लाल किताब में उलझन के ग्रह
जिसकी यदाकदा ही जरूरत
पड़ेगी या ऐसी ग्रह चाल जिसके देखे बगैर ही काम चल सकेगा क्योंकि ऐसे कुंडली वाला प्राणी
पुरानी पीढ़ी दर पीढ़ी मंदी हालत में होते चले आने के कारण संसार में रह ही कहाँ
सकता है | वो ज्योतिषी के पास शायद ही पहुंचेगा | संसार में ऐसा प्राणी जो जन्म से
या किसी एक विशेष दिन से वर्षों ही वर्षों निरंतर मंदा पे मंदा जमाना देखता चला
आवे वह कहाँ तक ज़माने का मुकाबला करके अपनी जिन्दगी कायम रखता चला आ रहा होगा ?
ऋण पित्र के ग्रह
ऋण पितृ से तात्पर्य कुंडली
वाले पर उसके अपने पूर्वजो के पाप का गुप्त प्रभाव होता है | अथवा गुनाह कोई ओर
करे मगर सजा उसकी कोई ओर भुगते मगर भुगतेगा उस गुनाह करने वाले का वास्तविक
रिश्तेदार ही |
घर नोवें हो ग्रह कोई बैठा, बुध बैठा जड़ साथी जो
ऋण पितृ उस घर से होगा, असर ग्रह सब निष्फल हो,
साथी ग्रह जब जड़ कोई काटे, दृष्टि मगर वो छुपता हो,
5,12,2,9 कोई मंदे, ऋण पितृ बन जाता हो,
बुध की नाली की दृष्टि बवक्त ऋण पितृ
असर ग्रह घर तीसरा पहले, बुध नाली जब मिलता हो,
बुध ग्रह घर दोनों रद्दी, शत्रु मित्र ख्वाह बैठा हो
बुध मिले खुद टेवे ऐसा, बदल असर सब देवे वो |
जन्म कुंडली में जिस ग्रह की जड़ (उसकी अपनी राशी) में उसका
दुश्मन ग्रह बैठकर उस का फल रद्दी कर रहा हो ओर साथ ही वो ग्रह खुद भी मंदा हो रहा
हो तो ऋण पितृ होगा जिसकी आम निशानी यह होगी कि बाप, बेटे, भाई, वगैरा सबके सब या
कई एक की जन्म कुंडलियों में मंदा ग्रह एक ही घर में या ऐसे किसी दुसरे घर में
जहाँ की वो ग्रह पूरा मंदा गिना जा रहा हो, प्रगट होता चला आ रहा होगा | मसलन राहू
नंबर 11, शनि नंबर 4 या 6, बुध नंबर 2 / 3 / 8 / 11 / 12 उस खानदान में कई एक ही
जन्म कुंडलियों में जाहिर होता चला आ रहा होगा | वास्तव में यह दशा खाना नंबर 9 के
ग्रहों से अभिप्राय होता है | यानि जब उस घर में या उस घर के स्वामी ग्रह यानि
गुरु के, कि दुसरे घर में कोई ओर ग्रह एक या एक से ज्यादा बैठे हुए आपस में
दुश्मनी पर होगा या वो आपस में या अलग अलग गुरु की ताकत को खराब करते या गुरु के
असर में जहर मिलाते हो तो पितृ ऋण होगा | राहू को गुरु को चुप कराने वाला गिना है |
वो अगर गुरु का मुहँ बंद करके खुद मंदी हालत का असर गुरु के ताल्लुक से (यानि या
तो वो गुरु के घरों में हो यां गुरु के पक्के घर में ) देवे तो भी पित्र ऋण का बोझ
होगा | इसी तरह ओर भी ग्रह यानि चन्द्र की खराबी से मातरी ऋण वगैरा होगा | ऐसे
शख्स के अपने ग्रह ख्वाह लाख दर्जे राज योग ही क्यों न हो, बुरा असर दो ग्रहों का
ही होगा | ओर उपाय भी दोनों ही ग्रहों का करना होगा | मान ले उदहारणता कुंडली वाले
के बाप ने बिना वजह अकारण कुत्ते मरवाए तो कुंडली वाले पर गुरु ओर केतु दो ही
ग्रहों का पित्र ऋण होगा जो कुंडली वाले पर उसकी सोलह से चोबीस साल उम्र तक रह
सकता है |
इसी तरह ही बाकी सब ग्रहों का उपाय होगा | यानि एक तो उस
ग्रह का उपाय करेंगे जो खुद निकम्मा हो गया ओर दुसरे उस ग्रह का उपाय करेंगे जो
उसकी जड़ की राशी में बैठ कर उसको निकम्मा कर रहा हो मसलन गुरु नंबर 9 में हो ओर
राहू नंबर 2 या 11 में बैठ जाए तो एक उपाय तो नंबर 2 या 11 में राहू की मंदी हालत
के समय करने को लिखा है वो करेंगे ओर दूसरा वह होगा जो गुरु नंबर 9 में बर्बाद
