टेवे की किस्मे
शत्रु* ग्रह घर दस में
बैठे, टेवा होता ग्रह अँधा हो
7 शनि हो सूरज चौथे, आधा
अँधा नोहराता हो
बुध छठे रवि हो 1,5,11,
टेवा बालिग़ ग्रह होता हो
खाली मुट्ठी या बुध या
सिर्फ पापी, असर नाबालिग देता हो
11 शनि या सात गुरु का, पाप
चन्द्र 10 चौथे हो
पिछले जन्म का साधु होगा,
धर्मी टेवा सुख देवे जो
असर जन्म न लेंगे पिछले,
साल गुजरते 12 जो
* जैसे बुध के साथ
गुरु या चन्द्र या मंगल हो
अंधे ग्रहों के मंदे असर के
वक्त केतु के उपाय या केतु सुबह तडके के किए कार्यों के फल मुबारिक होंगे | एक ही
वक्त पर 10 अन्धो को बतौर खैरात खुराक तकसीम करने से नंबर 10 की जहर दूर होगी | आधे
अंधे टेवे में नेक ग्रहों के कारोबार रात में ओर मंदे ग्रहों के कारोबार दिन के
वक्त मददगार होंगे | गुरु – शुक्र मुश्तरका टेवे वाले की हालत में 12 साल की उम्र
के बाद पिछले जन्मो के धक्के या धोखे का कोई डर न होगा | धर्मी टेवे वाला हर एक के
लिए मददगार ओर सुख देने वाला होता है | नाबालिग टेवे वाले को दूसरों की मदद लेकर
चलते रहना मददगार होगा क्योंकि इंसान का बच्चा तो नाबालिग से बालिग हो जाएगा मगर
ग्रह चाली हालत का नाबालिग टेवा सारी उम्र ही नाबालिग गिना जायगा |
टेवा मर्द का प्रबल या औरत
का ?
मर्द का टेवा औरत के टेवे
को ढांप लेता है | औरत की जब तक शादी नहीं हुई, अपने टेवे पर चलती रही पर शादी के
वक्त से मर्द के टेवे का असर दोनों की किस्मत पर हावी होता रहा | अगर कभी ऐसा वक्त
आए की मर्द चल बसा या छोड़ गया या गुम हो गया या भाग गया वगैरा या दो मर्दों की एक
ही इकट्ठी बन बैठी तो फिर औरत का अपना टेवा किस्मत के मैदान में बहाल होगा |
इसी तरह जब तक बच्चा था
वालदैनी किस्मत का असर ओर अपने पिछले जन्मो के कर्मो का फल मददगार हुआ | शादी हुई,
औरत का टेवा राशिफल की तरह मददगार होता रहा | औरत चल बसी या भाग गई या छोड़ गई या गुम
हो गई या कोई ओर साथ – साथिन, दूसरी शादी माशूका या वैसे ही दुनियावी तमाशबीन की
रंग बिरंगियाँ वगैरा हुई तो किस्मत के समुंद्र में कई तरह की हवाओ के झोंके आने
लगे | संक्षिप्त में कहे तो मर्द ओर औरत की जोड़ी का मिलना ओर टूटना किस्मत के
मैदान में जरूर फर्क देगा | लेकिन कई दफा बगैर टूटे हुए भी या बगैर मिले मिलाए भी
किस्मत की दो रंगियाँ देखने में आएँगी लेकिन निहायत ही कम तादाद में ओर वह उस वक्त
जब ऐसी जोड़ी की खुराक में शनि की चीजों के लहरें या पितृ ऋण के समुंद्र का तूफ़ान
ठाठे मार रहा होगा |
फरमान नंबर 15
फलादेश (अकेले अकेले ग्रह)
सिर्फ एक ही ग्रह देख कर
किया हुआ फैसला कोई मुकम्मल फैसला नहीं होता बल्कि वहम पैदा करने का सबब ओर धोखे
में रख लेने वाला हुआ करता है |
मुश्तरका ग्रहों की हालत
फलादेश के हिस्से में हर एक
अकेले ग्रह में दिया हुआ फल मुश्तरका ग्रहों की हालत में दिए हुए फलादेश के इलावा
होगा | पहले तो हर ग्रह का जुदा – जुदा दिया हुआ फलादेश देखे | फिर मुश्तरका
