लाल किताब
बृहस्पति
मनुष्य की मुट्ठी के अन्दर
खाली खलाव, आकाश में फ़ैली, हर दो जहाँ में जा सकने ओर सारे ब्रहमांड तथा मनुष्य के
अन्दर बाहर चक्कर लगाने वाली हवा को ग्रह मंडल में गुरु के नाम से याद किया गया है
| जो बंद हालत में कुदरत के साथ कही हुई, भाग्य का भेद ओर खुल जाने पर जन्म से
पहले भेजे हुए खजाने का गुप्त ओर बंद ओर खुली हर दो हालत की बीच के हर प्राणी के
जन्म लेने तथा मर जाने का बहाना होगी |
गुरु ग्रह दोनों ही जमानो
का स्वामी माना गया है ओर बृहस्पति सब ग्रहों का गुरु है अतः एक ही घर में बैठे
बृहस्पति का असर बेशक राजा या फ़क़ीर, सोना या पीतल, सोने की लंका तक दान कर देने
वाला प्राणी या सारे ज़माने का चोर साधू जिसका धर्म ईमान न हो, हर दो हालत में से
चाहे किसी भी ढंग का हो, मगर उसका बुरा असर शुरू होने की निशानी सदा शनि के प्रभाव
के जरिये होगा ओर शुभ प्रभाव स्वयं गुरु की चीजे या जद्दी जगह से उत्पन्न होगी |
गुरु में मिलावट
1)
नर ग्रह (सूरज, मंगल) के
साथ या दृष्टि आदि से मिलने पर ताम्बा सोना हो जाएगा |
2)
स्त्री ग्रह (शुक्र, चन्द्र)
के साथ या दृष्टि से मिटटी से भरा पानी भी उत्तम दूध बन जाएगा |
3)
गुरु के बिना सब ग्रहों में
मिलने जुलने की या दृष्टि की शक्ति पैदा न होगी |
4)
पापी ग्रह (शनि, केतु, राहू)
के मंदे होने पर गुरु सोने की जगह पीतल होगा ओर गुरु की हवा जहरीली गैस होगी |
5)
गुरु ओर राहू दोनों खाना
नंबर 12 (आसमान) में इकट्ठे ही माने गए है | गुरु दोनों जहान गैबी तथा दृष्टिगोचर (यह
संसार) का मालिक है जिसमे आने जाने के लिए नीला रंग में राहू का आसमानी दरवाजा है
अतः जैसा ये दरवाजा होगा वैसा ही हवा के आने जाने का हाल होगा | अगर राहू टेढ़ा
चलने वाला हाथी, सांस को रोकने वाला कड़वा धुआं या जमीन को पाताल से भूचाल बनकर
हिलाता रहे तो गुरु भला नहीं हो सकता |
उच्च राहू या पहले बैठा,
आया तरफ गुरु पहली हो
गुरु मालिक हो दोनों जहाँ
का, शक्ति गैबी तथा रूहानी हो
दीगर हालत में गुरु
गृहस्थी, मालिक जहाँ इक होता हो
माया दौलत का बंदा गुलामी,
ताकत रूहानी छोड़ता हो
6)
यदि राहू उत्तम दरवाजा हो
तो गुरु बुरा प्रभाव न देगा |
7)
अकेला गुरु (हर तरह से)
चाहे वह दृष्टि आदि से कितना ही मंदा हो जातक पर कभी बुरा प्रभाव न देगा |
8)
बर्बाद हो चुका गुरु आम असर
के लिए खाली बुध गिना जाएगा जिसका फैसला बुध के अपने स्वाभाव पर होगा |
9)
शत्रु ग्रहों (बुध, शुक्र,
राहू, शनि) पापी ग्रह यानि शनि, राहू, केतु किसी तरह भी साथ या दृष्टि से आ मिलते होने
के समय मंदा हो जाने की हालत में गुरु सदा बुध का प्रभाव ही देगा ओर गुरु उपाय
योग्य होगा जिसके लिए साथी शत्रु ग्रह का उपाय सहायता देगा |
10)
ग्रह मंडल के सब ग्रहों को छेड़छाड़
करने, राहू, केतु को चलने वाला गुरु है | यानि राहू केतु की शरारत से पहले गुरु