होने के वक्त पर लिखा है | उपाय अवधि के लिए ग्रह के उपाय के हाल में देखे | यह
उपाय 40 / 43 दिनों की बजाय 40 / 43 हफ्ते लगातार होगा जब यह उपाय तमाम खानदान के
लिए करना हो तब | ध्यान रहे की एक समय में
दो उपाय चालु कर देना उचित न होगा क्योंकि ऐसा करने से किसी भी उपाय का फल प्राप्त
न होगा | इसलिए पहले एक उपाय 40 / 43 दिन या हफ्ते करे फिर कुछ दिन / हफ्ते खाली
छोड़ कर उसके बाद दूसरा उपाय करे | लगातार करे ओर नागा न होना पाए |
राहू केतु की स्वयं अपनी मंदी हालत या नीच हालत (जैसे राहू
नंबर 12 केतु नंबर 6) या नंबर 2, 8 में कोई तमाम सहायक ग्रह न हो तो ऋण पितृ की
हालत में सिर्फ दुनिया की माया पर बोझ (मंदा असर होगा) बाकी किसी तरफ से मंदा असर
न होगा
ऋण पितृ के वक्त स्वयं उस ग्रह का जो मंदा हो गया ओर जिस
ग्रह ने जड़ राशी से बर्बाद किया हो दोनों ही उपाय ओर दोनों की ही मियाद तक करना
लाभदायक होगा
11) गुरु
- पितृ ऋण
कौन से ग्रह : शुक्र, बुध, राहू
कहाँ बैठे हो : 2,5,9,12
कारण क्या है: पूर्वजों का
पाप, खानदानी कुल पुरोहित बदला गया होगा ख्वा वजह लावाल्दी, खानदान नाराजगी
आम निशानी : हमसाया धर्म
मंदिर या गुरु से सम्बंधित वस्तुएं पीपल को तबाह बर्बाद ही कर चुके या करते होगें |
पता कैसे चलेगा : जब बाल स्याह
से सफ़ेद होने लगे किस्मत बदलती नजर आएगी | सोना पीतल हो जाएगा | इज्जत अकारण अपमान
का बहाना होगी | जो कार्य स्वतः हो रहे थे अब जी तोड़ जोर लगाने पर भी नेक फल न
देंगे | दुःख की अवस्था होगी
उपाय क्या करें: कुल खानदान*
के हर एक सदस्य जहाँ तक की खून का असर हो हर एक से एक–एक पैसा वसूल करके धर्म
मंदिर में एक ही दिन देना या उनके खानदानी घर से बाहर निकलने के दरवाजे पर रुक
जाएँ मुहँ बाहर को ओर पीठ मकान के अन्दर को है अब जिधर नजर जा रही हो या जिधर
बायाँ हाथ है इन दोनों तरफों में से सोलह कदम के अन्दर गुरु की वस्तुएं धर्म मंदिर
या पीपल का पेड़ होगा उसकी पालना करना होगा |
·
खून के रिश्तेदार से मतलब
है लड़की, पोती, बहु, बहन, दोहता, पोता, बाबा, पडदादा, पिता, माता, बेटा, भाई,
ताया, चाचा वगैरा | ससुराल इसमें शामिल नहीं है | उपाय करते समय अगर कोई रिश्तेदार
शामिल न हो तो पितृ या अन्य कोई दुसरे ऋण का बोझ उस पर ओर उसके परिवार पर चलता
रहेगा | अगर आप उसके लिए उपाय करना चाहे तो उसके नाम का हिस्सा डाल दे पर अब दस
गुना डालना होगा | रिश्तेदारों को शामिल न भी करना हो तो कम से कम अपने परिवार के
लिए तो कर ले |
22) सूरज
– जाती अपना खुद का ऋण ऋण क्योंकि सूरज का
पक्का घर लगन है ओर लाल किताब में सूरज को लग्न के स्वामी के बराबर माना है
कौन से ग्रह : शुक्र या पापी
कहाँ बैठे हो : 5
कारण क्या है: नास्तिक पन,
पुराने रीति रिवाजो को न मानना, निंदा भत्सर्ना करना
आम निशानी : उस घर में
जमींदोज अग्नि कुंड आम होंगे या आसमान की तरफ से (छत राहू) रौशनी के रास्ते आम
होंगे |
पता कैसे चलेगा : जो भी
जवान हुआ या जवानी ने सिर उठाया उसका जिस्म सर ओर पाँव राजदरबारी हवाओं के मंदे
झोंकों से तंग आने लगे | चढ़ती जवानी में दुःख ओर गरीबी आकर मिलने लगे | बचपन की
उमींदे ख़त्म हो जाएँ | मुकदमा, किसी का कर्जा, किसी की डिग्री किसी ओर के नाम मगर
वसूली डंडे के साथ इस प्राणी से होने की नोबत आ जाए | किसी ने न देखा कि दरअसल
कसूर किसका है | सब को यही मालूम होता गया कि उसके बाजू में जो दर्द हो रहा है वो
