Tuesday 4 September 2018

लाल किताब अध्याय 3 व्याकरण

लाल किताब अध्याय 3 


व्याकरण 

फरमान नंबर 5 

तक़दीर पहले या तदबीर | बेटी आई पहले या माता |

1) हाथ की उंगलिओं की हर गांठ या 24 घंटे के दिन रात को 12 हिस्सों में बाँटने पर हर एक टुकड़ा (जो ठीक पूरे 2 घंटे का न होगा) मगर 12 टुकड़ो में से हर एक टुकड़ा राशि कहलाता है | यानि 24 घंटे में 12 रशिया या लगभग 2 घंटे का एक लग्न |

2) राशिया तादाद में 12 है जिनके नाम और नंबर हमेशा के लिए एक ही निश्चित है | कुंडली में बार बार हर राशि का नाम लिखने के बजाए इसके लिए निश्चित किया हुआ अंक नंबर ही लिख देते है जैसे मेष के लिए 1, वृषभ के लिए 2, मिथुन के लिए 3 वगैरा |

3) वैदिक ज्योतिष में राशिया जन्म लग्न के हिसाब से कुंडली के 12 खानो में घूमती है मगर फलादेश देखने के लिए लाल किताब ज्योतिष में कालपुरुष की कुंडली से ही देखते है यानि मेष लग्न बनाकर | लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है के हर एक लग्न को मेष लग्न बना दिया | सिर्फ भाव या खाना नंबर के हिसाब से देखेंगे |

मेष वृषभ जब मिले मिथुन से तर्जनी ऊँगली गिनते है |
कर्क सिंह और कन्या राशि अनामिका ऊँगली लेते है |
तुला वृश्चिक धनु तीनो की छोटी कनिष्ठा होती है |
मकर कुम्भ और मीन इकट्ठी मध्यमा ऊँगली बनती है |

1) तर्जनी ऊँगली गुरु या हुकूमत की होती है | अनामिका ऊँगली सूर्य या व्यक्तिगत (हिम्मत) से कमाई की ऊँगली होती है | कनिष्ठा ऊँगली बुध या इल्मो हुनर कमाई की ऊँगली होती है |

2) मध्यमा ऊँगली को सब उँगलिओं के आखिर पर लेते है क्योंकि मध्यमा ऊँगली उदासी और वैराग्य या दुनिया से अलग गिनी अलहदा गिनी है जिसका ताल्लुक गृहस्थ के बाद है |


फरमान नंबर 6


किस्मत की गांठो ही से ग्रह मंडल बन गया

दुनिया के प्रारम्भ में ब्रह्माण्ड के खाली आकाश में (जो बुध का आकार है) सबसे पहले अँधेरा (शनि का साम्राज्य) मानकर इसमें रोशनी (सूर्य) के प्रवेश का ख्याल किया गया | इस रोशनी और अँधेरे दोनों के साथ साथ हवा (गुरु जो दोनों जमानो का मालिक) चल रही है | यानि हवा अँधेरे और रोशनी दोनों में होती है | मसलन शीशे का खाली बंद बक्सा ले तो हवा बक्से के अंदर और बाहर दोनों जगह मौजूद होगी | शीशा जो की बुध की चीज है वो अँधेरे और रोशनी दोनों को बाहर आने जाने की इजाजत देता है मगर हवा को अंदर से बाहर और बाहर से अंदर जाने की इजाजत न देगा | यही चक्कर में डाले रखने की दुश्मनी बृहस्पति को बुध से होगी | या बुध के आकाश की खाली जगह में किस्मत को स्पष्ट करने वाला ग्रह चाली बच्चा बुध की मदद से सूरज और शनि को जुदा या इक्कठे रहने की ताकत बक्श देगा | यह बुध का शीशा ही है जो बृहस्पति के दोनों जहानों में गांठ लगा देगा और यह गांठ ही ग्रह गिरह (गांठ, बंधन) है | जिससे आकाश सब ही के लिए इक्कठा गाँठा हुआ मैदान है | या यूँ कहे कि अक्ल (बुध) ही सब तरफ गांठे लगा रही है | संक्षेप में कहे तो पृथक पृथक वस्तुओँ के इक्कठा बाँध देने वाली चीज की ताकत या बच्चे की किस्मत की उलझन पैदा करने वाली चीज गिरह कहलाती है | उंगलिओं और हथेली के परस्पर मिलाने वाली गांठ हथेली की अपनी हर एक गांठ या बच्चे की अपने माता के पेट के सफर की 9 मंजिलों (9 महीना) की हर एक गांठ को ग्रह के नाम से याद करते है | कुदरत की ताकत का असल नाम गांठ या ग्रह है | ग्रह तादाद में 9 है और वह कुंडली के 12 खानो में घूम जाने की ताकत के मालिक माने गए है और इंसान ही की तरह उनमे भी मित्रता दुश्मनी, ऊँच या नीच हालत और उम्दा या मंदा असर देने की शक्ति मानी गयी है | हर ग्रह अपना भला या बुरा असर अपनी खास-खास अवधि में दिया करता है | जैसे गुरु 16, चंद्र 24 वगैरा | ग्रह अपना असर अपनी आधी या चौथाई अवधि में भी दे सकते है |




