लाल किताब अध्याय 5
अंधे ग्रह
अगर खाना नंबर 10 में आपस में लड़ने वाले शत्रु ग्रह बैठे हो तो ऐसा टेवा अंधे ग्रहो का होगा या अँधा टेवा होगा | शनि आँखों का कारक होता है इसलिए शनि अपने घर में बैठे इन ग्रहो को अँधा कर देगा | यानि दोनों ही ग्रहों का बहुत मंदा असर होगा | उपाय के तौर पर 10 अंधे मर्दो को स्वयं भरपेट खाना खिलाना मुबारिक होगा |
नहोराता (आधा अँधा)
सूर्य खाना नंबर 4 में और शनि 7 में हो आधा अँधा टेवा होगा | ऐसे ग्रह ऐसे इंसान की तरह होंगे जो दिन में तो देख सके मगर रात को नहीं |
धर्मी ग्रह
राहु और केतु खाना नंबर 4 में पाप छोड़ने की कसम चंद्र के सामने उठाते है | शनि खाना नंबर 11 में गुरु को हाजिर नाजिर मान कर राहु केतु के पैदा किए हुए पापो का फैसला करता है | यानि राहु केतु अगर खाना नंबर 4 में हो या चंद्र के साथ कहीं भी हो और शनि खाना नंबर 11 या गुरु के साथ कहीं भो हो तो ऐसा टेवा धर्मी टेवा कहलाता है | अब ये पापी ग्रह मंदा असर न देंगे और धर्मी होंगे | लेकिन जरूरी नहीं के नेक फल देंगे | केवल पाप न करने की कसम खाई है |
साथी ग्रह
जब कोई ग्रह आपस में अपनी अपनी निश्चित राशि ऊँच नीच घर की राशि या अपने पक्के घरों में अदल बदल कर बैठे हो या अपनी जड़ो के लिहाज़ से इक्कट्ठे हो जाए तो साथी ग्रह कहलाते है | मसलन शनि खाना नंबर 5 और सूर्य खाना नंबर 10 में तो यह स्थान परिवर्तन योग है | अब दोनों को साथी ग्रह गिनेंगे |
उत्तर भारतीय कुंडली के अनुसार, कुंडली के हर खाना की सांझी लकीर केवल दोस्त ग्रहों को मिलाया करती है | मसलन खाना नंबर 2 में सूर्य और 3 में मंगल हो तो (क्योंकि दोनों मित्र है ) ये दोनों ग्रह मिले-मिलाए लेंगे |लेकिन दुश्मन ग्रह जुदा-जुदा ही रहेंगे |
बिलमुकाबिल (आमने-सामने के ग्रह)
जो ग्रह आपस में तो दोस्त हों मगर ऐसी हालत में बैठे हो कि उनकी दोनों या किसी एक की जड़ में दुश्मन ग्रह बैठ जाए तो उनमे दुश्मनी का स्वाभाव पैदा हो जाएगा |
दुश्मनो से मारे हुए मंदे होने के वक्त ग्रहों के क़ुरबानी के बकरे ग्रह
दुश्मन ग्रहों से बचने के लिए शनि ने अपनी जान बचने के लिए अपने पास राहु-केतु दो एजेंट बनाए है | वह शनि की जगह किसी दूसरे ग्रह की क़ुरबानी दिल देते है | राहु-केतु इक्कट्ठे को बनावटी शुक्र माना है | जब कभी शनि को सूर्य का टकराव तंग करे तो वह अपनी जगह शुक्र को मरवा देता है यानि मंदा असर टेवे वाले की औरत पर होगा | न सूर्य खुद बर्बाद होगा और न ही शनि क्योंकि दोनों बाप-बेटा है | मसलन खाना नंबर 6 में सूर्य हो और शनि हो 12 में तो खाना नंबर 6 देखता है 12 को और 12 नहीं देखता 6 को तो औरत पर औरत मरे |
बुध ने अपने बचाव के लिए शुक्र से दोस्ती कर रखी है और वो अपनी बलाएँ शुक्र पर डाल देता है |
मंगल बद अपनी बला केतु पर डाल देता है | शेर (मंगल) कुत्ते (केतु) को मरवा दे | मसलन मंगल नंबर 10 में और सूर्य नंबर 6 में हो तो लड़का पर लड़का (केतु) मरता जाए | भाई (मंगल), भतीजे (केतु) को मरवाए |