उसके जिगर की खराबी का बहाना है इसलिए दिल ओर जिगर का आपरेशन होना चाहिए यां ऑंखें
तकलीफ में हो | मगर राजदरबारी डाक्टर ने अपनी दलीलबाजी को हर तरह से साबित करते
हुए उस प्राणी के सभी दांत निकाल कर कर्जे का हलवा खाने को मजबूर कर दिया | दिल की
तमन्नाओं की आहें उठती जवानी से उसकी आशाएँ 38 साल की उम्र तक जिस्म के अन्दर दबी
हुई या कफ़न में लिपट कर रह जाती है | ओर ज्यों अंग कमजोर होते है सर हिलने लगता है
| शांति की कुछ ठंडी हवा के झोंके आने लगते है ओर वो भी वक्त होगा जब कोई बच्चा या
पोता 11 महीने या 11 साल की आयु पर आ पहुँचता है |
उपाय क्या करें: कुल खानदान
से बराबर का हिस्सा ले कर यज्ञ करना |
3
2) चन्द्र
– मातरी ऋण
कौन से ग्रह : केतु
कहाँ बैठे हो : 4
कारण क्या है: माता के किए
नियत बद | अपनी औलाद होने के बाद अपनी माता को दरबदर अलहदा या दुखी करना या माता
का अपने आप से दुखी हो जाने पर ध्यान न देना
आम निशानी : हमसाया कुआँ, दरिया,
नदी पूजने के बजाय घर का मंदा मादा (टट्टी – पिशाब – गन्दगी) बहाने का जरिया बनाया
जा रहा होगा |
पता कैसे चलेगा : जब भी ऐसा
प्राणी तालीम से ताल्लुक करे या दूध के जानवर उससे सम्बंधित हो जावे या कीमती
दूध पिलाने लगे (बच्चो वाले होकर), चांदी का पैसा, घड़े का पानी, दिल की शांति, रात
का आराम, आमदन का फौव्वारा, घर का दूध, दुनियावी यार दोस्तों या सम्बंधियो की गैबी
मदद, रेशम के सफ़ेद रंग की बजाय दीवारों पर रंग बदलने के लिए मिटटी की सफेदी में
तबदील होने लगे | हर कोशिश के बाद भी तालीम का जवाब निकम्मा ही रहा | रूपया जमा
किया तो वह किसी मुर्दे के कफन, रिश्तेदार की बीमारियों या दुसरे नाहक जुर्माने
में ही खर्च होता देखा गया ओर कभी ऐसा वक्त न पाया गया जब दिल ने स्वयं खुश हो कर
पीने के लिए दूध माँगा हो या किसी दुसरे साथी को बगैर मांगे बिना मतलब खुद-ब-खुद
अपनी ख़ुशी से दूध पिलाया | अगर कहीं हुआ होगा तो दुसरे की पगड़ी या दोस्त के जूते
को मुफ्त उड़ाने की ख्वाहिश ही पैदा हुए होगी
उपाय क्या करें: कुल खानदान
से बराबर – बराबर चांदी लेकर एक ही दिन बहा दे |
43) शुक्र
– स्त्री ऋण
कौन से ग्रह : सूरज,
राहू, चंद्र
कहाँ बैठे हो : 2,7
कारण क्या है: कुटुम्भी |
स्त्री को प्रसूति के समय लालचवश जान से मार देना
आम निशानी : उस घर में दूध
वाले जानवर विशेषकर गाय को पालना या अपने घर में रखने से खानदानी नफरत का नियम
चलता होगा
पता कैसे चलेगा : शादी हुई
या शादी होने के बाजे बजने लगे, जिस्म को धोया – बनाया (शादी से पहले हल्दी लगा कर
नहाते है), जिल्द (skin) चमकने
लगी, ख़ूबसूरती ने साथ दिया, औरत (पत्नी) या मर्द (पति) बन बैठे मगर शादी की रात,
शादी का फल – औलाद कभी भला न पाया | कही जिल्द में कोढ़ फुलवारी वगैरा, ख़ुशी के
वक्त मातम का साथ यानि इधर शादी हो रही हो उधर उसी वक्त ही या उसके लगभग उन्ही का कोई मुर्दा जल रहा हो या जलाने को तैयार होगा |
अगर कोई फतह होती होगी तो किसी न किसी का कफ़न ख़रीदा गया होगा | बहरहाल ख़ुशी के फल
में गमी का बीज मिल रहा होगा | मगर पता न चला कि शादीशुदा औरत – मर्द में असल भाग्यवान कौन था जिसके ऐसे
शुभ काम होते ही घर में ऐसा मंदा खेल हुआ ओर मंदे शुक्र की मिटटी उड़कर सिर पर पड़ने
लगी | ओर गाय ओर माता दोनों ही रात को बिलखने लगी | एक चुड़ी टूटी दूसरी को तोड़ने
