी टाँगे यानि खाना नंबर 11 ओर आँखों यानि खाना नंबर
8 से हमेशा मदद पता होगा ओर खाना नंबर 7 का ग्रह की वजीरी मदद मिलती होगी बशर्ते
खाना नंबर 1 में खाना नंबर 7 से ज्यादा ग्रह न हो | मसलन खाना नंबर 1 में दो या दो
से ज्यादा ग्रह हो ओर खाना नंबर 7 में अकेला तो 7 वाला ग्रह 1 वालो के बोझ के तले
दब कर अपनी जड़ कटवा रहा होगा | इसका मतलब यह है कि जब एक से ज्यादा राजा हो ओर
वजीर अकेला हो तो वो कई राजाओं की हुक्म के तले दब जाएगा | किसकी बात मानू ओर किस
की नहीं | मसलन नंबर 1 में राहू के साथ कोई एक ओर या ज्यादा ग्रह हो तो खाना नंबर
7 का अकेला केतु खाना नंबर 1 के राजाओं का एक ही वक्त में दिया हुआ हुक्म एक ही
वचन में पूरा करना पड़ेगा | इसका मतलब यह हो जाएगा कि ऐसे वजीर की अपनी जड़ कटती
होगी | केतु मुताल्ल्का चीजो का मंदा हाल होगा यानि ऐसा प्राणी अपनी नर औलाद को
तरसता ही होगा या औलाद देर बाद या होगी ही नहीं |
खाना नंबर 7 के वजीर की दलीलबाजी
होती है खाना नंबर 8 के ग्रह से | मसलन खाना नंबर 7 में मंगल बैठा हो तो धन दौलत
परिवार सब ही के लिए उम्दा असर है | लेकिन अगर नंबर 8 में उसका शत्रु बुध बैठ जाए
तो मंगल का सब ही फल रद्दी निक्कमा बर्बाद नष्ट होगा ओर दुःख का कारण होगा | इसी
तरह बुध अगर 1 में बैठ जाए तो तो भी 7 के मंगल का फल निक्कमा होगा | 8 के बुध का
ओर 1 के बुध का में फर्क सिर्फ इतना है कि बुध नंबर 1 के वक्त यानि बुध के राजा
होने के वक्त धन दौलत परिवार बुध राजा के बेहद ज्यादतियो ओर जालिमाना कारवाईयों या
शरारतो से बर्बाद होगा मगर कुदरत कोई धोखा न देगी | मगर बुध नंबर 8 के वक्त कुदरत
की तरफ से रद्दी निक्कमा होता चला जाएगा बेशक वक्त का हाकिम राजा उसे कितनी ही मदद
देता चला जाए | नतीजा खांड (मंगल) में रेत (बुध) यानि खून की खराबी, आंतडियो का
रास्ता बंद, सेहत ओर गृहस्थ दोनों ही मंदे होते चले जाएंगे |
खाना नंबर 8,2,6,12 का मुश्तरका असर
रात का आराम (12), साधू (2) की
समाधि (12) वगैरा जब नेक हालत हो | मंदी हालत हो तो अकाल मृत्यु, मुसीबत इंसान पर
या चरिंद, पारिंद वगैरा के मुताल्ल्का होगी |
खाना नंबर 8 का ग्रह, दुसरे
दुनियावी साथिओं के ताल्लुक से किस्मत का असर, खाना नंबर 8 से खाना नंबर 2 को जाता
मंदा असर ओर खाना नंबर 11 के रास्ते से होगा | अगर खाना नंबर 11 का ग्रह 8 का
दुश्मन हो तो खाना नंबर 8 की जहर दो में न जाएगी
खाना नंबर 8 का असर मिल सकता है 2
में, मगर 2 का असर 8 में नहीं मिला करता | खाना नंबर 2 (साधू) ओर 12 (समाधि) मिलते
मिलाते रहते है, किसी दृष्टि दर्जे का कोई लिहाज नहीं हुआ करता | खाना नंबर 2 अपना
असर मिलाता है 6 में | ओर खाना नंबर 6 अपन असर जो भी हो, बिना 2 के मिले हुए असर
के, वह असर 12 में मिला दिया करता है | 12 अपना असर 6 में नहीं मिलाता | सिवाए बुध
नंबर 12 ओर शनि नंबर 6 के जो उल्ट असर करते है | खाना नंबर 6 , 8 के ग्रह भी आपस
में मिले मिलाए रहते है, 2, 12 की तरह | 6-8 के ग्रह ख़ुफ़िया तौर पर पाताल में गैबी
ढंग से मंदी लहरों के कारण होते है |
ऊपर के असूलों में जाहिर हुआ कि
खाना नंबर 8, खाना नंबर 6 की सलाह लेता हुआ खाना नंबर 11 के रास्ते खाना नंबर 2
