लाल किताब
बृहस्पति खाना नंबर 1
एक ही समय* पैदा हुए थे दो भाई, एक राजा हो दूसरा बना फ़क़ीर
हो |
विद्या ऊँची हो कोई डिग्री, लम्बी आयु धन विधाता हो |
श्राप देवे ऋण पितृ*, बी ए पढ़ा न कुल कोई हो |
केतु* चन्द्र बुध अच्छे होते, पीरी राजा सन्यासी हो |
सूरज शनि* आठ 11 मंदे, गुरु हवा तब मिटटी हो |
* चाहे एक ही माता से या एक समय दो
माताओं से एक राजा के यहाँ दूसरा निर्धन के घर जन्म ले परन्तु वह भाई कहे जाएंगे |
* ऋण पितृ : खाना नंबर 2,5,9,12 में
बुध शुक्र, राहू या शनि पापी ग्रह होकर हो ऋण पितृ होगी |
* केतु नंबर 5 में उत्तम, 16 से 75
साल आयु सुखी औलाद से, चन्द्र 5 में तो आखिरी आयु सुखी ओर बुध 5 में तो राजा |
* सूरज, शनि स्वयं मंदे या जिस जगह
इनका प्रभाव मंदा गिना है | 7,8 दूसरों के सम्बन्ध में ओर 8,11 अपने भाग्य के सम्बन्ध
में |
गुरु शुभ हालत में :
अपना भाग्य अपने दिमाग से, राज
दरबारी लोगो की मित्रता से बढेगा | गुरु की वस्तुएँ, रिश्तेदार या काम में भाग्य की
सहायता मिलेगी और उच्च नीच खाना नंबर 11 में छुपा धार्मिक भेद ओर दुसरे जहान का आम
व सांसारिक सम्बन्ध खाना नंबर 8 में बैठे ग्रहों की हालात पर होगा | खाना नंबर 11
से फैसला होगा |
लग्न, मनुष्य ओर माया के मिलाप की
जगह, वक्त की हकुमत के स्वामी का तख़्त माना है | गुरु खाना नंबर 1 में चाहे विद्या
पास हो या न हो, धनवान अवश्य कर देगा | जातक का धर्म, दयालुता से उसकी हरदम तरक्की
होगी | भाग्य 51 साल आयु तक साथ देगा | चन्द्र की वस्तुएँ के काम से या चन्द्र
सम्बन्धी रिश्तेदार सहायता पर होगे | केतु की वस्तुएँ, काम या केतु के सम्बन्धी रिश्तेदार
का फल उत्तम होगा | स्त्री या शुक्र की वस्तुए या रिश्तेदार उत्तम अपने लिए,
राजदरबारी ओर अदालती मुक़दमे या लडाई झगडे सूरज की वस्तुए या सम्बन्धी परिणाम से
शुभ परिणाम | स्वास्थ्य अच्छा ओर शरीर तन्दुरुस्त होगा |
मकान जायदाद, शनि की वस्तुओं का या सम्बन्धी, काम, आँखों की
दृष्टि कभी ख़राब न होगी | शेर की तरह गुस्सा होते हुए भी साफ़ दिल, शांतवृति का
मनुष्य होगा जिसमे चालाकी को फ़ौरन समझने ओर रोकने की शक्ति होगी | शत्रुओं के होते
हुए भी डरेगा नहीं ओर विजय सदा साथ देगी | औलाद की उमरो में क्रम में 8 वर्ष से
अधिक अंतर न होगा | जब कभी 8 से अधिक हो जाए तो आगे औलाद न होगी | आयु का हर आठवाँ
साल उन्नति का होगा | उसका वचन ओर आशीर्वाद सदा पूरा होगा | परन्तु दूसरों के लिए
श्राप या बुरा सोचने से उसका अपना आप ख़राब होगा |
1) अगर
गुरु खाना नंबर 1 में हो जागता हो, यानि खाना नंबर 7 में कोई न कोई ग्रह हो चाहे
मित्र चाहे शत्रु और गुरु के साथ खाना नंबर 1 में गुरु के शत्रु न हो तो जातक की राज्य
विद्या, बी ए या कोई ऊँची डिग्री होगी | धनवान होने की शर्त शनि कहेगा |
2) यदि
ऊपर के हालात के साथ बुध भी उत्तम हो तो जातक कई प्रकार की विधाए जानता होगा ओर
राजा की भांति उत्तम हाकिम होगा |
3) अगर
केतु उत्तम हो तो गुरु की आयु (4,8,16 साल की आयु) से माता पिता को ओर उनसे सुख
होगा ओर स्वयं उसकी आयु 75 वर्ष तक का सुखिया भाग्य होगा | भाग्य बुलंदी पर हो