की कोशिश की गई या कई एक थमते – थमते खुद-ब-खुद टूट गई मगर भेद न खुला कि वह मर्द
था या औरत जिसके ख़ूबसूरती को देखते ही हर एक ने ऐसे आंसू बहाए जो जाहिर न हुए कि
वह बेहद ख़ुशी के थे या मातम में जले हुए दिल की भाप का पानी जो दिल से उछल कर बाहर
कतरे कतरे बहने लगा |
उपाय क्या करें: 100 गायो
को जो अंगहीन न हो एक ही दिन में कुल खानदान से पैसा इकठ्ठा कर के मजेदार भोजन
कराएं |
54) मंगल – रिश्तेदार का ऋण
कौन से ग्रह : बुध,
केतु
कहाँ बैठे हो : 1,8
कारण क्या है: मित्र द्रोह,
जहर के वाक्यात करना, पकी खेती को आग लगाना, बच्चा देने वाली भैंस को मारना या
मरवा देना
आम निशानी : रिश्तेदारों के
मिलने बरतने से नफरत, बच्चों की पैदायश, दिन त्यौहार के समय खुशी मनाने से परहेज
करना
पता कैसे चलेगा : जिस्म में
खून पैदा हुआ | मुहँ पर मुछे निकलने लगी या माहवारी शुरू हुई, बच्चे बनाने की धुन,
लगन, मोहब्बत पैदा हुई | हर नए काम जिसमे भी हाथ डाला, नतीजा नेक होता मालूम हुआ |
जो नहीं जानता था वो भी मालूम होने लगा | कोसो दूर से ऐसे प्राणी को शौक से मिलने
मिलाने का ख्वाहिशमंद हुआ | दुश्मन झिझकने लगे ओर दोस्त आशा रखने लगे | जो भी
दोनों से आया स्वयं ही चक्की में अनाज के साथ धुन की तरह पिसता चला गया | जंगी राज
सभी यार दोस्त स्त्री दरबार या माता के परिवार यानि हर जगह उसकी तलवार का डंका बजने लगा | मगर
अचानक दम के दम में यह क्या हुआ कि गुमनाम आग भड़क उठी | आग से भाग कर छत पर
पहुँचने से अभी थोड़ी ही नीचे था की कमन्द (रस्सी) टूट गई | छाती की हड्डियाँ आ
टूटी | खून गर्दिश में हुआ | किसी यार दोस्त ने मदद न की ओर मिटटी की डाली के
इल्जाम में ही उसका खून बहा दिया गया | रहम ने साथ छोड़ा | न्याय ने नजर फेरी | ओर
जिन्दा ही कब्र में गाड दिया गया | वह अपने धर्म – ईमान पर चलता रहा, हर एक पर
भरोसा रखा, मगर जाहिरदारी दुनियांवी खांड ने शीशा के बारीक टुकडो के रेत का सबूत
दिया | एक नहीं, जो भी खानदान में होनहार सबसे अच्छा उम्दा हैसियत का फल या एक
अच्छा प्राणी साबित होता हुआ मालूम होने लगा तो अचानक मौत का शिकार या किसी न किसी
वजह से नाहक बर्बाद या तबाह देखा गया | उम्र का आम अरसा 28 साल उम्र ओर 36 के मध्य
का अरसा किसी जालिम चक्की के चलने का जमाना पाया गया | मगर किसी हकीम या डाक्टर ने यहाँ जांच न की उसके खून में
इस कदर ताकत ओर अच्छी हालत होते हुए उसमे अचानक ओर दम-दम में जहर आ बनने की वजह
क्या थी ? एक नहीं दो नहीं वाकयात तो बहुत हुए मगर तमाम हमदर्दों ने सिर्फ अफ़सोस
के आंसू बहाए मगर मौका - बैमोका जालिम तलवार के चलने वालों का सुराग न पाया गया |
मुहँ पर मुछे क्या निकली मौत की आमद की किस्मे साबित होने लगी |
उपाय क्या करें: अपने शहर –
गाँव में दाखिल होने पर दरम्यानी (बीच में) दुकान के मालिक जो शनि के कारोबार से सम्बंधित
मसलन हकीम उसे कुल खानदान से पैसा इकठ्ठा कर के दे जिससे वो मुफ्त इलाज करे | अपने
शहर में पूर्व दिशा से अन्दर आते हुए चौंक के पास ठहर गए | दायं हाथ की तरफ उस
चौंक से रास्ता जा रहा होगा | दुकान का दरवाजा भी उसी हाथ पर होगा | ओर बाएँ हाथ की
तरफ जो दुकाने है उनके मालिक उन्हें बेच गए | जिस ने उन दुकानों में कारोबार किया
वह बर्बाद हो गया | ऐसे शख्स के अव्वल नर औलाद हुई ही न होगी ओर अगर हो गई हो तो
वह बेचारा ऐसी औलाद का जमाना न देख सका ओर अगर लड़के जवान हो भी गए तो वह बच्चे उस
