लाल किताब
शुक्र
बदी ख़ुफ़िया तू जिससे दिन रात करता |
वक्त मंदा वही तेरे सिर पर पड़ता |
आम हालत
1) शुक्र के ग्रह को सांसारिक भाग्य से कोई सम्बन्ध नहीं | सिर्फ प्यार मोहबत की फालतू दो से एक ही आँख हो जाने की शक्ति शुक्र कहलाती है | सब ओर से बिगड़ी या सब की बिगड़ी बनाने वाला सब कुछ ढला ढलाव शुक्र होगा
2) स्त्री सम्बन्ध गृहस्थ आश्रम बाल बच्चो की बरकत और बड़े परिवार का 25 साला समय शुक्र का होगा | इस ग्रह में पाप करें करने कराने की नस्ल (राहु-केतु बनावटी शुक्र) का खून और गृहस्थी हालत में मिटटी और माया का वजूद है |
3) मर्द के टेवे शुक्र से अर्थ स्त्री और स्त्री के टेवे में उस का पति होगा | अकेला बैठा शुक्र टेवे वाले पर कभी बुरा प्रभाव न देगा और न ही ऐसे टेवे वाला गृहस्थी सम्बन्ध में किसी दूसरे का बुरा कर सकेगा |
शुक्र से बुध का ताल्लुक
जब दृष्टि के हिसाब से आमने सामने के घरों में बैठे हो (जो सिर्फ वर्षफल में ही हो सकता है) तो चमकती हुई चांदनी रात में चकवे चकवी (पक्षी) की तरह अकेले अकेले होने का प्रभाव नीचे की तरह होगा
1) अगर बुध कुंडली में 1-2-3 की तरतीब हद 12 तक शुक्र से पहले बैठा हो तो इस तरह से दोनों के मिले हुए असर में केतु की नियत का उत्तम प्रभाव शामिल होगा | अगर शुक्र कुंडली में बुध से पहले बैठा हो तो इस तरह मिले हुए दोनों के असर में राहु की बुरी नियत का असर शामिल होगा |
2) दृष्टि वाले घरो में बैठा होने के समय शुक्र का प्रभाव प्रबल होगा | लेकिन जब बुध पहले घरों का हो और मंदा हो तो शुक्र में बुध का मंदा असर शामिल हो जाएगा जिसे शुक्र रोक नहीं सकता तथा गृहस्थ में मंदे परिणाम होंगे
(अ) जब अकेले अकेले बंद मुट्ठी के खानो से बाहर एक दूसरे से सातवे हो जैसे शुक्र नंबर 2 और बुध नंबर 8, शुक्र नंबर 3 और बुध नंबर 9, शुक्र नंबर 6 और बुध नंबर 12, शुक्र नंबर 8 और बुध नंबर 2 तो दोनों ही ग्रहों और चारो का मंदा फल होगा |
(ब) मगर शुक्र नंबर 12 और बुध नंबर 6 में दोनों का उच्च फल होगा जिसमे केतु का उत्तम प्रभाव शामिल होगा | ऐसी हालत में दोनों का असर बाहम न मिल सकेगा |
3) जब दोनों ग्रह जुदा जुदा मगर आपस में दृष्टि के खानो की शर्त से बाहर हो तो जिस घर में शुक्र हो वहाँ बुध अपना असर अपनी खाली नाली के द्वारा ला कर मिला देगा | और शुक्र के फल को कई बार बुरे से भला कर देगा | लेकिन अगर बुध के साथ शुक्र के शत्रु ग्रह (सूर्य, चंद्र, राहु) हो तो ऐसी हालत में शुक्र कभी भी बुध को ऐसी नाली लगाकर अपना (बुध का) असर अपने (शुक्र) में मिलाने नहीं देगा | यानि ऐसी हालत में बुध किसी तरह भी शुक्र को रद्दी निकम्मा या बर्बाद नहीं कर सकता |
शत्रु ग्रहों से सम्बन्ध
सूर्य और शनि आपस शत्रु है | यदि एक साथ बैठे हो तो टेवे वाले पर बुरा असर नहीं होता | जोड़ घटा बराबर होती रहा करती है | लेकिन जब शनि के साथ शुक्र हो (या दूसरा स्त्री ग्रह चंद्र हो) और इनको कोई भी ग्रह देखे तो शनि देखें वाले ग्रह को जड़ से मार देगा | अगर टेवे में शनि और सूर्य का झगड़ा हो तो शुक्र (कुर्बानी का बकरा) मारा जाएगा | सूर्य जब शनि को देखे तो शनि अपनी जगह शुक्र की कुर्बानी दिला देगा यानि गृहस्थ, स्त्री का मंदा फल होगा | लेकिन अगर शनि सूर्य को देखे तो शुक्र आबाद या उसका उत्तम फल होगा | बहरहाल यदि शुक्र के साथ (साथी या दृष्टि के ढंग पर) जब शत्रु ग्रह हो तो शुक्र और शत्रु ग्रह सब की ही चीजे, रिश्तेदार या कारोबार से सम्बंधित (शुक्र या शत्रु ग्रह) पर हर तरफ से उड़ती हुए मिटटी पड़ती होगी और किस्मत मंदी का समय होगा |