4) जब
चन्द्र उत्तम हो तो आयु के साथ साथ सुख भी बढता जाए | नेक उत्तम राजा या उत्तम
हाकिम होते हुए आखिर आयु सन्यासी की भांति हो | लोगो का भला करे या करना पड़े |
जिसका फल उत्तम हो |
5) जब
खाना नंबर 1,2,5,9,11,12 में गुरु के शत्रु न हो ओर साथ ही खाना नंबर 7 उत्तम हो
तो पुरखों से जायदाद धन विरासत में सोना मिले |
6) जब
खाना नंबर 11 उत्तम हो तो अपनी कमाई से पीले रंग के सामान की अधिकता ओर बरकत होगी |
स्त्री पूजन, खूबसूरत मिटटी या स्त्री की पालना या गाय सेवा फ़ालतू धन की नीव होंगे
| शुक्र की हकीकी ओर गैर हकीकी प्रेम |
7) जब
खाना नंबर 7 खाली हो तो विवाह से या शुक्र के काम या सम्बन्धी कायम करने से बढेगा |
8) जब
खाना नंबर 7 खाली हो तो 28 वर्ष की आयु से पहले या 24 वे या 27 वे साल स्वयं अपनी
शादी या अपने किसी खून के रिश्तेदार की शादी या अपनी कमाई से मकान बनाने या नर औलाद
के हो जाने से पिता की आयु पर भारी होगा | मिटटी में मंगल की वस्तुए दबाने से लाभ
होगा |
9) जब
खाना नंबर 1,2,4 में मित्र ग्रह सूरज, चन्द्र, मंगल हो तो राजदरबार से कमाया धन (चाहे
एक ताम्बे का पैसा ही हो) सोने की तरह काम देगा | बरकत हो |
10) गुरु
पहले हो मंगल सातवे, ठाठ लम्बी जागीरों का |
शर्त गुरु पूरी करता, खून शाही या वजीरो का |
यही शर्त कुलपुरोहित पर भी लागू हो सकती है |
जब मंगल 7 में हो तो जागीरों का मालिक होगा | उसके
कुलपुरोहित बाप दादा लम्बी जागीरदारी वाले होगे |
11) जब
खाना नंबर 2,3,4,8 सभी उत्तम हो तो मामा की आयु छोटी चाहे हो जाए (जो की जरूरी
नहीं) परन्तु उसकी अपनी आयु लम्बी ओर कम से कम 75 साल या उससे अधिक हो
12) जब
सूरज नंबर 9 में हो तो ऐसे व्यक्ति की ओर उसके कुल की आयु उसकी इच्छा अनुसार लम्बी
होगी |
गुरु खाना नंबर 1 मंदी हालात में
फ़क़ीर कमाल का मगर निर्धन
पीली गैस (गुरु की चीजे) ओर संसार की मंदी हवा, पितृ ऋण या
शत्रु ग्रहों की जहर (2,5,9,12 में पापी ग्रह हो कर बुध, शुक्र, शनि, राहू) ओर
भाग्य की कड़ी आग (मंदा सूरज) का चक्र (मंदा बुध) यदि गुरु के सोने को पिघला भी दे यानि
गुरु का असर मंदा ही हो जाए तो वह भी अपने पहले दौरे (35 साला चक्र) में नहीं तो
दुसरे चक्र में तो अवश्य (जो 51 साल आयु से शुरू होता है) अपनी सारी कमी पूरी कर
देता है | पर शर्त यह है ऐसा मनुष्य भीख के लिए दुसरो के आगे हाथ न फैलाए ओर स्वयं
अपने भाग्य पर सब्र करता हो |
ऐसी ग्रह चाल के समय वह मनुष्य
1) जब
बुध मंदा, या गुरु के घरों 2,5,9,12 में जहर हो यानि वहां आपसी शत्रु या गुरु के
शत्रु ग्रह हो
2) जब
टेवे में पितृ ऋण हो तो उसने अपने आप बल्कि उसके कुल में किसी ने भी बी. ए. पास न
किया हो ओर न ही कोई ओर डिग्री ली हो |
3) जब
2,5,9,12 में या गुरु के साथ राहू बैठा हो तो 8 से 12 तक की आयु में दूसरों की
शरारतो या राहू की चीजो के काम या सम्बन्ध से सोना पीतल हो जाए | हर तरफ मुसीबत ही
लगे |
4) जब
2,5,9,12 में या गुरु के साथ शुक्र बैठा हो तो 13 से 15 साल की आयु में मामूली
मिटटी की स्त्री या शुक्र की चीजो का काम या सम्बन्धी सोने को मिटटी बना कर उडा दे