शख्स की अमुमन दुर्दशा ही करते रहे वजह सिर्फ यह हुइ की शख्स शनि नंबर 4 का मारा
हुआ था यानि हकीम के होते हुए भी सांप का तेल बेचता रहा | कारीगर हो तो धोखे से
पक्के की जगह कच्चा सामान देता गया या दूसरों की शनि की मुत्ल्ल्का आशियाँ ऐसे
धोखे से बर्बाद करता गया जिसको सिर्फ गैबी ताकत का मालिक ही पहचान सका |
65) बुध – बेटी - बहन का ऋण
कौन से ग्रह : चन्द्र
कहाँ बैठे हो : 3,6
कारण क्या है: जवानी धोखा,
किसी की पुत्री ओर बहन की हत्या या हद से ज्यादा जुल्म करना
आम निशानी : मासूम कम उम्र
या गुमराह बच्चो को बेचना, लड़की, लड़के को लालच में बदलना उचित समझना
पता कैसे चलेगा: लड़की पैदा
हुई, बहन का साथी भाई आ पहुंचा | दोनों मिलकर बैठने लगे | हा हा हु हा तु ता होने
लगी | दोनों की चक्की चलते ही आवाज आ निकली कि कोई लटक गया | कपड़ा आ फसां | चक्की
को हल्का करो | किसी समझदार को आवाज दी जो करंट आफ करे | जल्दी करो वो पिसता चला
जा रहा है | चक्की ताकत लगाने पर ओर भी उल्टी तेज हुई जा रही है | अक्ल मारी गई कि
दाएं की जगह हाथ बाएँ पर लग गया | जबान का जरा सा एक लफ्ज तलवार से ज्यादा नुक्सान
कर बैठा | लड़का पैदा हुआ घर वालों ने शुक्र मनाया | पर बाप को पता नहीं क्या आ
चिमटा की उसकी धन दौलत सब रेत हो गया | नाडी खीचने लगी, दांत हिलने लगे ओर ऐन
जवानी के पुरे जोर पर चक्की की कीली निकल बैठी | पिता की उम्र क्या हुई माता अपनी
ही जान से हाथ धो बैठी या उस खानदान में जब तक कोई बाप (बेटे का) न बना या माता न
हुई खुशहाल ओर तंदरुस्त रहे मगर ज्यों ही नुरेचश्म खानदान के चिराग लड़का पैदा हुए
वह प्राणी जो अब बाप बना अपने ही दिल अपनी हालत को देखकर रात के वक्त आसूं बहा कर
रोने लगा | मगर बर्तन में उस गुमनाम सुराख का भेद छुपता ही चला गया | अगर कोई माता
बनने पर जिन्दा रही तो वह आखिर बुढ़ापे तक अपनी मंदी हालत को देखकर हर रात सिसकती
बिलखती ओर रोती ही देखी गई | ओर जो बाप बना था वह अपने खर्चे ओर कारोबार को थमथमा
कर चलता चलाता गया मगर पहचान न सका की उसकी जाती ओर जद्दी जायदाद को बर्बाद करने
वाला कीड़ा किस जगह लगा हुआ है ओर उसके
ख़ुशी के बाजे से मातम की आवाज क्यों आ रही है | साल भर अगर कहीं मेहनत से दो पैसे
जमा कर ही लिए तो आखिर पर नया साल शुरू होने से पहले सब खर्च मगर बचत सिर्फ इतनी
रही की रूपया ने हार दी तो जानो ने साथ न छोड़ा | लेकिन इस नमक हराम लोंडी (बुध) ने
कई खानदानों को तो ऐसा तबाह करके छोड़ा कि उनके नाम लेवा तो यक्तरफ रहे बल्कि अपने
शरीफ आमदन के मददगार खानदानी पलने वाले बुजुर्ग माता खानदान के रिश्तेदार या आइंदा
आने वाले मासूम बच्चे दोनों हाथों से सर पिटते बल्कि कई दफा तो सब के सब मेहरबान
गुमनाम गढ़ों में गिरकर दम की दम में ख़त्म होते देखे गए | सिर्फ वही भला मालूम हुआ
जिसको जुबान (बुध) न थी या जो अपनी तकलीफ को जाहिर न कर सका | जहाँ कुछ भी न था उस
कुण्डी का फंदा मौजूद था मगर उस फंदा लगाने वाले शिकारी का साया किसी को मालूम न
हुआ | दांत आए चले गए, ससुराल ख़त्म हो गए या पिस चुके, मामू दर बदर हुए या चले गए
मगर उस छुपी लड़की के भेद में जालिम कसाई का राज खुलने न पाया | उम्र 34 से 48 हुई
या बोलना सिखने के वक्त से दांत निकल जाने तक जिस्म की नाडी ने कोशिश करके देखा की
भेद क्या है तो यही मालूम हुआ कि