शुक्र से राहु का सम्बन्ध
शुक्र गाय और राहु हाथी इन दोनों का आपसी सम्बन्ध कहाँ अच्छा फल दे सकता है |
1) जब कभी भी दृष्टि द्वारा दोनों मिल रहे हो तो शुक्र का फल बर्बाद होगा | लक्ष्मी और स्त्री दोनों ही बर्बाद बल्कि आयु तक बर्बाद और समाप्त लेंगे |
2) दो बाहम (आपसी) शत्रु ग्रह साथी दीवार वाले घर में बैठे हुए जुदा ही रहते है लेकिन शुक्र अगर शत्रु ग्रहों के घर में बैठा हो और राहु साथी दिवार वाले घर में आ बैठे तो शुक्र का वही मंदा हाल होगा जो कि शुक्र के साथ ही इक्क्ठा राहु बैठ जाने या दृष्टि मिलने पर मंदा हो सकता है |
3) जन्म कुंडली में शुक्र अगर अपने शत्रु ग्रहों को देख रहा हो तो जब कभी शुक्र वर्ष कुंडली के हिसाब से मंदा हो या मंदे घरों में जा बैठे तो वो दुश्मन ग्रह जिसे शुक्र जन्म कुंडली में देख रहा था वो दुश्मन ग्रह शुक्र के असर को विषैला और मंदा करेंगे चाहे वो शुक्र को न भी देख सकते हो | ऐसे टेवे वाला जिससे ख़ुफ़िया बदी किया करता था अब वही (चीजे, रिश्तेदार, कारोबार, उन दुश्मन ग्रहों से सम्बंधित जिसे शुक्र ने जन्म कुंडली में देखा था) दुश्मनी और बर्बादी का सबब होंगे |
शुक्र की दो रंगी मिटटी
खाना नंबर 1 : उठती जवानी में ऐश व इश्क की लहरों से मिटटी की पूजना में अँधा होगा | काग रेखा (गरीबी) या मच्छ रेखा (अमीरी), इक तरफ़ा ख्याल का स्वामी | तख़्त की मालिक महारानी रजिया सुल्तान मगर एक हब्शी गुलाम पर मर मिटी |
खाना नंबर 2 : उत्तम गृहस्थ हर तरह से सिवाय बच्चे बनाने के | अपनी ही ख़ूबसूरती और स्वाभाव के आप मालिक ख़ुदपरस्ती स्कूल मिस्ट्रेस हर एक की प्रिय स्त्री, मगर वो स्वयं किसी को पसंद न करे |
खाना नंबर 3 : गाय की जगह बैल का काम दे | ऐसी कशिश दे कि ऐसे टेवे वाले पर कोई न कोई स्त्री मर (फ़िदा) ही जाया करती है | उसकी अपनी स्त्री हिम्मतवाली होगी |
खाना नंबर 4 : एक जगह दो स्त्री या दो पुरुष मगर पुरुष स्त्री दोनों ही ऐसी दो गाय या दो बैल कि दोनों से ही बच्चा न बने |
खाना नंबर 5 : बच्चो भरा परिवार या ऐसे बच्चो को पैदा करने वाला जो उसे बाप न कहे या न कह सके |
खाना नंबर 6 : न पुरुष न स्त्री ख़ुसरा मर्द, बाँझ स्त्री, धन भी लक्ष्मी भी ऐसी जिस का कोई मूल्य कोई न दे सके |
खाना नंबर 7 : सिर्फ साथी का असर जो और जैसे सब वैसे हम | बुढ़ापे में उपदेश दे |
खाना नंबर 8 : जली मिटटी और हर सुख से नाशुक्रगुज़ार | उत्तम तो भवसागर से पार कर दे |
खाना नंबर 9 : शुक्र को स्वयं अपनी बीमारी के द्वारा धन हानि | घर में ऐशोआराम के सामान या धन की कमी न होगी |
खाना नंबर 10 : शनि स्वाभाव | अगर स्त्री का टेवा हो तो ऐसी स्त्री जो पुरुष को निकाल कर ले जावे | पुरुष हो तो वह किसी न किसी दूसरी स्त्री को अपने प्यार में रखा ही करता है |
खाना नंबर 11 : लट्टू की तरह घूम जाने वाली हालत | मगर बचपन की मोह माया की भोली स्वाभाव की मूरत और रिजक के चश्मे का निकलना |
खाना नंबर 12 : भवसागर से पार करने वाली गाय | स्त्री लक्ष्मी जिसकी खुद अपनी सेहत के सम्बन्ध में सारी आयु रोते हुए निकल जाए |
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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