लाल किताब
सूर्य खाना नंबर 5
परिवार तरक्की का
मालिक, कीना (नफरत) भरा
बेटे जन्म से हर
दम फलता, कदर बेशक न करता हो
सूरज आत्मा, जिस्म और स्वास्थ्य का स्वामी है | इसलिए इसकी दूसरी रेखा का
नाम स्वास्थ्य रेखा है | इस रेखा का हाथ में न होना कोई बुरा प्रभाव नहीं देती बल्कि उत्तम
स्वाथ्य की निशानी है | इस रेखा का हाथ में होना उत्तम स्वास्थ्य के
अलावा आयु, सिर और दिल रेखा के टूट फूट के बुरे असरो से
बचाता है |
नेक हालत में
औलाद के पैदा
होने की दिन से रोटी पानी की बरकत होगी | पूर्वी दिवार (खाना नंबर 5) की रसोई सूर्य
खाना नंबर 5 का उत्तम फल देगी
| दो धारी तलवार, सफा दिल तो सब उत्तम नहीं तो भेड़िए ने कान से
पकड़ कर भगाई हुई भेड की तरह का मंदे भाग्य का साथ और स्वयं जलता होगा (मगर
राजदरबार, संतान फिर भी मंदे न
होंगे) | औलाद की बुद्धि और परिवार
की तरक्की का स्वामी स्वयं गृहस्थी होगा | अगर राजा होगा तो परोपकारी होगा लेकिन यदि साधू भी हो तो लम्बी आयु का स्वामी
होगा | यानी उसे अगर राजा न भी
तारे तो साधू अवश्य तार देगा | बकरी और भेड़िए दोनों को एक साथ एक जगह पर आराम
से रखने की शक्ति बुढ़ापा सदा उत्तम होगा |
1)
मंगल अगर 1 /8 में हो या बुध 3
/ 6 में हो या पापी (शनि,
राहू, केतु ) 9 / 11 में हो तो अपने घर का मंगल या अपने घर का बुध या 9
/ 11 के पापी सूरज की प्रजा
होंगे | हंस हुमा भी तारता हो |
(हुमा वह पक्षी होता है जिसका साया मनुष्य पर
पड़े तो वह मनुष्य सम्राट बन जाता है |)
2)
गुरु 9 / 12 में हो या खाना नंबर 4 में हो या शुक्र 2 / 7 में हो तो राजा समान हाकिम होगा और अच्छे हालात का स्वामी
होगा | जातक का रिजक कभी बंद न
होगा |
3)
शनि 11 में हो तो हर तरह की बरकत होगी | औलाद की उन्नति होगी | सूर्य शनि का झगड़ा न होगा बल्कि एक दूसरे की सहायता करेंगे |
माता पिता का सुख लम्बा और उत्तम होगा |
4)
चंद्र नंबर 4 में हो तो राजा के समान इकबालमंद (प्रतापी)
होगा |
5)
शत्रु ग्रह अगर
सूर्य के साथ नंबर 5 में हो तो सूर्य
अब शत्रु ग्रहों को भी सहायता देगा | नंबर 1 में बैठे शत्रु को भी
सहायता देगा | राजदरबार में या
हर जगह उसका मान होगा | (लाल किताब में
यहाँ पर यह नहीं लिखा के कौन से शत्रु ग्रह हो | अगर राहू के साथ हो तो यह तो ग्रहण योग होगा फिर ऐसे परिणाम
मिलेंगे क्या?)
6)
जब गुरु कुंडली
में उत्तम हो तो कोई भी आरजू (ख्वाइश) कफ़न में लिपटी बाकी न रहेगी | स्वयं बुद्धिमान होगा | बड़ो के मान का स्वामी होगा | बुध का अब सारी उम्र जुदा फल न दिखेगा | जिस तरह सूर्य बिना बादलो की होने पर चमकता है
की तरह उत्तम फल देगा |
मंदी हालत में
1)
नीच गुरु 10 में हो तो स्त्री पर स्त्री मरे और पुनर्विवाह
करने पड़े |
2)
शनि नंबर 3
में हो तो लड़के पर लड़का मरे | धुआंधार दुःख का रद्दी पहाड़ | संतान पर माली हालत की खराबी का बहाना होगा |
संतान मंदी या बर्बाद होगी |
3) सूर्य या गुरु की जड़ कटती हो (सूर्य का घर नंबर 1 / 5 और गुरु का घर 9 / 12) तो संतान के लिए भला फल न होगा
3) सूर्य या गुरु की जड़ कटती हो (सूर्य का घर नंबर 1 / 5 और गुरु का घर 9 / 12) तो संतान के लिए भला फल न होगा
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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