हजारों भटकते है लाखों दाता करोड़ों सयाने,
जो खूब कर के देखा -
आखिर खुदा की बाते खुदा ही जाने |
जिसने कुछ काम न किया नाम
बदनाम हुआ लेकिन जिसने कुछ काम किया गुमनाम हुआ मगर दोनों के दायरे की हद बंदी का
निशाँ कोइ मुक़र्रर न हुआ
उपाय क्या करें: कुल खानदान
से एक एक कोडी लेकर एक ही जगह इकट्ठी करके जलाकर उसकी राख उसी दिन बहा दे | यह
उपाय कर नहीं पाएँगे क्योंकि कोडियों पर बेन लगा है | तो नवरात्र में किस भी दिन
100 कन्याओं को एक ही दिन में भोजन एवं मीठा खिलाएं |
7
6) शनि – जालिमाना
ऋण
कौन से ग्रह : सूरज,
चन्द्र, मंगल
कहाँ बैठे हो : 10, 11
कारण क्या है: जीव हत्या,
(मकान) शनि से सम्बंधित वस्तुएं धोखा से ले लेना पर कीमत अदा न करना
आम निशानी : घर के मकानों
का बड़ा (मुख्य) रास्ता साधारणतया दक्षिण में होगा या किसी निसंतान (जिसका लड़का न
हो) से जगह ले कर मकान बनाया हुआ होगा या रास्ता / कुआँ छत कर मकान बनाया हुआ होगा
|
पता कैसे चलेगा: नींद से
उठे, आँखे खोली तो मकान के दरवाजे पर दस्तक की आवाज आई कि वह किधर गए जो की शाम को
मशीनों का सौदा कर रहे थे ओर कुछ बयाना भी दे गए थे | कारखाना की दीवारों तक का
खर्चा पेशगी जमा करवा गए मगर बात अभी तय न होने पाई थी कि उनकी आँखों में अचानक
मिटटी का कण उछलकर पड गया | सिरदर्दी शुरू हुई ओर सब कहानी जहाँ की तहां रह गई |
सब इन्तजार में है कि बारिश जोर कर रही है | समान मकान बर्बाद हो रहा है चलिए पता
करिए कि वह साहब कहाँ है | इतने में भागती हुई लोंडिया आई की मकान के उस कोने में
जहाँ तेल नारियल लकड़ी (शनि) का गोदाम जमा था आग से ख़ाक हो गया | आग बुझाने वाले नल
की चाबी का जिम्मेदार चोकीदार कहीं बाहर गया हुआ है | इस आग में एक – दो रिश्तेदार
भी टांगों से जख्मी हो गए है ओर उनको अस्पताल पहुँचाने का इंतजाम भी नजर नहीं आता |
यह तकरार हो ही रही थी कि कोने से साँप (शनि) सरकता हुआ नजर आया ओर सबका दम खीचने
लगा | ओर यह सब राम कहानी ख्वाबी हुआ मालूम होने लगी | बारिश के जोर से बगैर छत की
खड़ी दीवारे (शनि) खटाखट गिरने लगी ओर नींद से उठते ही यह नजारा सामने हुआ | ससुराल
ओर बच्चो के स्कूल से पैगाम आए कि पुलिस ओर मुकामी अफसरों ओर महकमा तालीम की
जिम्मेदार हस्तियों से नाहक झगडे फसाद हो गए | लड़का निहायत लायक; अगर मकानों,
इंजनो, पहाड़ों खानों ओर डाक्टरी के इल्म से पूरा वाकिफ था मगर वजह न मालूम हुए के मुकाबले
पर परीक्षक ने क्यों सिफर नंबर देकर निकाल दिया | लड़का जिस कदर समझदार होशियार था
बाजार में उसी कदर ही बेकद्री पाई गई | मकान देखने में आलिशान ओर भारी लागत खर्चे
कर के बनाए गए मगर ज्यों ही उसमे रहने का मौका आया किसी ने उन में आराम न पाया |
अगर कोई बना बनाया ही मकान ख़रीदा गया तो उसकी सीढियाँ दरम्यान से टूटी हुए या तोड़
कर दोबारा ही बनती रही | बल्कि कई दफा तो मालिक ने (जिसने मकान बनाया) इस नए मकान
में एक रात भी सो कर न देखा | अगर कहीं भूल कर सो ही गया तो सुबह दोबारा उठता
जागता न देख गया | कोशिश तो बहुत की मगर पता न लगा की उस खानदान में मकानों या
उनके सामानों का आराम क्यों नहीं मिला | ओर वहां साँपों, हथियारों या नाहक जहर के
वाक्यातों से खानदान क्यों घटता गया
उपाय क्या करे: सो मुख्तलिक
(अलग) जगह की मछ्लिओं को एक ही दिन में कुल खानदान के बराबर खर्चा से खाना वगैरा देवे