स्वयं अपनी चीजो या कार्य या रिश्तेदार के जरिए खबर दे देगा | इसीलिए कहा है कि
असर जलता दो जहान* का,
गृहण* शत्रु* साथी जो |
चोर बनता 6 ता 11, मंगल टेवे
जहरी* जो
*दोनों ही (सामने या छुपे
हुए) जहान या गुरु के नेक ओर बुरे हर दो तरह के असरो की शक्ति
*सूर्य गृहण (राहू – सूरज
एक साथ) चन्द्र गृहण (चन्द्र – केतु एक साथ) गुरु के शत्रु बुध, शुक्र, राहू या शनि
पापी ग्रह
*खाना नंबर 2-5-9-12 में
बुध राहू एक साथ या जुदा जुदा हो तो गुरु का असर मंदा ही होगा |
*मंदा मंगल बद या मंगलिक जिसके
लिए मंगल खाना नंबर 4 देखे
गुरु बैठा हो खाना नंबर 1
से लेकर 5 तक या 12 में तो शनि ओर सूरज दोनों को सहायता देगा | 6 से 11 तक बैठा हो
तो केवल शनि को सहायता देगा |
गुरु 12 घरों में आम हालत
विद्या आयु घर पहले सोना*, गुरु जमा घर दूसरा हो* |
शेर गरजता तीसरे माना, भला बैठा बुध जब तक हो |
चौथे विक्रमी* तख़्त बत्तीसी*, पांच पूर्ण ब्रहम होता हो |
छठे मिले हर चीज जो मुफ़्ती, दुखिया बेटे घर सातवें हो |
भाग्य उदय 8 आयु हो लम्बी, योगी 9 वे स्वयं बनता हो |
10 वे कमी धन, चाहे अक्ल हो कितनी, धर्म, कर्म घर 11 हो |
राहू केतु पाप हालत पर रात की निद्रा, गृहस्थ सुखी घर 12 हो |
काम छोड़े जब राम भरोसे, शत्रु बैरी सर कटता हो |
*जब गुरु जगता हो
*जब तक 8 खाली, गुरु का रूहानी असर उत्तम होगा
*राजा विक्रमादित्य
* 32 परियों के कंधो पर उड़ता रहने वाला तख़्त
गुरु का खाना होगा
खाना नंबर 2 धर्म
स्थान वह जगह जहाँ धर्म का कारोबार एवं
पूजा उपदेश हो
खाना नंबर 11 गुरु के धर्म दरबार लगाने ओर गुरु की अपने जज
की भांति बैठने की जगह | धर्म अदालत अलंकारी आवाज का दरबार |
खाना नंबर 12 गुरु की समाधि लगाने की जगह | परलोक की हवा,
गुप्त धार्मिक विचार, प्रज्ञा (ज्ञान एवं बुद्धिमता)
खाना नंबर 5 संतान के खून में धर्म ओर सोने का हिस्सा पैदा
करने वाला गृहस्थी परिवार का स्वामी |
खाना नंबर 9 सोने की तरह पृथ्वी (पूर्वजों की हालत) जैसा
सोने का देवता, दोनों जहान के धर्म की नाली, घर से ही धर्म का स्वामी |
1-4-7-10 जातक के अपने लिए उत्तम, प्रकृति साथ लाई हुई भाग्य
का भेद, अपने शारीर के लिए उत्तम, हकीकी (असली) ओर दुनियावी प्रेम की ताकत,
आन्तरिक शक्तिओं, दुनियावी ताकत की बरकत हो |
1 से 5 ओर 12 उत्तम आराम देने वाला, उत्तम सहायक, सुरक्षा
जैसा गुरु होगा |
6 से 11 मंदी हालत, गुरु लोहे जैसा निर्धन |
3,5,9,11 बाहरी चाल, व्यवहार, अपने जन्म से पहले भेजे खजाने
का भेद ही अगले जहाँ में ले जाने की नेकी चीज को पा सकने की शक्ति हो | चमक जो
मार्ग दर्शक होगी |
2,8,12 धन के लिए दरम्यानी हालत में रखेगा, मगर रूहानी हालत
में उत्तम, जागती किस्मत का स्वामी हो, हर दो जहाँ, जन्म से मृत्यु तक हर समय मध्य
हालत देगा |
6 संसार की उलझन में जकड़ा साधारण साधू की तरह भाग्य के चक्र
