लाल किताब
मंगल खाना नंबर 5
रईसों का बाप दादा | यदि बद तो शरारती | जद्दी घर से लगातार बाहर रहना लावल्दी देगा |
भरा सुख से सागर जहाजों का बेडा |
खुश्क दम में करदे न महबूब तेरा |
मंगल के शेर की दृष्टि से डरे हुए जानवरो की तरह सब ग्रह बुराई या मंदे असर करने के वक्त अपनी दृष्टि बदल लेंगे | मगर बाहमी (आपसी) दोस्ती दुश्मनी बहाल होगी | चंद्र और शुक्र सदा नेक फल के रहेंगे |
नेक हालत में
1) खाना नंबर 3 में बैठे हुए ग्रह अब मंगल आधीन होंगे | मंगल खाना नंबर 9 में बैठे हुए ग्रहों पर, चाहे शत्रु चाहे मित्र, मेहरबान होगा | 3-5-9 के ग्रह आपस में सहायक होंगे | शुक्र और चंद्र टेवे में कैसे ही हो, नेक फल देंगे | मंगल की नेकी और बदी हर दो कामो के लिए 5 गुणा की शक्ति होगी | नीम का वृक्ष (मंगल) जिस कदर बूढ़ा होवे उससे ऐसा कीमती पानी निकले जो हजारों दवाईयों बनाने के काम आए | यानि ऐसे व्यक्ति की जैसे जैसे आयु बढ़ती जाए वो उतना अमीर होता जाए |
2) सांसारिक कामो में न्याय प्रिय होगा जिसका फैसला खाना नंबर 3 से होगा | खुद या खानदानी खून का हकीमी या डाक्टरी से जरूर सम्बन्ध होगा |
3) दृष्टि बदली हुई होगी जब (सिर्फ उस वक्त) कोई भी ग्रह मंदा होने या बुरा करने की हालत पर हो रहा हो | मसलन चंद्र खाना नंबर 8 में बैठ कर जब अपने पानी से तूफान लाए या कुआँ गर्क होने लगे तो मंगल नंबर 5 के समय चंद्र अपना बुरा असर खाना नंबर 9 या माता-पिता पर करेगा | अगर टेवे वाला अपने बड़ो के नाम पर (श्राद्ध) दूध की खैरायत बंद कर दे तो उसके माता-पिता को दमा, मिर्गी या संतानहीनता होगी |
मंदे ग्रहों की बदली हुई दृष्टि इस प्रकार होगी
4) टेवे वाला विद्यावान तथा संतान वाला होगा | स्त्री और संतान का सुख होगा | उसके बुजुर्ग चाहे कैसे भी हो मगर टेवे वाला और उसकी संतान के लिए हर गुजरी हुए घडी शुभ और कष्ट के बाद आराम देने वाली होगी | संतान नेक और सुख देने वाली होगी | मगर ख्याल रहे कि सुख की नदी खूबसूरती पर ही न खर्च होती जाए | रईसों का बाप दादा होगा यानि उसकी संतान और पोते अमीर होंगे |
5) संतान के जन्म के बाद जीवन में बढ़ेगा जब मंगल जागता हो और मंदा न हो (यानि खाना नंबर 9 में कोई न कोई ग्रह हो या फिर बड़ा भाई कायम हो) और नंबर 10 खाली हो |
मंदी हालत में
1) मंदे असर का वक्त जब कभी होगा रात को होगा जिसकी निशानी केतु से सम्बंधित चीजों से / पर होगी | शरारती नजर से तबाही करता होगा |
2) आग का डर, खतरा और नजर का डर होगा | संतान का सुख कम होगा | सफर गले लगा रहेगा | औलाद को अठारा की बीमारी होगी | अठारा का मलतब यह है कि हर आठ अंक या अठारा पर गुजर जाना यानि 8 दिन, 8 साल और आखिरी हद 18 साल की आयु में गुजर जाना | माता-पिता के भाई-बंधू पुरुषो की मौते, अपने भाई की संतान की मौते होंगी | लेकिन अपनी स्त्री, लड़की, भाभी या किसी भी स्त्री जाति की मौत न होगी | करीबी सम्बन्धियों पर बुरा असर होगा | अपने जद्दी घर-घाट से लगातार बाहर रहना लावल्दी देगा |
3) तेरा महबूब ही तेरे जहाजों के बेड़े की तबाही का कारण होगा |
4) अगर नंबर 9 - 10 में शत्रु (बुध-केतु) हो तो रात की पूरी नींद नसीब न होगी | उपाय के तौर पर रात को सिरहाने पानी रखकर सोने से मंगल बद और राहु की मंदी शरारतो से बचाव होगा |
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrology
Lal Kitab Vastu Consultant
1 comment:
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