| यां 100 मजदूरों को सभी खानदान वाले पैसा इकठ्ठा कर के खाना खिलाएं |
8) राहू
– अनजन्मे ऋण
कौन से ग्रह : सूरज,
शुक्र, मंगल
कहाँ बैठे हो : 12
कारण क्या है: ससुराल या
आपसी पारस्पारिक संसारिक रिश्तेदारों धोखा या फरेब की घटनाएँ ऐसे ढंग से किए हो कि
उनका कुल ही गर्क हो जाए |
आम निशानी : घर से बाहर
निकले हुए दरवाजे की दहलीज के नीचे घर का गन्दा पानी बाहर निकलने के लिए नाली चलती
होगी या दक्षिण की दिवार के साथ उजाड़ वीरान कब्रिस्तान या भड़भूजे की भट्टी होगी
पता कैसे चलेगा: शाम हुई
नींद का दौरा जारी हुआ | कुछ कुछ ख्वाब की लहरें लगने लगी | हर तरह का आराम ओर
दुश्मनों से बचने का सामान मिल चुका के अचानक बिजली की जहर फट निकली (लीक कर गई) |
सजा सजाया मकान जल उठा | ख्वाब भूला नींद उचट गई ओर जान के लाले पड गए | देर नहीं
गुजरी कि करोडो आँखों के मालिक नीलम के व्यापारी दम के दम में खाक हो गए | सोना
गुम हुआ | जगह जगह चोरी | राहजनी गबन धोखा दे ओर फरेब के वाकया से धन हानि होने
लगी | जो भी कोई ससुराल का ताल्लुकदार हुआ या 16 से 21 साला उम्र में पहुंचा, सर
से जख्मी ख्यालात का गन्दा ओर बिमारियों से मारा हुआ नोजवानी के बजाए बचपन में ही
बुढा, खोखला निक्कमा साबित होने लगा |
जिस अक्ल से काम करता गया
उसी कदर ही बेकार निर्धन ओर असहाय पाया गया | शाम को सोचा, अपने में सोचा, अकेलेपन
में सोचा मगर पता न चला की सोना पीले चमकते रंग से पीतल, वो भी जंग लगा, कैसे हुआ |
खानदानी मेम्बर नौजवान लड़के देखने में सुंदर लम्बे कदावर मगर सांस में क्यों रुकने
लगे | दमा मिर्गी, काली खांसी, तथा सांस की तकलीफ, बेगुनाह जेलखाने बेमौका ओर
अचानक मोतो की संख्या बढ़ने लगी | जहाँ तक भी इस खानदान के खून का असर पहुंचा काली
मिटटी की आंधी का जोर ओर ज़माने का तकरार बढ़ता गया चाहे स्वयं कितने ही शरीफ, गरीब
तबियत के डर के चलने वाले हुए, जज ने मुकद्दमे के फैसले पर कुछ न कुछ
जुर्माना डाल दिया | कसूर चाहे था या न था बताया न गया कि क्या था | जो कुछ किया
सब कुछ उल्ट – पल्ट होता गया | जमीन की तह से छत तक नजर दौडाई, नीले समुंद्र ओर
आसमान तक छानबीन का ली, सुबह से पक्की शाम तक भली-भांति देखा कि क्या है मगर जवाब वही
रहा कि वह सिर्फ वहम है फर्जी ख्याल है या किसी हद तक दीवानगी का पैमाना हो जो यह
गुमनाम सजाए आफते ओर दिल-दर्दी की बुनियादे खड़ी कर रहा है |
उपाय क्या करे: कुल खानदान से एक एक नारियल लेकर एक ही जगह
इकट्ठे करके एक ही दिन में दरिया में बहा दे |
9) केतु
– कुदरती ऋण
कौन से ग्रह : चन्द्र,
मंगल
कहाँ बैठे हो : 6
कारण क्या है: कुत्ता, फ़कीर
बदचलनी, मगर ऐसे ढंग से कि दुसरो की गरीब कुत्ते के तरह हद से ज्यादा दुर्दशा या
तबाही हो जावे ओर ऐसी कारवाईंया में नियत बद की बुनियाद हो |
आम निशानी : दुसरो की नर
औलाद किसी न किसी गुप्त या गुमनाम बहाने से जाया करवाना | कुत्तों को बिना वजह
गोली से मरवाना या केतु से सम्बंधित दूसरी वस्तओं या रिश्तेदारों की लालच के कारण
कुल नष्ट करना या करवा देना हर हालत में नियत बद की बुनियाद गिनते है |
पता कैसे चलेगा: बच्चे खेल
रहे थे; इधर-उधर भागने लगे ओर कुत्तो के बच्चे भी साथ साथ शामिल होकर | अचानक कोई
मुसाफिर (केतु) आया, उसका पाँव फिसला, कुत्ते के मुंह पर लगा | वह अपनी जान बचाने
के लिए मासूम बच्चो पर झपटा जो डर कर भागता हुआ सड़क पर मोटर के नीचे आ गया | माता
