Friday, 1 February 2019

लाल किताब शनि, राहु और केतु

लाल किताब 

शनि, राहु और केतु  



शनि + राहु + केतु

तीनो का मुश्तरका टोला पापी ग्रह कहलाता है जिसका असर नीचे लिखा है | (पापी ग्रह)

पापी 3,5,9,11 में हो मगर इनको गुरु, बुध, शुक्र या चंद्र न देखे तो बहरा होगा |  

राहु और केतु सिर्फ दो ग्रह मुश्तरका को पाप और शनि, राहु, केतु तीनो ही मुश्तरका के लिए शब्द पापी ग्रह इस्तेमाल होता है | राहु, केतु का शनि ही का स्वाभाव रखते है मगर शनि की ताकत नहीं रखते | यानि इल्लत (शरारत) होते है, मालूल (शरारत का नतीजा) नहीं हो सकते | तीनो की मुश्तरका बैठक की जगह कुंडली में खाना नंबर 8 है और इंसानी जिस्म में हलक का कौव्वा (तालू) उनकी आरामगाह है | जिसमे कुंडली वाले के दाएँ तरफ राहु, दरम्यान में शनि और बाईं तरफ केतु होगा |


पापी ग्रहों का आम स्वाभाव


1)  जब कभी उनका (पापी ग्रहों) कोई दुश्मन ग्रह उनके मुकाबले पर अकेला हो तो वह उस दुश्मन ग्रह की ही ताकत को खराब-बर्बाद करते है लेकिन

2) जब दो या ज्यादा दुश्मन ग्रह उनके मुकाबले पर हो जावे तो पापी ग्रहो में दुश्मन ग्रहो की ताकत ख़त्म करने के लिए मुकाबला करने की ताकत भी दुगनी या ज्यादा होती जाएगी और पापी ग्रहों में पाप करवाने या करने की की हिम्मत और भी बढ़ती जाएगी |

3) जब किसी पापी ग्रह के मुकाबले पर बैठा हुआ दुश्मन ग्रह किसी ऐसे ग्रह को साथ लेकर बैठा हो जो कि पापी ग्रह का दोस्त हो तो ऐसी हालत में पापी ग्रह बुरा करने की हिम्मत को दुगना करके अपने दोस्त ग्रह को तो ऐसे बुरी तरह से मरेंगे कि उसका निशान तक बाकी न रहे और कुंडली वाले का खूब जोर से नाश करेंगे और निहायत ही बुरा फल देंगे |


4) जब किसी दो पापी ग्रहो के साथ अगर तीसरा ग्रह गुरु, चंद्र या बुध हो तो तीनो ही का फल मंदा होगा | मसलन शनि-केतु-गुरु, बुरी हवा के हमलो से औलाद की अचानक मौते होगी |


5) कोई दो पापी इक्क्ठे एक ही घर में बैठे हो तो दोनों का अपनी अपनी मुश्तरका आशिया  कारोबार या रिश्तेदार मुतल्लका दुसरो पर ख़्वाह नेक हो या बुरा मगर कुंडली वाले के अपने लिए हर दो फल नेक होगा |


6) जब पापी ग्रहो का फल मंदा हो गुरु भी मंदी हैसियत का गुरु होगा |

 
 S Kuber RA
Jyotish Acharaya 
Vedic & Lal Kitab Astrologer 

Lal Kitab Vastu Consultant

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