लाल किताब
सूर्य खाना नंबर 10
सेहत मान धन का
मालिक मगर वहमी
अतायत (बड़ा मान
कर उनके मातहत हो कर चलना) जो बड़ो की करता चलेगा, ज़माने में तेरा कुछ बन के रहेगा |
सफ़ेद पगड़ी (शरबती
रंग) उत्तम मगर सर पर काले नीले रंग या नंगा सिर हानि कारक होगा |
नेक हालत में
मान स्वास्थ्य धन
का मालिक मगर वहमी होगा | सिर पर सफ़ेद या
हल्के शरबती रंग (जो काले-नीले न हो) की
पगड़ी या टोपी उत्तम होगी |
मंदी हालत में
इस घर में अकेला
बैठा सूर्य अपने शत्रु शनि की चीजों की (जद्दी विरासत, पिता या उनका सुख, नजर, काली चीजे, तेल, लोहा, लकड़ी, भैंस, बाल, मगरमच्छ, तीन साला रहने का घर, पिजड़ा, घुटना) पर अपना
नेक प्रभाव देना बंद कर देगा | जब तक राहू
(ससुराल) का साथ या उनके घर ही रहना या राहु से सम्बंधित काम या चीजों का साथ हो
तो राहू सदा ही सूर्य ग्रहण या मंदा कच्चा धुआँ पैदा करता होगा | अपने नुक्स का ढिंढोरा पीटना और दूसरों के आगे
रोने रोना मंदे समय की पहली निशानी और
बर्बादी की निशानी होगा | चाहे कोई भी
दर्जे की विद्द्या डिग्री हासिल की हो और उसके बड़े चाहे कितने उत्तम भाग्यवान हो
मगर वह नंगा सिर रहने का आदी होने पर आम तौर पर चिल्लाता ही होगा और हर ओर
नाकामयाबी ही होगी | पश्चिमी दिवार
में रोशनी या पश्चिमी दिवार (अपने मकान की), पडोसी लावल्द या राहु की लानत से जलता हुआ होने, मंदे सूर्य की आम निशानी होगी | राजदरबार में
स्याही से सिफारशी कागज, स्याह कर के कई
बार देखा ओर देखा न उसे कभी पार देखा बल्कि नर ग्रह की सहायता न होने पर
(साथ-साथी) उसने न दर देखा न जहाँ देखा | फिर भी देखा तो क्या देखा कि सूर्य की आग की गर्मी और अपने स्वयं के गुस्सा के
जोर से मंदा हाल देखा और औलाद तबाह बर्बाद देखा | किस्मत अपने के लेखे में न कभी शाह देखा
फिर शाही लिस्ट
में भी न उसे लिखा देखा | पर मगर देखा तो
तो सफ़ेद पगड़ी या दस्तार से ही उसे गुरु के दरबार देखा | तो आखिर में उसे शाहो का शाह देखा | मगर बुध की उम्र 34 साल ही न यह हाल देखा | फिर भी देखा तो
उसे न कभी योगी अलंकार देखा | संक्षेप में कहे
तो अकेले सूर्य का प्रभाव मंदा ही होगा | खासकर नंगा सिर या बाहर की स्याही या स्याह कपडे पहनने वाला, या सिर पर या सारे शरीर पर काले नीले कपडे मंदा
मनहूस प्रभाव देंगे | हलके शरबती रंग
उत्तम होंगे |
1) जब खाना नंबर 5 -
6 और चंद्र मंदे हो और नर ग्रहों गुरु - मंगल का
साथ न मिले तो अल्पायु, दुखो से भरा
जिस्म, और धर्म और औलाद की हर
तरह से हानि देखता होगा |
2) जब चंद्र नंबर 5 में हो तो और नर ग्रह साथ-साथी न हो तो उम्र 12 दिन होगी |
3) जब चंद्र 4 में हो तो घोडा, माता, पगड़ी सब निष्फल
बल्कि गुरु भी व्यर्थ मगर राजदरबार उत्तम सूर्य का प्रबल असर होगा |
4) जब शुक्र नंबर 4 से देखता हो और शनि भी मंदा हो तो पिता टेवे
वाले की छोटी उम्र में ही चला जाए |
5) जब चंद्र नंबर 2 में ऊँच-कायम हो तो
ऊँच चंद्र जो
टेवे बैठा, भला दौलत जर होता हो |
साल 24 न माता सुखिया, राज असर चाहे उम्दा हो |
24
साल की उम्र में
माता दुखिया और ऐसा भी हो सकता है की चल बसे मगर जरूरी नहीं की चल ही बसे |
6) खाना नंबर 6-7 में कोई भी ग्रह बैठा हो तो 34 साल की उम्र तक मच्छर जैसा भाग्य यानि न स्वयं
सुखी न पिता का आराम | न स्वयं योगी
अलंकार और न ही शाही मदद की गुंजाइश | न संतान कायम | न सुख शाह |
न राजदरबार में ऊँचा दर्जा | मगर बाद में उसे शाहों का शाह भी माना है |
7) जब शनि मंदा हो तो सूरज
शनि का लम्बा झगड़ा होगा मगर राज दरबार उम्दा हो तो शनि के मकानों व दीगर सम्बंधित
चीजों का असर मंदा होगा | शनि की महादशा के
समय 19 साल पिता को कष्ट जुदाई
और धन दौलत की मंदगी होगी | दरिया और तेह
जमीन का पानी (कुआँ, हैंडपपं) सदा मदद
देगा |
8) खाना नंबर 4 खाली हो तो राजदरबारी सम्बन्ध में सूर्य सोया हुआ
होगा यानि बुद्धि ज्ञान के अनुसार ताकत या अच्छी आदते होते हुए भी दरबार में उसकी
कोइ कदर या गिनती न होगी | दरिया, नदी, नाला में यानि चलते पानी में 40 - 43 दिन लगातार ताम्बे के पैसे बहाते जाना सहायक होगा |S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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