ने जो छोटे बच्चे को दो मंजिला मकान पर नहला रही थी घटना देखकर उस बच्चे को वहीँ
छोड़कर नीचे का रुख किया | मर गए हुए बच्चे का भाई तीसरी मंजिल पर धूप सेक रहा था |
शोर शराबे सुन कर नीचे के ओर देखने लगा तो तह जमीन पर आ गिरा | माता का छोड़ा हुआ
बच्चा पानी के बर्तन में लेटकर डूब गया | छत से गिरा हुआ लड़का गिरते ही दम तोड़ गया
| ओर गर्दिश की घिरी हुए माता मोटर के नीचे आई हुए लाश ओर छत से गिर का मरे हुए
होनहार को जब उठा कर ऊपर पहुंची तो देखा के सबसे छोटा भाई अपनी नींद से करवट लम्बी
कर चुका है अर्थात माता की टांगे फ़ैल गई | किसी की सलाह मशवरा काम नहीं देता | कान
आवाज नहीं सुनते ओर उस बेचारी की रीढ़ की हड्डी बगैर किसी के मारे स्वयं टूट रही है
| अभी तीन थे, अब एक भी नहीं रहा | किस को कहे किसने मार दिया ओर क्यों ओर कब मर
दिए | खानदान में किसी के तो औलाद हुई ही नहीं, किसी के होकर मर गई ओर किसी की जब
चलने फिरने के वक्त पर पहुंची तो नकारा होती गई | अगर फिर भी किसी ने जवानी देखी
तो कानो से बहरा, पेशाब की बिमारिओं से दुखिया, अधरंग का मरीज होता गया | अगर अपना
खानदान बचा तो मामू खानदान की मिटटी उड़ गई | अगर घर में दो पैसे जमा किए तो
मुसाफिरी में हजारों का नुक्सान देखा | अव्वल तो कोई नेक सलाह देने वाला मिलता ही
न था लेकिन अगर किसी पे ऐतबार किया तो उस ने गुमराह करके कोई न कोई तूफ़ान खड़ा किया
| मगर उस अचानक धोखे , जंजाल ओर दुनिया की दो रंगी के नतीजे या हर दो रंग में मंदी
ही के पहलु की बुनियाद का सुराग न पता चला
उपाय क्या करे: 100 कुत्तो
को एक ही दिन में कुल खानदान के बराबर मुश्तरका खर्च से लजीज खाना वगैरा देना या उनके
खानदानी घर में अन्दर दाखिल होने के लिए बाहर दरवाजे पर ठहर गए, पीठ बाहर की ओर ओर
मुहँ उस मकान को देख रहा, उनके घर के साथ लगते हुए बायं हाथ के मकान में एक बेवा
होगी जो अपनी छोटी उम्र से ही दुखिया हो चुकी होगी, उस का आशीर्वाद लेना मुबारिक
होगा |
ऋण पितृ की पहली हालत – जब कोई ग्रह बैठा हो खाना नंबर 9 में
ओर बुध बैठा हो उस ग्रह की जड़ में यानि उसके घर में | राहू केतु किसी राशी के
मालिक नहीं है तो पक्का घर लेंगे
1) गुरु
खाना नंबर 9 ओर बुध खाना नंबर 12
2) सूरज
खाना नंबर 9 ओर बुध खाना नंबर 5
3) चन्द्र
9 में ओर बुध 4 में
4) शुक्र
9 में ओर बुध 2,7 में
5) मंगल
9 में ओर बुध 1,8 में
6) शनि
9 में ओर बुध 10,11 में
7) राहू
9 में ओर बुध 12 में
8) केतु
9 में ओर बुध 6 में
ऋण पितृ की दूसरी हालत
1) गुरु
खाना नंबर 2,3,5,6,9,12 से बाहर हो ओर नीचे लिखे ग्रह पापी होकर बैठे हो जैसे
शनि नंबर 2 | 3,6 में बुध / शुक्र / शनि
2) चंद्र
खाना नंबर 4 में न हो ओर खाना नंबर 4 में पापी हो कर शुक्र / बुध / शनि
3) शुक्र
हो खाना नंबर 1,8 से बाहर ओर खाना नंबर 2 में पापी हो कर सूरज / चन्द्र / राहू में
से कोई एक या दो या तीनो
बहुत महत्वपूर्ण बात: जन्म कुंडली के अनुसार ऊपर लिखित
अवस्थाओं में खाना नंबर 2,5,9,12 की मंदी हालत का जरूर साथ होना चाहिए तो ही ऋण
पितृ होगा अन्यथा किसी किस्म का ऋण जैसे पितृ ऋण, मातरी ऋण वैगैरा न होगा | ऋण
पितृ केवल जन्म कुंडली से देखे | वर्षफल से कोई वास्ता नहीं |
S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
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