ग्रह रंग  मसनूई (बनावटी) ग्रह 
बृहस्पति पीला सूर्य-बुध परस्पर 
सूर्य सुर्ख ताम्बा, खाकी बुध-शुक्र परस्पर 
चंद्र दूध जैसा सफ़ेद बृहस्पति-सूर्य 
शुक्र दही जैसा सफ़ेद राहु-केतु 
मंगल नेक खूनी लाल  सूर्य-बुध  
मंगल बद    "   सूर्य-शनि  
बुध सब्ज हरा  बृहस्पति-राहु 
शनि काला शुक्र-बृहस्पति = केतु जैसा स्वाभाव 
शनि काला बुध-मंगल = राहु जैसा स्वाभाव 
राहु  नीला मंगल-शनि ऊँच अवस्था 
राहु  नीला सूर्य-शनि नीच अवस्था 
केतु  चितकबरा या दो रंगा काला सफ़ेद शुक-शनि ऊंच अवस्था 
केतु       " चंद्र-शनि नीच अवस्था 



आगे आने वाले अध्यायों को पढ़ने पर पता चलेगा कि भिन्न भिन्न वस्तुओं का सम्बन्ध अलग अलग ग्रहों से है | कभी कभी ग्रहों के नाम के बजाए उन वस्तुओं का नाम लिखा हो सकता है जैसे शुक्र के लिए गाय, स्त्री, लक्ष्मी, मिटटी वगैरा |

गुरु रवि और मंगल तीनो  नर ग्रह कहलाते है
शानि, राहु और केतु तीनो पापी के नाम से जाने जाते है
शुक्र लक्ष्मी चंद्र माता स्त्री ग्रह कहलाते है
बुध मुखन्नस (नपुंसक) चक्र सभी का जिसमे सब ही ग्रह घुमते है
नेकी बदी दो मंगल भाई शहद जहर दो मिलते है
बदलालच गर मरे दुनिया नेक दान को गिनते है
राहु और केतु दोनों को पाप नाम से जानते है

जब शनि को राहु या केतु किसी भी तरह से आकर कर मिलते हो तो शनि पापी ही होगा | और वैसे भी तीनो का इक्क्ठा नाम पापी है |

ग्रहों का पक्का घर

खाना नंबर 1 - सूर्य
खाना नंबर 2 - गुरु
खाना नंबर 3 - मंगल
4 चंद्र
5 गुरु
6 केतु
7 शुक्र और बुध
8 शनि, मंगल
9 गुरु
10 शनि
11 गुरु
12 राहु

राहु और केतु की हथेली पर (या कुंडली में राशि के मालिक नहीं) कोइ पक्की जगह नहीं | यह लहरों के मालिक है | एक ने इंसान को सिर (राहु ने ) से पकड़ा है और दूसरे (केतु) ने पैर से तो दोनों को खुद-ब-खुद ही जगह मिल गयी |  और वह बुध (के साथ केतु जो नेकी का मालिक है खाना नंबर 6 पाताल में) और गुरु के साथ राहु जो बदी का मालिक है खाना नंबर 12 आसमान में के साथ तमाम आकाश ब्रह्माण्ड जो गुरु बुध दोनों के मिले जुले का परिणाम है में हो बैठे और दुनिया और इस ज्योतिष में पाप के नाम से मशहूर हुए |

