Friday, 7 September 2018

लाल किताब फरमान 13


लाल किताब फरमान 13 

घटना कब घटेगी किस महीना में केसे पता लगाते है | आप टेस्ट कर के देखे |
    1)       
खाना नंबर
कौन सा महीना होगा (चन्द्र मास)
अंग्रेजी कैलंडर
1
वैशाख
अप्रैल मिड से मई मिड
2
ज्येष्ठ
मई मिड से जून मिड
3
आषाढ़
जून – जुलाई
4
श्रावण
जुलाई – अगस्त
5
भाद्रपद
अगस्त – सितम्बर
6
आश्विन
सितम्बर – अक्टूबर
7
कार्तिक
अक्टूबर – नवम्बर
8
मार्गशीर्ष
नवम्बर – दिसम्बर
9
पौष
दिसम्बर – जनवरी
10
माघ
जनवरी – फरवरी
11
फाल्गुन
फरवरी – मार्च
12
चैत्र
मार्च – अप्रैल

जन्म कुंडली में जिन घरो में कोई ग्रह बैठा हो ओर जब कभी इन घरों में कोई भी ग्रह वर्षफल के अनुसार आएगा तो वो अपना असर उस खाना नंबर के लिए मुकरर महीना मे जाहिर करेगा | मसलन जन्म कुंडली के खाना नंबर 2 में कोई ग्रह बैठा है | इसका मतलब यह हुआ की खाना नंबर 2 का असर ज्येष्ठ मास में होगा यानि मई – जून में | अब वर्षफल के मुताबिक़ किसी भी साल खाना नंबर 2 में कोई ग्रह आ गया, माना के बुध आ गया | खाना नंबर 2 का बुध पिता के लिए गैर मुबारिक होता है | अब इस बुध का पिता पर मंदा असर क्या पूरा साल होगा ? नहीं | केवल ज्येष्ठ के महीना यानि मई – जून में अपना मंदा असर दिखायगा | गुरु की मुत्ल्ल्का चीजो पिता वगैरा पर मंदा असर करेगा |

    2)      जन्म कुंडली के मुताबिक जो घर खाली होंगे उन घरों में वर्षफल में जो ग्रह आएँगे वो अपना मुकरर फल इस ऊपर लिखे महीना में न देंगे | जिस नंबर में सूरज वर्षफल के मुताबिक़ बैठा हो उस महीना में असर करेगे | मसलन जन्म कुंडली का नंबर 4 खाली हो ओर वर्षफल में कोई ग्रह खाना नंबर 4 में आ जाए, माना मंगल आ गया | सूरज उस साल खाना नंबर 8 में था तो इस मंगल का खाना नंबर चार का नीच असर जन्म दिन से आठवे महीने में होगा |
   3)      वर्ष (उम्र के साल) का शुरू / आखिर देसी महीनो के हिसाब से लेंगे क्योंकि जन्म कुंडली ओर वर्षफल में सूरज की तबदीली चैत्र या वैशाख महीना में होती है यानि सूरज का मेष राशी में परवेश 13 / 14 अप्रैल के पास होता है | पक्का असूल यह है कि सूरज की बुनियाद पर  ज्योतिष चलता है ओर सूरज 12 राशिओं का चक्र पूरा करके चैत्र / वैशाख महीना में 13 / 14 अप्रैल के पास फिर से मेष राशी में परवेश करता है |   
   4)      वर्षफल का असली असर उसी महीने में होगा जिस खाना नंबर उस साल सूरज बैठा हो | मसलन सूरज बैठा हो खाना नंबर 7 में नीच का तो राजदरबारी खराबियां वगैरा उस साल के जन्म दिन से सातवें महीने में पैदा होगी मगर बाकी सब महीनो में सूरज का असर मंदा न लेंगे |
   5)      एक साल के अन्दर के हालात के लिए वर्षफल कुंडली में जिस खाना में सूरज बैठा होवे उस खाना को उम्र के महीने का अंक देकर तमाम कुंडली मुकम्मल कर ले | महीना शुरू जन्म वक्त से लेंगे | मसलन 31 तारीख की पैदाइश हो तो दुसरे महीने की 30 तक पूरा महीना होगा | देसी हिसाब से ही चले |   

 जन्म कुंडली










वर्षफल 44 वाँ साल









अब 44 वाँ साल का पांचवे महीना का मासिक कुंडली बनाना हो तो क्या करेगे ? जहाँ सूरज वर्षफल में बैठा है वहां नंबर 5 लिख दे | अब कुंडली के बाकी नंबर लिख कर कुंडली पूरी लिख दे | जहाँ पर 1 आएगा, उसे लग्न बना का लिख दिया तो कुंडली ऐसे बन गई




पांचवे महीने में 17 वें दिन की कुंडली बनानी हो तो क्या करेंगे
पहली बात यह है दैनिक कुंडली मंगल से बनती है | यानि जहाँ मंगल बैठा है मासिक कुंडली में वहां पर पहले दिन के लिए 1 लिखेगे | 17 वें दिन के लिए मंगल से गिनना शुरू करे तो 17 वाँ दिन छठे घर में आयगा | मंगल को वहां यानि छठे घर में लिख दे | अब मासिक कुंडली के बाकी ग्रहों को वैसे ही आगे लिख दिया जैसे की वो मंगल के आगे पीछे लिखे थे | जैसे मंगल के बाद मासिक कुंडली में अगले घर में शनि है तो मंगल के बाद खाना नंबर 7 में शनि लिखा | शनि लिखा | शनि के बाद गुरु है तो फिर खाना 8 में गुरु लिखा | तो कुंडली ऐसे बनेगी
मासिक कुंडली                  













17 वें दिन की कुंडली


























S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant 



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