| भाग्य के मैदान में मिटटी भरी आंधी काली रात होगी |
5) जब
2,5,9,12 में या गुरु के साथ बुध बैठा हो तो 16 से 19 या 21 वर्ष में बुध की चीजो
का काम या सम्बन्धी धन हानि का बहाना हो | भाग्य जलती रेत की तरह धन की हालत में
हर तरफ वीराना करती होगी |
6) जब
2,5,9,12 में या गुरु के साथ शनि पापी हो कर बैठा हो तो 36 साल की आयु के बाद (42
साल की आयु से) शनि की चीजो का काम या सम्बन्धी से हर ओर बुराई, बुरे कामो के जोर
से स्वास्थ्य खराब | पेशाब ओर पाखाना की नाली तक दुखने लगे | भाग्य साथ न दे | दिल
हिला देने वाले काम हो जो दुःख दे | भाग्य की जहरीली हवा दम की दम में खून करती
जाए या डरावनी घटनाएं हो |
7) जब
शनि पांच में हो तो अपने बनाए ऊँच महल, गुनाह (पाप) के ठिकाने हो जाए ओर खुद के
लिए दुःख के कारण बन जाए, अपनी संतान ओर स्वास्थ्य के लिए |
8) जब
शनि 9 में हो तो अपना स्वास्थ्य बिगड़ जाए |
9) जब
शनि मंदा हो या मंदे घरों में हो यानि या तो शनि अपने शत्रु ग्रहो सूरज, चन्द्र,
मंगल के साथ हो या शनि हो ही अपने मंदे घरों में तो स्वयं की संतान दुखी ओर जातक
के लिए दुःख का कारण हो जाए |
10) जब
18 से 27 साल में वर्षफल में जन्म कुंडली का मंदा शनि खाना नंबर 7 में आ जाए तो
पिता से जुदा होकर अपना काम करने लगे ओर अपने काम से घर का
भार उठाए हुए हो
(खाना नंबर 9 / 10 का शनि कभी भी 18 से 27 साल तक खाना नंबर
7 में नहीं आता बल्कि उत्तम फल देता है |
खाना नंबर 1 का शनि 19 वे साल में 7 में आयगा
खाना नंबर 2 का शनि 20 वे साल 7 में आयगा
खाना नंबर 3 का शनि 24 वे साल 7 में आयगा
खाना नंबर 4 का शनि 22 वे साल 7 में आयगा
खाना नंबर 5 का शनि 23 वे साल
6 का शनि 26 वे साल
7 का 25 वे साल
8 का 27 वे साल
9 का नहीं आयगा
10 का शनि नहीं आयगा
11 का शनि 21 वे साल
12 का शनि 18 वे साल
इसका मतलब है की जन्म कुंडली का मंदा शनि खाना नंबर 7 में
वर्षफल में आने पर पिता से अलग करा सकता है ओर जातक को घर परिवार का बोझ भी उठाना
पड सकता है |
11) जब
सूरज खाना नंबर 11 में सोया हुआ हो, मंदा सूरज या सूरज बुध एक साथ मंदे घरों में
हो तो मुक़दमेबाजी, दीवानी या दूसरी नाजायज उलझनों में धन की हानि होगी, चाहे उसका
फैसला उसके हक़ में ही होता जाए | अपने भाग्य ओर सांसारिक कामो के सम्बन्ध में गुरु
सोना देने की बजाए उसकी मिटटी उडाता जाएगा |
12) जब
गुरु सोया हो या खाना नंबर 8 , 11 गुरु के शत्रु बुध, शुक्र, राहू या शनि पापी हो
तो जातक की हर ओर से निंदा होगी | दूसरों को श्राप देने वाला होगा जिसकी स्वयं
अपने भाग्य की मंदी हवा उसके गृहस्थी प्रभाव को मंदा करती जाएगी | ऐसी हालत में
छोटी आयु की शादी (22 वर्ष से पहले) उत्तम होगी वरना 24 वा वर्ष मंदा जाएगा | उस
समय मंगल की चीजे, काम सम्बन्धी लाभ करेगा |
13) जब
राहू 8, 11 में हो तो पिता की मृत्यु दमा या दिल के फेल होने से हो राहू की उम्र
में, या उसकी आँखों में दुःख आ जाए, दिमाग बिगड़ जाए या टांगो की बीमारी कांपने,
सूखने लग जाए |
S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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