ग्रहों का फल जरूर देख ले क्योंकि हो सकता है की जुदा जुदा तो भले हो मगर इकट्ठे
हो जाने पर उल्ट नतीजा दे | मसलन मंगल नंबर 8 ओर बुध नंबर 8 जुदा जुदा तो मंदे ही
होते है पर जब दोनों नंबर 8 में इकट्ठे हो तो उत्तम होगे | इसी तरह शुक्र अकेला 9
में मंदा लेकिन शुक्र – केतु 9 में हो तो उनका फल निहायत उत्तम होगा |
दूसरी मिसाल
बुध नंबर 3 ओर शुक्र नंबर 9
अमूमन मंदे ओर मंगल बद का असर दिया करते है लेकिन जब कुंडली में मंगल बुध मुश्तरका
हो ओर शुक्र से पहले घरों में हो तो बुध अपनी नाली की दृष्टि के असूल पर मंगल ओर
शुक्र को आपस में मिला देता है | जिससे टेवे वाला कभी लावल्द न होगा चाहे औलाद के
योग लाख मंदे हो | इसी तरह शुक्र केतु मुश्तरका नंबर 1 में हो तो मर्द नाकाबिले
औलाद होगा हालांकि शुक्र नंबर 1 सदाबहार फूल ओर केतु नंबर 1 सूरज को उच्च करता है
बेशक सूरज टेवे में कैसा ही मंदा बैठा हो |
किताब में गहों के मुश्तरका
ग्रहों का फल लिखा है | ऐसे इकट्टे इकट्ठे दिए हुए ग्रहों के इलावा जो भी ग्रह
बाकी बचे उसके लिए अलहदा – अलहदा ग्रहों में दिया हुआ फलादेश दुरुस्त होगा | सबसे
पहले सात ग्रहों का मुश्तरका फिर 6 फिर पांच फिर चार फिर तीन फिर दो ओर आखिर पर
अकेले अकेले गहों का हाल में दिया हुआ फलादेश देखे | अपनी ही मर्जी की मनघडंत
जोड़ियाँ बनाकर फलादेश बना लेना वाजिब न होगा बल्कि वहम का बहाना होगा |
किताब में जगह जगह हिदायत है की गोश्त खाना, शराब पीना, झूठ
बोलना, बदनीयती, बदचलनी, वगैरा वगैरा मत करे से मुराद है की वह प्राणी सिर्फ उस
नुक्स का आदी होगा जिस की हिदायत की गई है | जब कहते है की उसकी माता खानदान मातमी
हालत में होगा तो मतलब है के मामू खानदान तबाह बर्बाद ओर उनकी नस्ल घटती होगी |
ऐसे ही जब कहें कि आपके घर में आपकी उम्र सबसे लम्बी होगी तो मतलब होगा की उसके घर
के सब लोग मर जाएंगे ओर वो सब के बाद मरेगा वगैरा वगैरा | मतलब असल यह है की किताब
के लफ्जो को शांति से पढ़े फिर मुहँ से निकाले |
फलादेश की बुनियाद का आम असूल
कुंडली में किसी भी घर का एक मालिक ग्रह होता है ओर एक ग्रह
का पक्का घर | अगर कुंडली के एक खाना को मकान मान ले तो मकान की तह जमीन का मालिक
उसका मालिक (राशी) ग्रह होगा ओर इमारत का मालिक पक्का ग्रह होगा | इन दो ग्रहों की
आपसी दोस्ती दुश्मनी उस खाना नंबर के फलादेश में फर्क डालती है | अगर दोनों दोस्त
हो तो नेक असर ओर भी बढ़ जाता है ओर अगर वो दुश्मन हो तो उस खाना का असर ख़राब हो
जाता है | इसके इलावा तीसरा ग्रह भी ताल्लुकदार बन जाया करता है जो वहां आ कर बैठ
जाए | यह आया हुआ ग्रह अपनी दोस्ती दुश्मनी के हिसाब से फलादेश में ओर फर्क डालता
है | हर खाना ओर ग्रह का फलादेश करते समय यह असूल याद रखना मददगार होगा | मिसाल के
तौर पर खाना नंबर 11 का मालिक शनि है ओर यह गुरु का पक्का घर है | अगर खाना नंबर
