लाल किताब अध्याय 4
रियायती 40 दिन
मंदे ग्रहों का असर उनके निश्चित समय से पहले नहीं आ सकता और भले ग्रह का असर उनके दिए हुए वक्त के बाद नहीं रह सकता है | अगर हो सकता है तो केवल यह कि एक ग्रह का असर ख़त्म होने और दूसरे के शुरू होने के 40 दिन पहले या 40 दिन बाद तक उसका असर हो सकता है | शुरू होने वाले नेक और मददगार ग्रह का अपनी अवधि से 40 दिन पहले ही असर होना माना है | इक्कट्ठे असर के केवल 40 दिन ही होंगे | मगर दोनों ग्रहों के भिन्न भिन्न 40 दिन न होंगे | यह रियायती दिन कहलाते है | इस असूल पर बच्चे के जन्म से लेकर 40 दिन का छिला (सूतक) और मर जाने के बाद 40 दिन का मातम (पातक) या चालीसा मनाया जाता है | चूँकि गिनती के लम्बे हिसाब को इस विद्या में उड़ाने के लिए 28 नक्षत्र और 12 राशियों को बाद में छोड़ ही दिया जाता है इसलिए दोनों की जमा जोड़ (28+12) 40 दिन कम से कम या ज्यादा से ज्यादा 43 दिन तक रियायती उपाय का असर पूरा होगा जिसकी निशानी वक्त से पहले ही नेक ग्रह का असर दोस्त ग्रहों की चीजों की कुदरती निशानियाँ और बुरे ग्रह की अवधि 40 दिन बाद तक रहने वाली हालत में ग्रहों की निशानियाँ हुआ करती है | मिसाल के तौर पर किसी का वर्ष 31 ख़त्म हो रहा है और अगला साल 1 अप्रैल से शुरू होगा | यह साल जो गुजर रहा है निहायत मंदा था और अगले साल में ग्रह चाल की बुनियाद पर उम्दा जमाना आने की उमींद है | उदहारण के लिए यह माना कि जातक का आने वाले साल में चंद्र नंबर 2 में और गुरु नंबर 4 में होंगे जो अमूमन नेक असर ही दिया करते है | इसका सबूत यह होगा कि चंद्र के मित्र ग्रहो सूर्य मंगल बृहस्पति की वस्तुओं चीजों से 40 दिन पहले ही नेक असर जाहिर होने लग जाएगा | अगला साल 1 अप्रैल से शुरू होना है तो 31 मार्च तक पिछला साल चलेगा तो इसका मतलब यह हुआ कि फरवरी 20 से लेकर फरवरी के 9 दिन और मार्च के 31 दिन कुल 40 रियायती दिन में नेक असर दिख जायेगा | इसी तरह से एक और मिसाल ले कि अगर उस साल में जो चल रहा है और वह मंदा है क्योंकि राहु नंबर 8 या 11 में है और बुध नंबर 8 या 2 में है जो अमूमन मंदा असर ही देते है तो उनका मंदा असर पापी ग्रहों के द्वारा (शनि, राहु, केतु) प्रकट होता होगा जैसे कोई हादसा या नाहक बदनामियाँ (मंदे राहु का फल) राह चलते या मुसाफिरी में नुक्सान (केतु की निशानियाँ) मशीन, मकान के मंदे असर (शनि का असर) | यह असर अगर मार्च के महीने में प्रकट हो रहा हो तो हम यह समझ लेंगे कि उनका मंदा असर आने वाले साल के शुरू के 40 दिन तक भी चलता ही रहेगा | उपाय करने के दौरान 40 दिन की आधी (20 दिन) या चौथाई अवधि (10 दिन) में आधा या चौथाई असर मालूम होने लग जाया करता है जो जरूरी नहीं कि आधा या चौथाई असर ही हो | पूरा असर भी हो जाना माना है |
समस्त ग्रह शक्ति अनुसार
सूर्य, चंद्र, शुक्र, गुरु,मंगल, बुध, शनि, राहु, केतु क्रमशः परस्पर मुकाबले की ताकत में एक दूसरे से कम है |
टकराव या बर्ताव और शक्ति पैमाना :-
जब कोई दो दुश्मन ग्रह आपस में टकराए तो ताकत का पैमाना
सूर्य 9/9, चंद्र 8/9, शुक्र 7/9, गुरु 6/9, मंगल 5/9, बुध 4/9, शनि 3/9, राहु 2/9, और केतु 1/9 होगा | उपाय करते वक्त यह पैमाना मददगार होगा |
ग्रह की दूसरी अवस्था
जब कोई ग्रह अपनी राशि, पक्के घर, ऊंच-नीच घर के आलावा कहीं और बैठ जाए या किसी दूसरे ग्रह का साथ, साथी ग्रह जड़ अदला बदली करने वाला वगैरा हो जाए तो राशिफल का या शक्की ग्रह होगा जिसके बुरे असर से बचने के लिए शक का फायदा उठाया जा सकता है यानि उपाय योग्य होगा | इसके विपरीत अगर कोई ग्रह अपने घर का, या पक्के घर का या ऊंच नीच घर का हो तो वह ग्रह ग्रहफल का होगा जिसका उपाय मुमकिन न होगा | (लाल किताब ने कई ऐसे ग्रहों के उपाय बाद के अध्यायों में बताए है) | उसके बुरे असर असर को तबदील करने की कोशिश करना बेमानी होगा बल्कि इंसानी ताकत से बाहर होगा | सिर्फ खास खास परमात्मा तक पहुँच वाली कुछ एक विशेष हस्तियाँ ही रेख में मेख लगा सकती है | मगर वह भी आखिर तबादला ही होगा सिवाय उस वक्त के जब वह हस्ती उस ग्रह का मंदा फल खुद पर ही ले ले | लेकिन फिर भी ग्रह फल का ग्रह अपना असर चाहे बाद में ही सही, देगा |