शुक्र अपनी बलाएँ चंद्र पर डाल देता है | चंद्र शुक्र आमने सामने हो और शुक्र देखता हो चंद्र को तो माता अंधी हो जाए | (शनि की मदद से क्योंकि दोनों मित्र है) |
गुरु अपनी बलाएँ केतु पर डाल देता है | केतु लड़के पर नहीं केतु के खाना नंबर 6 की चीज यानि मामा पर | मसलन गुरु खाना नंबर 5 में हो और केतु कहीं और हो तो और गुरु की 16 साल की महादशा आ जाए तो केतु के खाना नंबर 6 (मामा) का फल मंदा होगा | केतु की 7 साल की महादशा आ जाए तो भी मामा को तकलीफ होगी
सूर्य अपना मंदा असर केतु पर डाल देता है |
चंद्र अपने मित्र ग्रहों गुरु, सूर्य, मंगल पर |
राहु-केतु अपना आप ही निभाएंगे और उनका मंदा असर उनसे सम्बंधित चीजों, रिश्तेदारों पर पड़ेगा |
धर्म स्थान
धर्म पालन, पूजा पाठ या इष्ट सिद्धि के लिए पवित्र जगह से मुराद होगी मुसलमान के किए मस्जिद, सिख के लिए गुरुद्वारा, ईसाई के लिए चर्च और हिन्दू के लिए मंदिर | जहाँ भी जिसका विश्वास हो वही जगह उसके किए धर्म स्थान होगी चाहे वहाँ रहने वाला कोई भी क्यों न हो | जिस किसी का कोई धर्मस्थान न हो या किसी को विश्वास ही न हो तो उसके लिए चलता हुआ दरिया, नदी या शनि का चौराहा धर्मस्थान का काम देगा |
स्थित (कायम ग्रह)
जो ग्रह हर तरह से दुरुस्त हो यानि उसमे दुश्मन ग्रह का असर न मिल रहा हो और न ही दुश्मन ग्रह साथ हो तो वह कायम ग्रह होगा | यानि उस ग्रह के घरों में या पक्के घरों में दुश्मन ग्रह न और न ही वो उसके साथ बैठे हो और न वो दृष्टि से उसमे अपना मंदा असर मिला रहे हो तो कायम ग्रह होगा |
घर का ग्रह (राशि मालिक)
जब ग्रह राशि के हिसाब से अपने घर में हो तो घर का ग्रह कहलाता है जैसे बुध नंबर 3 या 6 में हो |
घर का ग्रह (पक्का घर)
जब ग्रह अपने पक्के घर में हो मसलन बुध नंबर 7 |
दोस्त-दुश्मन-बराबर के ग्रह
पिछले अध्यायों में दी हुए सूची की अनुसार होंगे
ऊंच ग्रह से मुराद होगी 100 फीसदी मुक्कमल असर की ताकत का मालिक
नीच ग्रह से मुराद होगी 100 फीसदी मनफ़ी (नकारात्मक) नामुकम्मल असर की ताकत
बराबर का ग्रह से मुराद होगी मसावी (बराबर, समतुल्य) एक जैसा असर
बालिग़ नाबालिग ग्रह
बच्चे की रेखा या टेवे का 12 साल तक कोई ऐतबार नहीं और 18 साल से बड़ी रेखाओं में तबदीली नहीं मानते बच्चे की बंद मुट्ठी (1-4-7-10) खाली हो या उनमे सिर्फ पापी हो या सिर्फ बुध हो तो ऐसा टेवा नाबालिग होगा | ऐसे प्राणी की किस्मत का हाल 12 साल उम्र तक शक्की होगा | ऐसी हालत में नाबालिग ग्रहों वाले बच्चे की किस्मत का हाल निम्नलिखित होगा | उम्र के हिसाब से खाना नंबर देखे | अगर कोई खाना खाली हो तो उसका राशि का मालिक ले |
S Kuber RA
Vedic & Lal Kitab Astrologer
Lal Kitab Vastu Consultant
लाल किताब अध्याय 5
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