में अपनी मंदी जहर यानि अचानक आने वाली मुसीबत, मौत का भय भेजा करता है जो की खुद
इंसान पर, दुनियावी साथिओं पर या उनके द्वारा या जानवर आदि पर होगी | खाना नंबर 8
के ग्रह के मुत्ल्ल्का होगी | अगर 2, 12 अच्छे हो ओर साथ ही 8 ओर 11 आपस में
दुश्मन हो तो न कोई अचानक मुसीबत आयगी ओर न ही कोई दुनियादार साथी मुसीबत के वक्त
धोखा देगा लेकिन फिर भी अगर कोई अचानक मुसीबत आ भी जाए तो कुंडली वाले को उसी तरह
अचानक ही बिन बुलाए मददगार आ जाएँगे जो उसकी हर तरह से, गैबी ढंग से या जाहिरा मदद
कर बचा लेंगे |
अगर खाना नंबर 12 ओर 8 में ऐसे ग्रह
बैठे हो जो आपस में मिल जाने पर दुश्मनी का भाव पैदा कर ले या एक दुसरे का असर
मंदा कर दे ओर साथ ही खाना नंबर 2 खाली हो तो धर्म – मंदिर न जाए | क्योंकि धर्म –
मंदिर जाने पर 2 – 12 का मंदा असर शुरू हो जाएगा | ऐसी हालत में धर्मस्थान के
अन्दर की मूर्ति वगैरा को अपने जिस्म का कोई अंग ने छुए | अपने इष्ट देव को सर
झुका कर प्रणाम कर लेना कोई बुरा न होगा |
अगर खाना नंबर 8 – 12 में दोस्त हो
या उत्तम ग्रह हो तो ओर खाना नंबर 2 खाली हो तो धर्मस्थान में जाना, अंग छुआ कर
पूजा करना सब तरह से नेक असर पैदा करेगा |
3, 5, 9, 11 का मुश्तरका असर |
किस्मत का गैबी असर, हवाई बारिश,
अचानक उतार चढाव, बुजुर्गान, बचपन, ओर जवानी किस्मत की चमक का जमाना यानि भाईओं के
जन्म के दिन से अपनी जवानी ओर अपने बच्चो के जन्म दिन से जिन्दगी का हाल, अपने
बुजुर्गों ओर अपनी औलाद का हाल या अपने जन्म से पहले का जमाना ओर आने वाली नस्लों
का हाल
खाना नंबर 9 अपने बुजुर्गो की हालत
बताता है लेकिन अगर खाना नंबर 3 में कोई ग्रह हो तो भाईओं के जन्म दिन से उस खाना
नंबर 9 के ग्रह का असर टेवे वाले पर शुरू होगा | ओर औलाद के पैदा होने के दिन से
उसमे तबदीली आएगी | अगर नंबर 5 ओर नंबर 9 में पापी हो तो औलाद के दिन से कोई खास
नेक असर नहीं गिनते | जब खाना नंबर 5 में पापी ओर नंबर 8 में कोई दुश्मन या मंदा
ग्रह हो तो खाना नंबर 11 का ग्रह बिजली की तरह बुरे असर की चमक शुरू कर देगा ओर यह
बिजली आखिर पर खाना नंबर 8 के ग्रह के मुत्ल्ल्का रिश्तेदार पर या खाना नंबर 5 के
मुत्ल्ल्का रिश्तो की मार्फ़त या उस पर (8 या 5 ) पड़ेगी | अगर खाना नंबर 11 खाली हो
तो अपनी आमदन के ताल्लुक में सोई हुई किस्मत का जमाना होगा ओर भाई बन्दों से भी
कोई ऐसा फायदा नहीं गिनते | अगर 10 ओर 5 में दोनों में ग्रह हो तो आपसी जहरी
दुश्मन होंगे | मसलन 10 में चन्द्र ओर 5 में मंगल हो, जो आपस में दोस्त है लेकिन
ऐसे प्राणी की 24 साला उम्र (चन्द्र) ओर 28 साला उम्र (मंगल) माता ओर भाई पर भला न
होगा |
अगर खाना 9 में सूरज या चन्द्र बैठे
हो तो खाना नंबर 5 में बैठे पापी का खाना औलाद पर कोई बुरा असर न होगा ओर न ही
जिन्दगी को तल्ख़ करने वाली किसी मंदी बिजली का खौफ होगा | खाना 9 अगर समंदर तो
नंबर 2 पहाड़ो का लम्बा चौड़ा सिलसिला होगा | दोनों को मिलाने के लिए हवाई ताकत का
मालिक दोनों जहाँ का ग्रह गुरु ( खाना नंबर 9 ओर 2 ) दोनों ही का का मालिक हवा की
लहरों से अपनी सुनहरी असर पैदा करता या फोकी उम्मीदों में पहाड़ी ओर समंदरी सैर