11 में राहू आ कर बैठ जाए तो फलादेश में निम्नलिखित तबदीली होगी
तह जमीन का मालिक है शनि | खाना नंबर 11 दुनिया का आगाज है |
इंसान की जाती अपनी कमाई या दुनिया में आना यानि वह वक्त जब की आगाज हुआ था सबसे
पहले की जगह की या वो जगह जहाँ से कुल ब्रहमांड ओर तमाम ग्रह वगैरा निकले हुए माने
है वगैरा वगैरा | इस घर की ईमारत पर गुरु काबिज है ओर उसे खाना नंबर 11 को जमाना
के गुरु बृहस्पति में धर्म अदालत के लिए मुकरर कर दिया है | या यूँ कहे के खाना
नंबर 11 की जमीन शनि की होने के कारण लोहे या पत्थर या सफ़ेद संगमरमर (शनि की चीजे)
की है |
उस पर
जो मकान बना है वह जगमग करने वाले दमकते हुए जर्द रंग सोने से दुनियावी चीजो को
खुश कर रहा है | अब इस धर्म अदालत पर राहू शरीफ बैठ गया जो राहू शनि का एजेंट है
ओर सिर्फ बदी का ताल्लुकदार है | शनि अगर स्याह रंग राज मिस्त्री है तो गुरु जर्द
रंग का भंडारी या पूजापाठी प्राणी धर्म देवता ज़माने का गुरु था | इन दोनों की
राजधानी पर राहू का राज हुआ तो स्याह चमकते नीले हाथी की तरह जमीन के अन्दर भूचाल
पैदा हुआ | नतीजा क्या हुआ की राहू की मेहरबानी से शरारत पर शरारत ओर सोने की
ईमारत का रंग स्याह बल्कि नीला हुआ | नीचे से भूचाल आ जाने पर पता न चला कि वह
ईमारत आखिर गई कहाँ ? धर्म पूजा पाठ का निशान न रहा | ओर हर तरफ बदी का पहरा हुआ |
जर्द रंग (गुरु) से नीला रंग (राहू) मिलने पर सब्ज हरा रंग बन गया याने बुध खाली खुला
आकाश पर शनि की स्याह रंग जहर का काला रंग चमकने लगा | निष्कर्ष यह है की गुरु
नष्ट हुआ ओर आकाश में राहू का मंदा धुआं भर गया ओर ज़माने में हर तरफ राहू की जालिम
जल्लाद की करवाईयां जोर पर होने लगी | इसीलिए राहू नंबर 11 में लिखा हुआ है की
गुरु को कायम करना या जिस्म पर सोना डालना मददगार होगा बल्कि जरूरी होगा क्योंकि
राहू के मेहरबानी से गुरु नष्ट हो चुका होगा | इसी ख्याल को ध्यान में रखते हुए
राहू का खाना नंबर 11 में दिया हुआ फलादेश देखने से मालूम होगा कि ऐसा प्राणी अपनी
माता के पेट में आने के क्षण से ही अपने पिता (गुरु) पर गोली (राहू) की तरह हमला
करने लग जाता है ओर गुरु के जर्द रंग सोने को पीतल बनाकर उस पर अपना नीले रंग का
जंग लगा देता है |
इसी तरह राहू – गुरु मुश्तरका में फलादेश से जाहिर होगा की
दोनों की मिलावट से मसनुई बुध या खाली आकाश बन जाएगा | गुरु दोनों ही जहाँ का
मालिक है ओर राहू का नीला आसमान ओर उसकी दो जहानों में हदबंदी करता है इसलिए वहां
जिक्र हुआ है कि राजा फ़क़ीर होते भी किस्मत दो रंगी होगी यानी राजा होते हुए भी एक
दिन फ़क़ीर या फ़क़ीर से बादशाह होगा | ऊपर कहे हुए असूल पर सब ही ग्रहों का फलादेश
विषय समझा देगा ओर इस विषय का वाकिफ हर जगह मौके मुताबिक़ हर ग्रह का असल फलादेश
सगी ढंग से समझा देगा |
लाल किताब पहला हिस्सा संपूर्ण
हरी ॐ तत सत
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