35 साला चक्कर
35 साल में सब ग्रह अपना चक्कर पूरा कर लेते है | जो ग्रह अपने पहले 35 साला चक्कर में बुरा असर करते है वो वह अपने दूसरे 35 साला चक्कर में बुरा असर न देंगे लेकिन जरूरी नहीं के नेक असर देंगे | ग्रहों की 35 साला अवधि 35 साला चक्कर कहलाती है |
शनि 0 से 6 साल
राहु 7 से 12
केतु 13 से 15
गुरु 16 से 21
सूर्य 22, 23
चंद्र 24
शुक्र 25,26,27
मंगल 28 से 33
बुध 34, 35
इसके बाद से फिर उसी क्रम में अगले 35 साल होंगे |
ऐसे 35 साला चक्कर इंसान की औसत 120 साल आयु में पुरे पुरे 3 बार ही आ सकते है |
35 साला चक्कर के सबब बाप बेटे की उम्र का आपसी ताल्लुक 70 साल में माना जाता है |
इस 35 साला चक्कर का इस्तेमाल वर्षफल के हाल में दर्ज है |
जन्म दिन और जन्म वक्त का ग्रह और उनका आपसी ताल्लुक
जिस दिन (हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से) जन्म हो उस दिन का स्वामी जन्म दिन का ग्रह होगा और जिस समय जन्म हो उस समय का स्वामी जन्म समय का ग्रह होगा | जन्म समय का ग्रह कौनसा होगा तो यह पिछले अध्याय में बताया था की सुबह सूर्य उदय अगर 6 बजे माने और सूर्य अस्त शाम 6 बजे माने तो सुबह 6 से 8 बजे तक का मालिक गुरु होगा, 8 से 10 बजे तक का मालिक सूर्य होगा वगैरा | उसके अलावा ओर बात यह है की पूर्णिमा की चाँदनी रात का स्वामी चंद्र होता है | दिन के समय घनघोर बादल हो और अँधेरे जैसा दिन हो तो उसका मालिक शनि होगा \ (यह पता लगाना तो बड़ा मुश्किल है कि जन्म दिन वाले दिन मौसम कैसा था इसलिए पहले लिखे अनुसार ले सकते है)
माना की जन्म दिन सोमवार का है तो जन्म दिन का मालिक चंद्र हुआ | जन्म वक्त का समय है सूर्य अस्त होने के कुछ 2-3 मिनट के बाद तो यह समय हुआ पक्की शाम यानि राहु का समय हुआ | जन्म वक्त के ग्रह को जन्म दिन के ग्रह के पक्के घर में गिनेंगे | इसका मतलब ऐसा मानेंगे कि राहु खाना नंबर 4 में है | अब राहु कुंडली में खाना नंबर 4 से सम्बंधित वस्तुएँ, रिश्तेदार पर मंदा असर न देगा लेकिन अगर कभी दे तो चंद्र के उपाय से नेक असर होगा क्योंकि जन्म समय का ग्रह उपाय योग्य नहीं होता | यहाँ जन्म दिन के ग्रह से उपाय होगा |
लेकिन कई एक ग्रहों के एक से ज्यादा पक्के घर है तो कौन सा घर लेंगे ? यहाँ पर केवल एक ही घर लेंगे | गुरु के 4 घरों में से केवल खाना नंबर 9 लिया तो कुल 9 घर ही मिले |
पक्का घर वार
खाना नंबर 1 के लिए सूर्य ले | रवि
खाना नंबर 2 - नहीं लिया
खाना नंबर 3 के लिए मंगल मङ्गल
4 के लिए चंद्र सोम
5 नहीं लिया
6 के लिए केतु रविवार ४ -६ सुबह
7 के लिए शुक्र और बुध शुक्र और बुध
8 नहीं लिया
9 के लिए गुरु गुरुवार
10 के लिए शनि शनि
11 नहीं लिया
12 के लिए राहु गुरुवार पक्की शम
सूर्य-शनि (रात-दिन इक्कट्ठे) खाली बुध होते है | अगर मंदे हो या ऐसे घरों में बैठे हो जहाँ दोनों या उनमे से कोई एक मंदा हो तो दोनों अपनी आयु तक नीच फल देंगे यानि सूर्य 22 साल और शनि 36 साल तक | और मंगल भी मंगल बद और राहु भी मंदा फल देगा चाहे वह कुंडली में उम्दा या ऊँच ही क्यों न हो | (क्योंकि सूर्य-शनि, मंगल बद और नीच राहु के मसनुई (बनावटी) ग्रह है)
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
लाल किताब अध्याय 4
1 comment:
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