में घूमते गृहस्थी की तरह सांस लेता हो |
गुरु का ग्रहों से सम्बन्ध
राहू : जन्म या वर्ष कुंडली में जब राहू उत्तम हो, उच्च या
गुरु से पहले घरों में हो यानि 1 से 6, 8, 3-6 विशेषकर, ओर गुरु के मित्र ग्रह
सूरज, चन्द्र, मंगल उत्तम प्रभाव के हो तो मनुष्य को स्वयं अपने भाग्य ओर दूसरों
की सहायता की हिम्मत में बढ़ावा देगा ओर सब आराम अपने आप मिलेगे | गुरु बाहरी ओर गुप्त
शक्ति, आत्मिक ओर संसारी प्रेम, शारीरिक रूहानी शक्ति देगा |
चन्द्र नेक हो तो हवाई मदद ओर तरल चीजो का उत्तम असर होगा |
उत्तम भूतकाल के हालात छुपे रहे |
सूरज नेक हो तो स्वयं अपने आप का ओर संतान का उत्तम प्रभाव
होगा | भविष्य उत्तम, राजा प्रजा को मदद उत्तम मिलेगी |
मंगल नेक हो तो मित्र व भाई बन्धु उत्तम सहायक ओर वर्तमान
उत्तम
मंगल बद, सूरज – केतु एक साथ या गुरु 6 से 11 में हो तो गुरु
साधू बनकर चोर के काम करे | हानि की घटनाए मंदी से निशानी होगी |
सूरज, चंद्र, मंगल के अतिरिक्त किसी भी ग्रह के साथ हो तो
गुरु केवल एक जहान का स्वामी रहेगा
सूरज – राहू या चन्द्र – केतु के साथ हो तो न केवल गुरु का
अपना प्रभाव मंदा ओर निराश होगा बल्कि दृष्टि के ढंग पर जिस घर या ग्रह से सम्बन्ध
हो वहां भी मंदी हालत हो, निराश हो, दम घोटू आंधी हो या बर्फानी हवा हो मंदा भाग्य
हो |
मंगल शनि या मंगल चन्द्र, गुरु को देखते हो तो छुपी सहायता
मिलेगी ओर गुरु आयु देता होगा |
शनि से सम्बन्ध
शनि नंबर 1 में ओर गुरु 6,7 में हो तो धन रेखा जो विवाह से
ओर बढेगी जब तक दोनों में से कोई वर्षफल में नीच न हो | मंदे फल के समय शनि की चीज
धर्म स्थान में दे |
जब शनि गुरु को देखे (किसी ओर ग्रह के साथ बैठकर) ओर शनि,
गुरु जुदा जुदा हो तो इस प्रकार प्रभाव होगा | शनि बैठा हो किस खाना में ओर गुरु
किस खाना में बैठकर मंदा असर देगा हालांकि
गुरु ओर शनि बराबर के ग्रह है
शनि 1 में ओर गुरु 7 में
शनि 2 में ओर गुरु 8, 12
शनि 3 में ओर गुरु 5, 9, 11 में (शनि खाना नंबर 3 में तो तीन
आंखे)
शनि खाना नंबर 4 में ओर गुरु 2,8,10,11 में (शनि खाना नंबर 4
में चार आंखे)
शनि खाना नंबर 10 में ओर गुरु 2,3,4,5 ( शनि 10 में तो शनि
सब ही तरफ देखने वाली चार आंखे)
5,6,7,8,9,11,12 में शनि अकेला हो तो अकेला बैठा गुरु कभी
मंदा प्रभाव न देगा चाहे कहीं भी बैठा हो |
शनि बैठा हो 1,6 में तो गुरु का प्रभाव प्रायः मंदा ही होगा |
गुरु को हवा माने तो शनि को पहाड़ गिने | मानसून पवने जब कभी
भी पहाड़ से टकराएंगी लाभप्रद वर्षा होगी लेकिन अगर किसी दूसरी वजह से हवा उल्ट चल
पड़े तो न सिर्फ शनि के मकान बिकवा देंगी बल्कि शनि के पहाड़ो को बारीक मिटटी की तरह पिस कर उनके कण कण उडा देगी जिसकी वजह शुक्र व संसार की मिटटी या स्त्री जात या
मुर्दा माया, या बुध की वायदा फरामोशी या राहू की गुप्त शरारतो की आदत होगी |