 














वर्षफल के एक साल की अवधि को अगर तीन में विभक्त करे तो हर टुकड़ा चार महीने का होगा | जैसे गुरु वर्षफल में खाना नंबर 5 में आए तो तो उस साल के पहले चार महीनो में खाना नंबर 5 पर केतु का असर होगा जैसा की वह वर्षफल की कुंडली में बैठा हो | दूसरे चार महीने खुद गुरु का अपना असर जैसा भी वो बैठा हो और आखिर के चार महीने जैसा सूर्य हो |


अगर दिन को औसतन 12 घंटे का माने तो और सूर्य उदय का समय 6 बजे ले तो सूर्य उदय होने से 2 घंटे पहले 4-6 बजे तक का समय केतु का
सूर्य उदय से 2 घंटे यानि 6-8 तक गुरु का समय
फिर 2 घंटे 8 से 10 सूर्य
10 से 11, एक घंटा चंद्र का
11 से 1 मंगल का
1 से 4 शुक्र का
और 4-6 बुध का समय होगा |
सूर्य अस्त हो गया पर अभी एक भी तारा उदय नहीं हुआ तक राहु का समय
तारा निलने से लेकर अगली सुबह 4 बजे तक शनि का साम्राज्य होगा |

ग्रहों की मित्रता और शत्रुता


लाल किताब में न्यूट्रल्स को बराबर का ग्रह बोलते है |

राहु के साथ गुरु चुप होगा मगर कम न होगा मगर अगर खाना नंबर में राहु या गुरु हो तो राहु गुरु के अधीन होगा |   बुध चंद्र को अपना शत्रु मानता है लेकिन खाना नंबर 2,4 में बैठा हुआ बुध चाहे चंद्र चाहे गुरु के साथ बैठा हो, दुश्मनी के बजाए पूरी मदद करेगा आर्थिक सहायता के लिए |



ग्रह आम साल उम्र के साल 
बृहस्पति 16 75  
सूर्य 22 100  
चंद्र 24  85 
शुक्र 25  85  
मंगल नेक 24   28   
मंगल बद 32   90 
बुध 34  80  
शनि 36 90 
राहु  42  90 
केतु   48 80 

ग्रह के असर का वक्त कब होगा यानि अपनी अवधि में उसका अपना खुद का असर कब होगा, शुरू में या मध्य में या आखिर में यह ऊपर वाले टेबल के अनुसार होगा | जैसे गुरु और शुक्र का मध्य में, चंद्र का आखिर में वगैरा 
1) हर ग्रह अपना असर अपनी अवधि के आधे या चौथाई भाग में भी प्रकट कर दिया करता है |
2) राहु की अवधि 42 और केतु की 48 वर्ष मगर दोनों की मिलीजुली 45 वर्ष होगी |
3) सूर्य-राहु इक्कठा और चंद्र केतु इक्कठा ग्रहण होगा |
4) शनि के 10, 19, 27 वे साल प्रायः नेक असर देगा | 36 से 39 साल साधारण फल होगा |
5) जैसे की टेवे में उस वक्त हो, बुध किस्मत उदय के लिए 23 और मंगल 30 साला उम्र में  | बाकी ग्रह अपनी अपनी अवधि पर असर देंगे |  
       

ग्रह की उम्र का असर

जब कोई ग्रह हर तरह से कायम हो यानि अपने वजूद में खुद अपनी ही सम्पूर्ण शक्ति का चाहे ऊंच हाल चाहे नीच हाल चाहे अपने घर में और किसी दूसरे का असर उसमे न मिल रहा हो तो वो अपनी कुल उम्र तक असर देता रहेगा या उसकी उम्र होगी गुरु 16, सूर्य 22, चन्द्र 24 वगैरा |

कोई ग्रह जब किसी दूसरे ग्रह के साथ हो निम्नलिखित बदलाव होगा


S Kuber RA
Jyotish Acharaya 
Vedic & Lal Kitab Astrology
Lal Kitab Vastu Consultant 


लाल किताब अध्याय 3 

3 comments:

panditramdial said...

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