करता होगा | यानि अगर खाना नंबर 9 से बारिश से लदी हुई मानसून की हवा चल निकले तो
खाना नंबर 2 के पहाड़ से टकरा कर किस्मत के ताल्लुक में सोने की बारिश कर देगी |
लकिन अगर 2 खाली तो बेकार चली जाएगी | यानि अगर 9 में उम्दा ग्रह हो ओर 2 में कोई
ग्रह बैठा हो तो खाना नंबर 2 में बैठे ग्रह की उम्र में अपने बुजुर्गो की शानो
दौलत का फायदा होता होगा | लेकिन अगर 2 खाली तो बुजुर्गो के धन दौलत का सिर्फ वहम
या गुमान ही रहेगा मगर कोई फायदा न होगा |
अगर खाना नंबर 2 में कोई ग्रह हो ओर
9 खाली तो पहाड़ तो होगा मगर बिना वनस्पति के यानि ऐसे प्राणी की आमदन या जर माया
ख्वा कितनी ही हो मगर सिर्फ दिखावे का धन ओर जले हुए पहाड़ का नजारा दिखलाता होगा |
4, 10, 2 का मुश्तरका असर
किस्मत के मैदान की लम्बाई चोडाई जिसमे
प्राणी कितना फ़ैल सकेगा खाना नंबर 10 का ग्रह बता देगा | इसमें किसी भी दुसरे भाई
बन्धु, माता, पिता औरत वगैरा का ताल्लुक न होगा | इस मैदान की मिटटी की चमक खाना नंबर 2 का ग्रह
बतायगा | इस मैदान की आबोहवा, खुशगवार इलाका, पानी के चश्मों का हाल खाना नंबर 4
का ग्रह बता देगा | खाना नंबर 4 अगर खाली हो या उसमे पापी हो तो खाना नंबर 2 कितना
ही उम्दा हो मगर अपनी प्यास के लिए पानी की जरुरत के वक्त पापी सांप (शनि), हाथी (राहू)
ओर सूअर गधा (केतु) वगैरा के भयानक नज़ारे पैदा करते होगे | यानि धन दौलत के चश्मे
पर गन्दा पहरेदार (पापी) होने की वजह से चश्मा का पानी अपनी कुछ भी शान न देगा |
यानि ऐसा प्राणी बेशक अपनी कितनी ही हिम्मत से क्या कुछ ही न बना लेवे मगर जब भी
अपनी धन की थैली में हाथ डालकर नकद माया गिननी चाहे तो उस थैली में पत्थर के छोटे
छोटे टुकड़े, सांप (शनि) ओर जलते हुए काले कोयले (राहू) ओर फटी हुई रंग बिरंगी
धज्जियाँ (केतु) अपना जलवा दिखा रहे होंगे |
अगर खाना नंबर 8 मंदा हो तो खाना
नंबर 10 की आलीशान ईमारत का बिस्तरा तक जला हुआ होगा | मातम का जमाना होगा ओर बिन
बुलाए तंग कर रहा होगा | बेशक ख्वा कोई मौत का सदमा या नुक्सान हुआ या न हुआ हो |
लेकिन अगर खाना नंबर 2 उम्दा हो तो गरीबी की स्याह रातो में मामूली से चिराग की
बजाय कुदरती रौशनी रास्ता दिखने के लिए स्वयं पैदा होगी ख्वा ऐसा प्राणी खुद जन्म
से या अपनी उम्र के ज़माने से कितना ही नीचे दर्जे का हो |
अगर खाना नंबर 2 खाली तो खाना नंबर 10 यानि किस्मत का मैदान कितना ही लम्बा चोडा
हो मगर उसमे कोई चमक या शान या दुनियावी जिन्दगी का साजो सामान ओर आराम शायद ही
कभी मुहैया होगा | इसी तरह अगर 2 में ग्रह हो ओर 10 खाली तो किस्मत में लिखे हुए मालोधन
का पार्सल डाकखाने या रेलवे स्टेशन पर बेशक पहुँच चुका हो मगर उसको लेने के लिए
अपनी पहचान का सबूत, सामान की जिम्मेवारी की कीमत ओर बाकी रसीद पर्चा शायद रास्ते
में ही कहीं गुम हो गया होगा | जिसकी तलाश में कई गए मगर वो वापिस ही नहीं आये ओर
प्राणी उमींद में रास्ता देखते देखते थक हार गया |
अगर 2 ओर 10 दोनों ही खाली हो ओर चार में नेक ग्रह बैठा हो तो पीने के लिए
पानी तो नजर आता होगा मगर पता नहीं चलता होगा की उस जगह पहुँचने का रास्ता किधर है
| रेगिस्तान की मृगतृष्णा में ऐसा प्राणी बैउमीन्दी में उमींदे बांधता हुआ अपनी