खाना नंबर 6 में शनि का अपना प्रभाव सदा शक्की होगा, मगर शनि
नंबर 6 के समय गुरु अवश्य ही मंदा होगा | ऐसे समय चलते पानी में नारियल या बादाम
बहाना उत्तम होगा | यदि शनि पहले घरो में ओर गुरु बाद के घरों में तो बारिश की हवा
खाली चली जाएगी | लकिन गुरु पहले घरो में ओर शनि बाद के घरों में तो कीमती वर्षा
होगी |
गुरु देखता हो शनि को तो नेक असर इस प्रकार होगा
गुरु खाना नंबर 5 ओर शनि 9 में या गुरु नंबर 3 ओर शनि 9 / 11
में तो जादूगरी का स्वामी कर देगा |
गुरु खाना नंबर 2 में ओर शनि 6 में या फिर गुरु 8 में ओर शनि
12 में तो योगाभ्यास का स्वामी |
शनि देखता हो गुरु को तो
उम्र शनि में पिता पर भारी, मकान शनि जब बनता हो
चश्मा चन्द्र धन हर दम जारी, जमीन चन्द्र जर रखता जो |
शनि 2 या 5 में हो ओर गुरु 9 या 12 में तो शनि की आयु 9, 18,
36 वर्ष गुरु (पिता, बाबा, गुरु) के लिए मंदा जिसका सबूत उसके मकान में लोहे का
ताला (यानि मकान बंद रहना) मंद भाग्य का अलार्म होगा | कुदरती ओर शारीरिक कमजोरी
ओर धन की हालत मंदी होगी |
केतु से सम्बन्ध
जब दोनों जुदा जुदा हो ओर केतु पहले ओर गुरु बाद के घरों में
तो गुरु मंदा होगा | गुरु पहले ओर केतु बाद के घरों में तो दोनों की बजाय चंद्र्फल
रद्दी होगा |
बुध से सम्बन्ध
गुरु के साथ या गुरु में बुध का असर दृष्टि से मिल रहा हो तो
गुरु का ही नाश हो जाएगा परन्तु 2 ओर 4 में बुध अकेला या गुरु के साथ हो सदा अच्छा
प्रभाव देगा, दुश्मनी न करेगा विशेषकर माली हालत मंदी न होगी | यदि बुध कुंडली में
बाद के और गुरु पहले घरों में हो गुरु अपना अच्छा असर 34 साल उम्र तक देगा लेकिन
35 साल से बुध का मंदा प्रभाव शुरू होगा | यदि उल्ट हो यानि बुध पहले घरों का हो
तो बुध 34 साल तक अच्छा ओर गुरु 34 साल तक मंदा रहेगा ओर गुरु का अच्छा असर 35 साल
से शुरू होगा | मसलन बुध नंबर चार में ओर गुरु नंबर 10 में तो 34 साल तक गुरु मंदा
असर देगा | बुध – गुरु आपस में मिल रहे हो तो गुरु का असर मंदा ही होगा क्योंकि
बुध गुरु को अपने चक्र में बाँध लेगा | ऐसी हालत में गुरु का बिगड़ा असर निम्नलिखित
हालात पैदा होने पर ठीक होगा
1) गुरु
जब वर्षफल में शनि के घरों 10, 11 में या सूर्य के घर नंबर 5 में आ जाए या फिर जब
शनि – सूरज गुरु के घरों (2,5,9,12) में आ जाए या फिर जब शनि नंबर 5 ओर सूरज नंबर
2,5,9,12 में आ जाए |
ऊपर कहे हालात में यदि सूरज, चन्द्र, शनि में से कोई भी शुभ
हो तो गुरु का प्रभाव नेक होगा वरना बिना मतलब ओर तबाह करने वाली कहानिओं में रात
गुजारता होगा | इसका मतलब है के गुरु को पूरी तरह ही बुध से बर्बाद होना तब गिनेगे
जब सूरज, चन्द्र, शनि तीनो ही मंदे हो |
S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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