किस्मत के मैदान में बंधा हुआ पसीने से तरबतर होता चलेगा यानि जिन्दगी ओर माया
दौलत होंगी तो जरूर मगर अपनी जरूरत के लिए कब पुरे होंगे इस बात का जवाब शायद ही
कभी मिलेगा |
1,7,9,11 का मुश्तरका असर – इन सब का हाल जैसा भी एक का हो, चारों घरो में
सबका वैसा ही होगा |
3,11,4,7 का मुश्तरका का मुश्तरका असर – धन की आमदन, फालतू धन, खर्च की लहर की
हालत (धन दौलत के हाल में लिखा है)
8,2,4,3 का मुश्तरका असर बीमारी, सेहत, आखिरी वक्त, जायदाद, चोरी अय्यारी,
दोस्ती वगैरा (सेहत, बीमारी ओर इंसानी उम्र के हाल में लिखा है)
खास – खास असर
ग्रह दोस्त नहीं बाहम लड़ते, झगडा
कराते दुसरे है
शनि रवि दो इकट्ठे, लड़ते ग्रह
स्त्री से है
स्त्री ग्रह जब शनि से मिलकर, बैठे नंबर
दो यां कहीं भी हो
इन बैठों को कोई भी देखे, मरते
अल-औलाद से हो
इस जहर को घर 9 वे से, राहू केतु
हटाते है
अगर मदद न उनकी लेवे, मंगल केतु मर
जाते है
एक दिवार के घर दो साथी, ग्रह
मुश्तरका होते है
शत्रु ग्रह दो कभी न मिलते, दोस्त
मिले ही लगते है
स्त्री ग्रह जब शनि से मिलकर खाना
नंबर दो में या कही भी ओर जगह बैठे हो तो जो ग्रह इनको दृष्टि के असूल पर देखेगा,
उस ग्रह का मुत्ल्ल्का रिश्तेदार अल-औलाद की मोतो से दुखिया होगा
वजह किसी दिवार फटे गर, दुगनी जहर
हो जाती है
अक्ल बुरी किस्मत हो मंदी, मौत खड़ी
हो जाती है
ग्रह शत्रु में गुरु जो आवे, बैर
ख़त्म हो जाता है
माता चन्द्र जब साथी होवे, मित्र
सभी बन जाता है
जब कोई ग्रह ऐसे घर में बैठा हो
जहाँ वो नीच है या दुश्मन के घर में हो (मल्कियत या पक्का घर) तो इस ग्रह का मंदा असर होगा | लेकिन अगर ग्रह ऐसे
घरो में हो जो उसके लिए उच्च है या दोस्त का घर है (मल्कियत या पक्का घर) तो उस
ग्रह का अमूमन नेक असर होगा | अगर कोई ग्रह अपने पक्के घर में हो या कायम हो या उसके
साथ बराबर की हैसियत का ग्रह हो तो औसत हालत में नेक असर का होगा |
कौन सा ग्रह सिर्फ अकेला ही बैठा हो
तो क्या असर होगा | यहाँ अकेले से मतलब है हर तरफ से अकेला |
अकेला गुरु – टेवे वाले पर कभी मंदा
असर न करेगा
सूरज – खुद अपना संघर्ष कर के दौलतमंद
होगा
चन्द्र – अपनी दयालुता ओर नरमी से
फांसी तक माफ़ करवा दे ओर कुल खानदान कभी नष्ट न होने देगा (unlike
Mercury)
शुक्र –
कभी बुरा न होगा | जब कभी बुरा होगा तो उस बुराई करने कराने में कोई दूसरा साथी
जरूर होगा |
मंगल - चिड़िया घर का कैदी या बकरियो में पला शेर
होगा
बुध –
लालची, देस परदेश में खाली चक्कर मुख्न्न्स (नपुंसक) हालत का असर होगा
शनि –
अकेले सूरज के साथ खाली बुध का ही काम देगा
राहू –
एक अकेला तमाम ग्रहों की परवाह न करेगा ओर ज़माने के सब दुश्मनों पर कड़कती हुई
बिजली की तरह चमकता ओर टेवे वाले की हर मुसीबत से पूरा बचाव करेगा मगर माली हालत
की शर्त न होगी लेकिन यह मतलब नहीं की गरीब बना देगा | अमीर बनाने की शर्त नहीं
केतु –
ख्वा कुंडली में राहू से पहले ख्वा बाद के घरों में हो, हर दो हालत में राहू के
इशारे पर चलेगा ओर हर वक्त यही असूल बनाए रखेगा कि
सुपर्दम
बतो मायार खेशरा, तू दानी हिसाबो कामो बेशरा
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